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आश्चर्य : लक्षण एइएस के, पर डॉक्टर नहीं मानते

पुर्जे पर एइएस लिखते हैं, तो लगा देते हैं प्रश्नवाचक चिह्न मुजफ्फरपुर : तेज फीवर, बदन में ऐंठन, उल्टी व बेहोश हो जाना. ये एइएस के लक्षण माने जाते हैं. बीमारी के लक्षणों की जानकारी देने के लिए स्वास्थ्य विभाग की अोर से पर्चा छपवाया गया है, लेकिन डॉक्टर इन लक्षणों से पीड़ित बच्चे के […]

पुर्जे पर एइएस लिखते हैं, तो लगा देते हैं प्रश्नवाचक चिह्न

मुजफ्फरपुर : तेज फीवर, बदन में ऐंठन, उल्टी व बेहोश हो जाना. ये एइएस के लक्षण माने जाते हैं. बीमारी के लक्षणों की जानकारी देने के लिए स्वास्थ्य विभाग की अोर से पर्चा छपवाया गया है, लेकिन डॉक्टर इन लक्षणों से पीड़ित बच्चे के पुर्जे पर एइएस नहीं लिखते. हालांकि बच्चों
आश्चर्य : लक्षण एइएस
का इलाज बीमारी के प्रोटोकॉल के हिसाब से ही किया जाता है. डॉक्टर पुर्जे पर एइएस लिखते भी हैं तो उस पर प्रश्नवाचक चिह्न लगा देते हैं. ऐसे बच्चों को एइएस कैटेगरी में नहीं रखा जाता. एक विशेषज्ञ डॉक्टर कहते हैं कि हमलोगों को यह निर्देश दिया गया है कि बच्चे की सभी तरह की जांच होने के बाद यदि कोई बीमारी नहीं निकले, तो उसे एइएस कैटेगरी में रखेंगे. एमआरआइ से लेकर पैथोलॉजिकल जांच होने में करीब चार से पांच दिन का समय लगता है.
इस बीच बच्चे की मौत होती है, तो वह अज्ञात बीमारी मानी जाती है. एइएस के इलाज के प्रोटोकॉल में बीमारी की पुष्टि के लिए ऐसा ही निर्देश दिया गया है.

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