मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच में इलाज के लिए आनेवाले मरीजों को अस्पताल की बीमार कर देने वाली व्यवस्था से गुजरना पड़ता है. मरीज को रजिस्ट्रेशन कराने से लेकर डॉक्टर को दिखाने व दवा लेने में तीन से चार घंटे का समय लग जाता है. सबसे ज्यादा परेशानी दवा लेने में होती है. तेज धूप में मरीज व उनके परिजन दवा लेने के लिए घंटों लाइन में खड़े रहते हैं.
छांव के नाम पर एक पीपल का पेड़ है, जिससे मरीजों को थोड़ी राहत मिलती है. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि कई बार शेड लगाने की पहल की गयी, लेकिन अब तक शेड नहीं लग पाया है.
कई और मरीजों को भी इसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. अस्पताल की आेपीडी में प्रत्येक दिन लगभग सौ से अधिक मरीज उल्टी, दस्त, बुखार व डायरिया से पीड़ित पहुंच रहे हैं. गंभीर मरीज को भर्ती कर इलाज किया जाता है. सामान्य मरीज को दवा लिख दिया जाता है. नेपाल से आये सुनील कुमार ने बताया कि बाइक से गिरने पर हाथ टूट गया.
घर के पास ही डॉक्टर से दिखाये. इलाज में अधिक रुपये लग रहा था. सुबह बस से एसकेएमसीएच पहुंचे, लेकिन दवा लेने में दो बज गये. मोतिहारी से आयी सुनीता देवी ने बताया कि सुबह नौ बजे अस्पताल पहुंची. पर्ची लेने से लेकर डॉक्टर से दिखाने और दवा लेने में एक बज गया.
जमीन पर रेंगता रहा डायरिया पीड़ित पांच साल का आमिर
शहर के कच्ची पक्की से नानी के साथ इलाज के लिये आया पांच साल का आमिर दवा काउंटर के सामने लगी लाइन में दो घंटे तक जमीन पर रेंगता रहा. वह डायरिया व बुखार से पीड़ित था. ओपीडी में डॉक्टर से दिखाने के बाद जब दवा के लिए काउंटर पर पहुंचे, तो लंबी लाइन लगी थी. आमिर की नानी लाइन में खड़ी हो गयी, जबकि वह जमीन पर बैठा गया.
मुजफ्फरपुर. सरैया पीएचसी प्रभारी ने सिविल सर्जन डॉ ललिता सिंह को दवा उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि सरकारी स्कूलों में लगनेवाले स्वास्थ्य शिविर में दवा की उपलब्धता जरूरी है. पीएचसी में इतनी दवा नहीं है कि शिविर में आये बच्चों को दवा दी जा सके. पीएचसी प्रभारी ने यह भी कहा है कि आठ अप्रैल को बसरा मध्य विद्यालय में स्वास्थ्य शिविर लगाया जाना है. इसके लिए जिले से दवा का स्टॉक भेजा जाये, ताकि बच्चों को इलाज के बाद दवा उपलब्ध करायी जा सके