छह महीने में वेतन लिये 10 लाख, काम जीरो
मुजफ्फरपुर : पिछले छह महीने में खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों के वतन मद में सरकार के करीब दस लाख खर्च हुए, लेकिन विभागीय काम जीरो रहा. कर्मी हर महीने करीब सवा लाख रुपये वेतन ले रहे हैं. अधिकारी की दलील है कि खाद्य सामग्री को सुरक्षित रखने के लिए केमिकल व इंस्ट्रूमेंट […]
मुजफ्फरपुर : पिछले छह महीने में खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों के वतन मद में सरकार के करीब दस लाख खर्च हुए, लेकिन विभागीय काम जीरो रहा. कर्मी हर महीने करीब सवा लाख रुपये वेतन ले रहे हैं. अधिकारी की दलील है कि खाद्य सामग्री को सुरक्षित रखने के लिए केमिकल व इंस्ट्रूमेंट नहीं है. इसके लिए मुख्यालय को लिखा गया है. पटना से इन्हें केमिकल कब मिलता है और कब समाप्त हो जाता है, इसका कोई आंकड़ा नहीं है. कर्मियों का काम रोज हाजिरी बनाना व ड्यूटी पूरा कर लौट जाना है. विभाग में एक फूड सेफ्टी ऑफिसर के अलावा एक लैब तकनीशियन व कंप्यूटर ऑपरेटर हैं.
शुद्धता मानक की करनी है जांच. विभाग का काम बोतल व पैकेट वाली खाद्य व पेय सामग्री व खाद्य पदार्थ बनाने वाली फैक्ट्रियों में जांच कर शुद्धता का मानक पता करना है, लेकिन पिछले छह महीने से एक भी दुकान की जांच नहीं हुई है.
शिकायत पर भी नहीं होती कार्रवाई
फूड सुरक्षा विभाग को कई लोगों ने बाजार समिति में खराब मछली बेचे जाने की शिकायत की. शहर में हल्दी पाउडर व बेसन में मिलावट, खोआ व पनीर मानक के अनुसार नहीं होने व रेस्तरां के रसोई घर गंदा होने संबंधी शिकायत सिविल सर्जन से की गयी, लेकिन अधिकारियों ने जांच नहीं की. फूड सेफ्टी ऑफिसर लैब तकनीशियन के साथ निकलते तो हैं, लेकिन कहीं खाद्य सामग्री का सैंपलिंग नहीं की जाती. सीएस स्तर पर जब निर्देश मिलता है तो एक-दो दुकानों की जांच कर रिपोर्ट सौंप दी जाती है.
खाद्य सुरक्षा विभाग में केिमकल व इंस्ट्रूमेंट नहीं
जांच को नहीं निकलते अधिकारी, दुकानों व फैक्ट्रियों की नहीं होती जांच
अधिकारी कहते हैं, जांच के लिए केमिकल व इंस्ट्रूमेंट नहीं
डेपुटेशन सहित अन्य विभागीय काम होने के कारण नियमित रूप से जांच नहीं हो पाती. इसके अलावा जांच के लिए इंस्ट्रूमेंट नहीं होना भी एक समस्या है. मुख्यालय को इसके लिए लिखा गया है. संसाधन उपलब्ध होती ही जांच शुरू की जायेगी.
राजेश कुमार, खाद्य सुरक्षा अधिकारी