मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण कांड : लड़कियों ने कहा, सर करते थे बलात्कार, छत पर नंगा कर सिगरेट से दागते थे बदन
मुजफ्फरपुर : बालिका गृह में रहनेवाली लड़कियों ने अपने ऊपर हुए जुल्म की जो कहानी बतायी है, वे रोंगटे खड़े करने वाले हैं. लड़कियों के ये बयान धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किये गये हैं. पुलिस ने गुुरुवार को इस कांड (संख्या 33/18) में दस आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर […]
मुजफ्फरपुर : बालिका गृह में रहनेवाली लड़कियों ने अपने ऊपर हुए जुल्म की जो कहानी बतायी है, वे रोंगटे खड़े करने वाले हैं. लड़कियों के ये बयान धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किये गये हैं. पुलिस ने गुुरुवार को इस कांड (संख्या 33/18) में दस आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया.
आरोप पत्र में लड़कियों के मेडिकल जांच और 164 के तहत दिये गये बयान की भी चर्चा की गयी है.15 साल की एक किशोरी ने चार जून को दिये अपने बयान में कहा है- ‘जो वहां का सर था बरजीश (शायद यह नाम ब्रजेश है), वह मेरे साथ बलात्कार किया था. इस गलत काम में वहां का पूरा स्टाफ मिला हुआ था.’ कोर्ट में जो बयान दाखिल किये गये हैं, उसमें चार लड़कियों के बयान में ब्रजेश ठाकुर का नाम आया है.
दस साल की एक लड़की ने कहा है कि खाने में उसे नशे की गोलियां मिला कर दी जाती थीं. बेहोशी छाने पर आंटी बोलती थी कि ब्रजेश सर के कमरे में जाकर सो जाओ. कोई आपसे मिलने आयेगा. सुबह उठने पर आंटी बोलती थी कि इसका काम हो गया है. सब गलत काम की बात करती थी.
उसने किरण, नीलम, चंदा व हेमा का नाम बयान में लिया है और कहा है कि ये सभी मारपीट करती थी. ये सभी एनजीओ के कर्मचारी हैं. एक और लड़की ने बयान दिया है- बरजीश सर लड़कों को बुला कर हमारे साथ गलत काम करवाते थे. बाद में मारपीट किया करते थे.
घेरे में बाल कल्याण समिति . जांच में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दिलीप वर्मा व सदस्य विकास कुमार पर भी आरोप है. विकास की तो बच्चियों ने पहचान की, जिसके आधार पर उसे जेल भेज दिया गया. वहीं दिलीप फरार है. पुलिस उसके घर की कुर्की करने की तैयारी में है.
लड़कियों के बयान ने बतायी हकीकत
रविशंकर उपाध्याय
पटना : मुजफ्फरपुर बालिका गृह में हुए कुकर्म से रोज पर्दा उठ रहा है. महिला थाना प्रभारी को दिये गये बयान में दस साल की लड़की ने कहा है कि बालिका गृह में उसके साथ गलत काम होता था. एक 14 साल की लड़की ने गायघाट में इलाज करा रहे डॉक्टरों को बताया है कि जब उसने एक ग्राहक से संबंध बनाने से इंकार किया था तो उसके बदन और प्राइवेट पार्ट को सिगरेट से जला दिया गया था. उस लड़की के जेहन में वे खौफनाक यादें अभी तक कैद हैं, जिसकी याद आते ही
वह सिहर जाती है. शरीर पर दर्जनों दाग . पटना सिटी स्थित गायघाट निशांत गृह में रिहैबिलिटेशन के लिए लायी गयी उस नाबालिग लड़की ने बताया कि जब उसे पहली बार एक आदमी के साथ सोने के लिए कहा गया तो वह आग बबूला हो उठी. इसके बाद उसने आदमी का सर फोड़ दिया. इसके बाद उस पर आफत आ गयी और उस ग्राहक के साथ अन्य साझेदारों ने सिगरेट से उसके तन बदन को सिगरेट से कई बार दाग दिया. यही नहीं उसके प्राइवेट पार्ट को भी दागने से नहीं छोड़ा गया. उसके पूरे शरीर पर दर्जनों दाग अभी भी कुकर्मों की कहानी कह रहे हैं.
नंगा कर छत पर मारते थे . ज्यादातर लड़कियों ने बयान दिया है कि उन्हें नंगा कर मारा पीटा जाता था. एक मूक बधिर लड़की के अनुसार उसके कपड़े खोल कर छत पर ले जाकर मारपीट किया जाता था. वह इसके आगे कुछ इशारा नहीं कर सकी. सभी ने यह बताया कि उन्हें गलत काम करने के लिए मजबूर किया जाता था. इधर एक लड़की इतना डिप्रेस हो गयी कि दुष्कर्म के बाद अपने जीवन को समाप्त करने के लिए कई बार नस काट लिया था.
उसने समझाने के लिए पहुंची बाल कल्याण समिति पटना की चेयरमैन मंजू सिन्हा पर ही हमला बोल दिया. अभी निशांत गृह में रोज उसके जख्मों पर मरहम लगाया जाता है. डॉक्टर उसके साथ हुई हैवानियत को देख सदमें में हैं. वे उसे कहते हैं कि सबकुछ ठीक हो जायेगा. इसी उम्मीद में इनकी जिंदगी पटरी पर आ रही है.
बालिका गृह में तीन मौतों की हुई जांच
मुजफ्फरपुर:बालिका गृह में तीन साल के दाैरान तीन बच्चियों की मौत हाे चुकी है. गुरुवार को एसकेएमसीएच के पोस्टमार्टम रिपोर्ट से रिकार्ड का मिलान किया गया. एसएसपी हरप्रीत कौर ने बताया कि 19 नवंबर 2015 व 28 जून 2017 को दो बच्चियों की मौत का रिकार्ड मिला है. एक की मौत फेफड़ा व दूसरे की मौत कार्डियो वैस्कूलर फेल होने से हुई थी. तीसरे की मौत की वजह विसरा रिपोर्ट से मिलेगी.रिपोर्ट शुक्रवार को मिलने की संभावना है.
दिल्ली व यूपी पहुंची टीम, जांच शुरू. बालिका गृह से गायब छह लड़कियों में तीन का पता चल गया है. शेष तीन के बारे में पता लगाया जा रहा है.रजिस्टर में दर्ज सभी लड़कियों के नाम व पते पर विशेष टीम जांच कर रही है.पता चला कि यूपी के इटावा व दिल्ली की दो लड़कियों बालिका गृह से गायब है. इसके लिए दिल्ली व यूपी में टीम गयी है.
जांच में अब तक
पुलिस ने तीन जून को सेवा संकल्प एवं विकास समिति से जुड़े आठ लोगों को गिरफ्तार किया था. इनमें ब्रजेश ठाकुर के अलावा किरण कुमारी (चकना, सरैया), चंदा कुमारी (छोटी कल्याणी), मंजू देवी (रामबाग), इंदु कुमारी (संजय सिनेमा रोड, ब्रह्मपुरा), हेमा मसीह (पुरानी गुदरी नगर), मीनू देवी (रामपुर, एकमा) तथा नेहा (मालीघाट, मिठनपुरा) शामिल हैं.
इनकी जमानत निचली अदालत से खारिज हो चुकी है. कई ने जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया है. मुजफ्फरपुर से मधुबनी, मोकामा और पटना भेजी गयीं बच्चियों का मेडिकल टेस्ट कराया जा चुका है. अधिकारियों के मुताबिक, 44 में से 42 बच्चियों का मेडिकल कराया गया, जिनमें 29 से यौन शोषण की पुष्टि हुई.
मुख्य संरक्षक है ब्रजेश ठाकुर
पुलिस ने इस मामले में सहायक निदेशक का बयान दर्ज किया. जिसमें उन्होंने बताया कि साहू रोड में बालिका गृह अवस्थित है. सेवा संकल्प एवं विकास समिति के मुख्य संरक्षक ब्रजेश ठाकुर हैं. उन्होंने वहां काम करने वाले 13 लोगों के नाम का खुलासा किया.
जिसमें इंदू कुमारी आवास अधीक्षका, मंजू देवी परामर्शी, हेमा मसीह प्रोवेशन अधिकारी, मीनू देवी गृह माता, नेहा कुमारी नर्स स्पेशल यूनिट, किरण कुमारी हेल्पर, चंदा देवी गृह माता, केपी गुप्ता लेखा पाल सह भंडार पाल, मुन्नी देवी नर्स, मंजू देवी रसोइया, कुसुम देवी स्वीपर, किरण मसीह व्यवसायिक परीक्षक, पूजा भारती स्पेशल एजुकेटर का नाम बताया.
पांच साल में तीन बड़ी लापरवाही
बालिका गृह के संचालन की जिम्मेदारी सेवा संकल्प समिति को 2013 में सौंपी गयी थी. लड़कियों के साथ यौन दुर्व्यवहार का मामला भले अब जाकर उजागर हुआ, लेकिन लड़कियों ने जो बयान दर्ज कराये हैं, उनके मुताबिक यह सब काफी पहले से होता रहा है. हर स्तर पर लापरवाही बरती गयी.
हर निरीक्षण के बाद लिख दिया – ओके
पांच साल के दौरान कई अधिकारियों ने बालिका गृह का निरीक्षण किया. हर निरीक्षण में अधिकारियों ने वहां सब कुछ ठीक पाया और रजिस्टर पर ‘ओके’ लिखा. टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीस) मुंबई की टीम जब जनवरी माह में सोशल ऑडिट करने पहुंची तो बालिका गृह में लैंगिंग दुर्व्यवहार से लेकर कई स्तर पर गड़बड़ी मिली.
गुरुवार को पटना से सीआईडी की एक टीम डीएसपी के नेतृत्व में जांच में ओके लिखने वाले अधिकारियों के बारे में जांच करने पहुंची. यह बात भी आयी है कि विभागीय अधिकारी और बाल कल्याण समिति के सदस्य केवल कागज पर ही जांच करते थे.
टिस की टीम के आने से पहले सिर्फ एक बार अधिकारियों ने निरीक्षण किया और सभी चीजाें को दुरुस्त लिखा था.सीआईडी के वरीय अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि बालिका गृह का निरीक्षण मार्च, 2018 में हुआ है. इस निरीक्षण में सभी अधिकारियों ने ‘ओके’ लिखा है. देखने से लग रहा है कि सिर्फ सतही जांच की जाती थी.
पूर्व डीएम ने नहीं खाली कराया बालिका गृह
बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ हरपाल कौर 21 दिसंबर, 2017 को बालिका गृह का निरीक्षण करने पहुंची थीं. उन्होंने जनवरी माह में तत्कालीन डीएम धर्मेंद्र सिंह को बालिका गृह खाली कराने की रिपोर्ट दी थी.
लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी. उन्होंने निरीक्षण में पाया था कि बालिका गृह में बच्चियों की स्थिति ठीक नहीं है. कई बच्चियाें की हालत खराब थी. 2013 से 2018 के बीच कई टीमें बालिका गृह में जांच करने पहुंची. लेकिन किसी ने सीसीटीवी नहीं लगे होने पर आपत्ति नहीं जतायी. हालांकि मार्च माह में निरीक्षण के दौरान बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक ने सीसीटीवी की अनुशंसा की थी.
लेकिन उनकी अनुशंसा पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. निरीक्षण प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि बालिका गृह में में सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं. हालांकि नियमित निरीक्षण नहीं होने पर सीआईडी भी सवाल उठा रही है. सूत्रों के अनुसार जब लगातार निरीक्षण करना है सीधे मार्च में क्यों निरीक्षण किया गया. निरीक्षण नहीं होने के पीछे कोई दवाब था या और कोई वजह.
ढाई माह तक दबाकर रखी गयी टिस की रिपोर्ट
टीस की कोशिश टीम ने जनवरी में प्रदेश के सभी बालिका गृह का निरीक्षण किया था. 15 मार्च, 2018 को 250 पन्ने में समाज कल्याण विभाग को रिपोर्ट सौंप दी थी. मई के अंतिम सप्ताह में यह रिपोर्ट मुजफ्फरपुर पहुंची. चार दिन बाद 31 मई को महिला थाने में सहायक निदेशक ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी.यानी ढाई माह तक रिपोर्ट को दबाकर रखा गया है. इसे लेकर भी सवाल खड़ा हो रहे हैं कि आखिर रिपोर्ट को दबाकर क्यों रखा गया था.
टिस की कोशिश टीम की रिपोर्ट के अनुसार बालिका गृहों में दिव्यांग बच्चों की देखभाल के लिए कर्मचारियों को कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया था. इस कारण तीन साल के बच्चे ठीक से नहीं बोल पा रहे थे. रिपोर्ट के अनुसार बाल गृहों में बच्चों के इलाज के लिए डॉक्टर ठीक से इलाज नहीं करते.
इमरजेंसी की स्थिति में बच्चियों को सरकारी अस्पताल में दिखाया जाता है, निजी अस्पताल में बच्चियों का इलाज नहीं कराया जाता था. रिपोर्ट में कई और जिलों के बाल गृहों में अव्यवस्था उजागर की गयी है.
सेवरल गर्ल्स रिपोर्टेड अबाउट वायलेंस एंड एबुज्ड सेक्सुअली
टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइंस (िटस) मुंबई की एक टीम ने दिसंबर माह में पूरे प्रदेश के बालिका गृह, बाल गृह व अल्पावास गृह का सोशल ऑडिट की थी. 26 मई को टीस की रिपोर्ट निदेशक को मिली थी, जिसमें लिखा गया है-द गर्ल चिल्ड्रेन होम इन मुजफ्फरपुर रन बाई सेवा संकल्प एवं विकास समिति वाज बोथ फाउंड बाई अस टू बी रनिंग इन ए हाइली क्वेश्चनेबल मैनर एलांग वीथ ग्रेव इंसटेंस ऑफ वायलेंस. सेवरल गर्ल्स रिपोर्टेड अबाउट वायलेंस एंड एबुज्ड सेक्सुअली. दीस इज ए वेरी सीरियस एंड नीड्स टू बी फरदर इंवेस्टीगेटेड प्रांप्मटली. इमिडियेट लीगल प्रोसिडियोर मस्ट बी फॉलोड टू इन्कायर इंनटू चार्जेज एंड करेक्टिव मीजर बी टेकेन.
मुजफ्फरपुर : कपड़े धुलवाते थे, खाना बनवाते थे
मृत्युंजय
मुजफ्फरपुर : टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) ने राज्य के बालिका गृहों पर जो रिपोर्ट तैयार की थी, वह इन संस्थाओं की भयावह तस्वीर पेश करती है. 250 पेज की यह रिपोर्ट दो माह पहले समाज कल्याण विभाग को सौंपी गयी थी. इसी रिपोर्ट ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह में यौन शोषण का मामला उजागर किया और प्राथमिकी दर्ज हुई. रिपोर्ट में टिस की कोशिश टीम ने बालिका गृह में बच्चियों के गर्भवती होने की आशंका जतायी थी. कहा गया था – इस बात की संभावना है कि कुछ लड़कियां गर्भवती हैं और उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मुजफ्फरपुर सहित दूसरे बालिका गृहों में भी पढ़ाई नहीं होती है.
गृहों में पढ़ाने वाला कोई नहीं है. कक्षाएं तभी चलती हैं, जब कोई निरीक्षण किया जाता है. गृह में पढ़ाई के लिए किताबें भी नहीं पायी गयीं. रिपोर्ट के शुरुआत में ही बालक व बालिका गृहों की खराब हालत का जिक्र किया गया है.
बाल और बालिका गृहों में टीकाकरण नहीं होने से कई बीमारियां पायी गयीं. कोशिश टीम के सदस्यों को बच्चों ने बताया कि उन्हें बीमारियों से बचाव के टीके नहीं लगाये गये. टीके नहीं लगने से बच्चों में कई बीमरियां हो गयीं. उन्हें कई संक्रमण हो गये. तीन बालिका गृहों को कोशिश टीम ने उम्दा बताया है. इसमें दरभंगा, बक्सर और सारण हैं.
सीबीआई जांच से पहले
ब्रजेश व दिलीप की संपत्ति का ब्योरा जुटा रही पुलिस. आरोपित ब्रजेश ठाकुर व बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दिलीप वर्मा समेत अन्य की संपत्ति का ब्योरा पुलिस जुटा रही है. इसके लिए कई बैंकों व निबंधन विभाग से संपर्क स्थापित किया गया है.
सीआईडी की टीम पहुंची. टीम यह देखेगी कि जब बच्चियां बालिका गृह लायी गयीं तो उस समय उनकी मेडिकल जांच किस स्तर से हुई. दुष्कर्म की पुष्टि मेडिकल में हुई या नहीं. आरोपियों के मोबाइल की जांच होगी. ब्रजेश ठाकुर के करीबियों से पूछताछ कर सकती है.
बिहार सरकार व डीजीपी को नोटिस भेजा
नयी दिल्ली़ : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौनशोषण मामले में बिहार सरकार और राज्य के डीजीपी को नोटिस भेजा है. आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उसने मीडिया की एक खबर पर स्वत : संज्ञान लेते हुए बिहार के डीजीपी और मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जांच करने और दो हफ्ते में रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है.
कड़े प्रावधान होते तो घटना नहीं होती : मेनका
नयी दिल्ली़ : केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि ऐसे अपराधों के संदर्भ में अगर इस तरह के संरक्षण गृहों के संचालकों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान होता, तो ऐसी घटना नहीं होती. मंत्री ने व्यक्तियों का दुर्व्यापार (निवारण, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक-2018′ पर चर्चा का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की.
कब क्या हुआ
जनवरी, 2018 : टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) की टीम ने राज्य के बालिका गृहों की स्थिति की ऑडिट रिपोर्ट समाज कल्याण विभाग को सौंपी. रिपोर्ट में लड़कियों के साथ यौन दुर्व्यवहार का खुलासा किया गया. इसमें मुजफ्फरपुर के साहू रोड स्थित बालिका गृह में भी कई गड़बड़ी की शिकायतें दर्ज थीं.
26 मई, 2018 : रिपोर्ट समाज कल्याण विभाग के निदेशक तक पहुंची.
01 जून, 2018 : बालिका गृह को खाली कराया गया. 44 बच्चियों को पटना, मोकामा और मधुबनी भेजा गया. समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक दिवेश शर्मा के बयान के आधार पर महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई.
02 जून : पुलिस ने ब्रजेश ठाकुर समेत आठ को थाने में बुलाकर पूछताछ शुरू की. पुलिस टीम बालिका गृह में गयी. सील किया गया, कागजात जब्त किये गये.
03 जून : बालिका गृह के संरक्षक ब्रजेश ठाकुर समेत आठ लोग गिरफ्तार किये गये. महिला आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा ने बालिका गृह का निरीक्षण किया. कहा कि यहां जेल से भी बदतर व्यवस्था है.
04 जून : पीड़ित लड़कियों की मेडिकल जांच. लड़कियों ने कुछ लोगों के नाम बताये.
05 जून : बाल कल्याण समिति के सदस्य विकास कुमार गिरफ्तार. कुछ बच्चियों के गर्भवती होने की पुष्टि.
07 जून : ब्रजेश ठाकुर की जमानत अर्जी पर कोर्ट में सुनवाई.
09 जून : राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सुषमा साहू ने बालिका गृह का दौरा किया. कहा- 15 बच्चियों से दुष्कर्म हुआ. सिद्दिकी लेन से अल्पावास गृह खाली कराया गया. इसके संचालन का जिम्मा भी सेवा संकल्प समिति के जिम्मे था.
14 जून : ब्रजेश समेत सभी की जमानत अर्जी खारिज.
20 जून : ब्रजेश ठाकुर समेत छह आरोपितों को रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट में अर्जी दायर.
21 जून : कोर्ट ने आरोपितों को पुलिस रिमांड पर देने से इन्कार किया. कहा- गिरफ्तारी के बाद विलंब से अर्जी दाखिल हुई.
25 जून : 22 बच्चियों के बयान कोर्ट में. नशे की दवा खिला रेप की बात कही गयी.
27 जून : बाल संरक्षण अधिकारी रवि रोशन गिरफ्तार.
29 जून : पुलिस ने रवि रोशन को रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू की.
03 जुलाई : सीबीआई जांच के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर
05 जुलाई : बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दिलीप वर्मा पर वारंट
19 जुलाई : यौनशोषण की शिकार एक बच्ची की हत्या की आशंका
21 जुलाई : ब्रजेश के आवासीय परिसर की खुदाई के लिए शीला रानी को मजिस्ट्रेट बनाया गया.
23 जुलाई : बालिका गृह परिसर की जमीन की जेसीबी से खुदाई. शव का अवशेष नहीं मिला. लोस व विधानसभा में मामला उठा.
24 जुलाई : गृह मंत्री ने कहा-सीबीआई जांच को तैयार. डीजीपी बोले-जांच में पुलिस सक्षम.
25 जुलाई : तेजस्वी के नेतृत्व में विपक्ष पहुंचा सीबीआई जांच की मांग.