आज से 120 साल पहले मुजफ्फरपुर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं में काफी कमी थी. 1904 में मुजफ्फरपुर जिले में वैशाली, शिवहर और सीतामढ़ी शामिल था. उस समय जिले की अनुमानित जनसंख्या करीब 30 लाख थी, जो 1931 की जनसंख्या में बढ़ कर 43 लाख हो गयी. वर्ष 1904 में पूरे जिले में सिर्फ पांच पब्लिक डिस्पेंसरी थी.
मुजफ्फरपुर में महेश्वर चैरिटेबल डिस्पेंसरी के अलावा हाजीपुर, रूनीसैदपुर, सीतामढ़ी और सुरसंड में डिस्पेंसरी थी. उस दौरान 561 प्राइवेट मेडिकल प्रैक्टिशनर और 25 डिप्लोमाधारी मेडिकल प्रेक्टिसनर थे. डॉक्टरों की संख्या 586 थी. इस लिहाज से देखा जाये तो उस वक्त पांच हजार की आबादी पर एक डॉक्टर थे. मरीजों को इलाज के लिये लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी.
जिला गजेटियर के अनुसार 1905 में डिस्ट्रिक्ट बोर्ड की तरफ से पारु और महुआ में पब्लिक डिस्पेंसरी की शुरुआत हुई थी. जिले में दो प्राइवेट डिस्पेंसरी बाघी और परिहार में खुले. बाघी डिस्पेंसरी को स्थानीय जमींदार और परिहार डिस्पेंसरी को दरभंगा राज के मार्फत चलाया जाता था.
अब 2500 की आबादी पर जिले में एक डॉक्टर
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार सूबे में 22 हजार की आबादी पर एक डॉक्टर हैं, लेकिन मुजफ्फरपुर में ऐसी स्थिति नहीं है. यहां फिजिशियन और विशेषज्ञ निजी डॉक्टरों की संख्या करीब 1500 है. आइएमए, आइडीए और आइपीए के आंकड़ों के अनुसार जिले में करीब 2000 डॉक्टर निबंधित हैं, इसमें से करीब 1800 डॉक्टर जिले में प्रैक्टिस करते हैं. इसके अलावा सरकारी डॉक्टरों की संख्या भी करीब 200 है.
वर्ष 1904 में मुजफ्फरपुर में कई जिले मिले हुये थे तो आबादी करीब 30 लाख थी, लेकिन वैशाली, शिवहर और सीतामढ़ी के अलग जिला बनने के बाद मुजफ्फरपुर की आबादी करीब 50 लाख है. इस लिहाज से देखा जाये तो यहां 2500 व्यक्ति पर एक डॉक्टर हैं. हालांकि 120 साल बाद भी मुजफ्फरपुर में आबादी के हिसाब से डॉक्टरों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो पायी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार प्रति एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए.
Also Read : बिहार में एक स्कूल ऐसा भी, दो शिक्षक के भरोसे आठ कक्षाओं में पढ़ रहे 600 बच्चे