नयी दिल्ली : मुजफ्फरपुर आश्रयगृह में नाबालिग लड़कियों के कथित यौन उत्पीड़न मामले में सीबीआई ने चार लोगों को हिरासत में लिया है. इनमें बिहार के समाज कल्याण विभाग की एक अधिकारी भी शामिल हैं. अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी. मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) के एक सामाजिक ऑडिट में सरकार द्वारा वित्तपोषित आश्रयगृह में लंबे समय से 34 लड़कियों का यौन उत्पीड़न होने का मामला सामने आया था.
अधिकारियों ने बताया कि निरीक्षण के दौरान समाज कल्याण विभाग की सहायक निदेशक रोजी रानी को पीड़ितों ने उत्पीड़न के बारे में जानकारी दी थी, लेकिन उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया. सीबीआई ने रानी के अलावा मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर के स्टाफ गुड्डू, विजय और संतोष को हिरासत में लिया है. ठाकुर का एनजीओ यह आश्रयगृह चलाता था. अधिकारियों ने बताया कि यह मामला यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) कानून से जुड़ा हुआ है और रानी ने यौन उत्पीड़न झेल रही नाबालिग लड़कियों से शिकायतें मिलने के बावजूद कथित तौर पर कार्रवाई नहीं की. इसलिए उन्हें अपराध के लिए उकसाने के आरोपों का सामना करना पड़ सकता है.
उन्होंने बताया कि स्टाफ के तीनों सदस्यों ने भी बालिका गृह का कथित तौर पर दौरा किया था और एजेंसी को अपराध में उनकी संलिप्तता का संदेह है. एजेंसी ने ठाकुर की चल एवं अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने के साथ ही 20 बैंक खातों में लेन-देन पर भी रोक लगा दी है. उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले की जांच पर मीडिया रिपोर्टिंग पर लगाई गई रोक हटा दी. पटना उच्च न्यायालय ने यह रोक लगायी थी.