बालिका गृह यौन शोषण कांड : दस साल में ब्रजेश ठाकुर ने 35 गाड़ियां खरीदी थी, होगी जांच
मुजफ्फरपुर : बालिका गृह कांड की जांच कर रही सीबीआई ब्रजेश ठाकुर की पृष्ठभूमि, उसके प्रभाव और संपर्कों की भी जांच करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को यह निर्देश दिया है. गुरुवार को बालिका गृह कांड की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने छह पेज का आदेश जारी किया है. इसमें कहा गया है- ‘ब्रजेश […]
मुजफ्फरपुर : बालिका गृह कांड की जांच कर रही सीबीआई ब्रजेश ठाकुर की पृष्ठभूमि, उसके प्रभाव और संपर्कों की भी जांच करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को यह निर्देश दिया है. गुरुवार को बालिका गृह कांड की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने छह पेज का आदेश जारी किया है. इसमें कहा गया है- ‘ब्रजेश ठाकुर एक प्रभावशाली व्यक्ति है और उसके पड़ोस के लोग उसके खिलाफ कोई शिकायत करने से डरते रहे हैं. वास्तव में ऐसा पाया गया है कि पड़़ोसियोंं ने शेल्टर होम की बालिकाओं की चीत्कार सुनी थी, लेकिन ब्रजेश के आतंक की वजह से उन्होंने इसे किसी को नहीं बताया.
पारित आदेश में यह भी दर्ज है कि ब्रजेश के एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति को दस वर्षों में 4.5 करोड़ रुपये बिहार सरकार से मिले थे. इस अवधि में उसने 35 वाहन खरीदे. कोर्ट ने कहा है कि आयकर विभाग को ब्रजेश ठाकुर और उसके एनजीओ की आय और संपत्ति की जांच करनी चाहिए. कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह मुख्य आयकर आयुक्त या आयुक्त से जांच के लिए औपचारिक अनुरोध करे.
टिस की रिपोर्ट के पहले ही ट्रांसफर की गयी लड़कियां.
सीबीआई इस बात की भी जांच करेगी कि समाज कल्याण विभाग द्वारा मुजफ्फरपुर बालिका गृह से 20 मार्च, 2018 को किन परिस्थितियों में कुछ लड़कियों को स्थानांतरित किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में जांच का निर्देश दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है- यह स्पष्ट नहीं है कि इन लड़कियों को क्यों ट्रांसफर किया गया, जबकि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) की रिपोर्ट मई, 2018 में समाज कल्याण विभाग को मिली थी. ऐसा प्रतीत होता है कि बालिका गृह में चल रहे घृणित कार्य की जानकारी पहले से थी. मालूम हो कि टिस की ऑडिट रिपोर्ट से ही बालिका गृह में यौन शोषण का खुलासा हुआ था.
मिठनपुरा थानेदार ने आरोपितों को हाजत में रखने में जतायी असमर्थता
मुजफ्फरपुर : बालिका गृहकांड में जेल भेजे गये रोजी रानी समेत चार आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद मिठनपुरा थानेदार ने इन्हें थाना हाजत में रखने में असमर्थता व्यक्त की थी. इसके बाद सीबीआई के अधिकारी कुछ देर के लिए असहज हो गये. कुछ देर बाद आरोपितों को नगर थाना ले जाया गया. वहां हाजत में सभी आरोपितों को रात भर रखा गया.
आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद सीबीआई सभी को लेकर मिठनपुरा थाना पहुंची. वहां हाजत में कुछ देर तक आरोपितों को रखा गया. इसी दौरान पहुंचे मिठनपुरा थानेदार विजय प्रसाद राय ने सीबीआई को हाजत की स्थिति ठीक नहीं होने का हवाला दिया. उन्होंने हाजत से कैदी के भाग जाने की बात कहते हुए असमर्थता व्यक्त की. इसके बाद सीबीआई देर रात आरोपितों को नगर थाना ले गयी.
सेवा संकल्प समिति के सदस्यों के खाते फ्रीज
मुजफ्फरपुर : बालिका गृह कांड से जुड़े सेवा संकल्प विकास समिति के पदेन सदस्यों के खातों के संचालन पर रोक लगा दिया गया है. डीएम मो सोहैल ने एलडीएम को निर्देश जारी कर कहा है समिति के पद धारक सदस्यों के बैंक खातों के संचालन पर रोक लगाये. इसको लेकर सभी बैंकों को तत्काल निर्देश जारी करें. मद्य निषेध उत्पाद व निबंधन विभाग के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि उक्त संस्था के तहत संचालित बालिका गृह के कर्मियों व संचालक पर बच्चियों के साथ मानसिक व शारीरिक शोषण का आरोप है.
इसकी गहनतम जांच की जा रही है. मामले की गंभीरता को देखते हुए उक्त समिति के सदस्यों से जुड़े सदस्यों के बैंक खातों के संचालन पर रोक लगाना आवश्यक है.
सेवा संकल्प समिति के सदस्य. सेवा संकल्प एवं विकास समिति के सदस्यों में ब्रजेश ठाकुर की पत्नी प्रो डॉ आशा, साला संजय कुमार सिंह व चचेरे भाई रमेश कुमार भी हैं. इसके अलावा चार अन्य रिश्तेदार व दोस्त हैं. ब्रजेश के साला रोहुआ मुशहरी निवासी संजय कुमार सिंह सेवा संकल्प एवं विकास समिति संस्था के अध्यक्ष हैं. चचेरे भाई सिलौत पचदही के रहने वाले रमेश कुमार को सचिव बना रखा था. पत्नी प्रो (डॉ) आशा बतौर सदस्य नामित हैं.
कोषाध्यक्ष कांटी असनगर के रहनेवाले प्रयागनाथ तिवारी उर्फ मुन्ना, बतौर कार्यकारिणी के सदस्य रघुवंश रोड निवासी किरण पोद्दार, गन्नीपुर निवासी संगीता सुभाषिणी व साहू रोड निवासी संजीता कुमारी नामित थी.
रोजी रानी के कामकाज का कच्चा चिट्ठा विभाग को भेजा
मुजफ्फरपुर : बालिका गृहकांड में गिरफ्तार बाल संरक्षण इकाई की तत्कालीन सहायक निदेशक रोजी रानी के कामकाज की पूरी रिपोर्ट शनिवार को निदेशालय भेज दी गयी. छुट्टी का दिन होने के बावजूद कार्यालय खोल कर तीन साल के कामकाज पूरा ब्योरा निकाला गया. इस समय रोजी रानी मुजफ्फरपुर में सहायक निदेशक थीं.
इस मामले में वह निलंबित हैं और उन पर विभागीय कार्रवाई चल रही है. निदेशालय सूत्रों के अनुसार, रोजी रानी के कामकाज और निरीक्षण की जांच सीबीआई भी कर रही है. इसलिए विभाग से दस्तावेज मंगा कर उसे जांच एजेंसी को सौंपा जा सकता है.
सौ पन्ने की है रिपोर्ट. बाल संरक्षण इकाई ने करीब सौ पेज की रिपोर्ट तैयार की है. इसमें निरीक्षण से लेकर बालिका गृह की रिपोर्ट है. निदेशालय की ओर से पत्र जारी कर 2013 से 16 तक की निरीक्षण रिपोर्ट इकाई से मांगी गयी थी.
अपनी ही रिपोर्ट पर नप गयीं रोजी रानी
समाज कल्याण विभाग ने रोजी रानी की ही 11 बार जांच कर ओके रिपोर्ट पर उन पर विभागीय कार्रवाई कर रहा है. रोजी रानी अभी निलंबित हैं. समाज कल्याण विभाग के निदेशक राज कुमार ने पिछले दिनों पत्र जारी कर रोजी रानी, दिवेश शर्मा सहित कई सहायक निदेशकों पर विभागीय कार्रवाई शुरू की है. रोजी रानी पर आरोप है कि नौ बार बालिका गृह की जांच के बाद भी उन्हें वहां होनेवाली गड़बड़ी की भनक तक नहीं लगी.
बिना निरीक्षण सौंप दी 11 बार जांच रिपोर्ट!
बाल संरक्षण की पूर्व सहायक निदेशक रोजी रानी द्वारा समाज कल्याण विभाग को बालिका गृह की 11 बार भेजी गयी जांच रिपोर्ट पर सवाल खड़े हो गये हैं. बाल संरक्षण इकाई में सिर्फ तीन बार की ही निरीक्षण रिपोर्ट है. इसमें रोजी रानी के समय की सिर्फ एक रिपोर्ट अक्टूबर 2015 की है. इसके बाद दो रिपोर्ट है जो नंवबर 2017 और मार्च 2018 की है.
इस समय सहायक निदेशक दिवेश शर्मा थे. तीन साल में रोजी रानी को 12 बार निरीक्षण करना चाहिए था. इस बीच वर्ष 2015 में ही समाज कल्याण विभाग ने हर महीने बालिका गृह की जांच का निर्देश सभी जिलों को भेजा था. लेकिन विभागीय सूत्रों की मानें, तो जांच की जगह सिर्फ ओके रिपोर्ट विभाग को सौंप दी गयी.