..मन को गंगा हो जाने दो

मुजफ्फरपुर: महाकवि आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री बड़े कवि व समर्थ रचनाकार थे. उनकी कृति भाव, भाषा व शिल्प की विविधताओं के बावजूद शाश्वत, नवीनव युग सत्य से भरा हुआ है. ये बातें शनिवार को निराला निकेतन में आयोजित महावाणी स्मरण में बेला के संपादक डॉ संजय पंकज ने कही. डॉ पंकज ने कहा कि आचार्य श्री […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 8, 2014 11:05 AM

मुजफ्फरपुर: महाकवि आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री बड़े कवि व समर्थ रचनाकार थे. उनकी कृति भाव, भाषा व शिल्प की विविधताओं के बावजूद शाश्वत, नवीनव युग सत्य से भरा हुआ है.

ये बातें शनिवार को निराला निकेतन में आयोजित महावाणी स्मरण में बेला के संपादक डॉ संजय पंकज ने कही. डॉ पंकज ने कहा कि आचार्य श्री के गद्य साहित्य में समय का साक्षात्कार व ऊर्जा का उल्लास साफ-साफ देखा जा सकता है. इससे पूर्व आचार्य श्री की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. स्वागत भाषण रोटरी आम्रपाली के निदेशक एचएल गुप्ता ने किया.

कार्यक्रम में डॉ शारदाचरण ने गीत जीते रहे सदा मन भावन, युग-युग के रिश्ते सुनाया तो माहौल प्रेम रस से भींग गया. कृष्णमोहन प्रसाद का गीत गीत पुलक कर मन पखार कर, मन को गंगा हो जाने दो सुना कर लोगों की तालियां बटोरी. डॉ विजय शंकर मिश्र के गीत जब मिला लौ तेज रही, जब स्नेह हटा लौ मंद हुई, रेशा-रेशा जल कर भी जलता हूं दिन रात का संदेश देती रही सुना कर लोगों की तालियां बटोरी. इस मौके पर रामनंदन राय, गणोश सारंग, हरिनारायण गुप्ता, अमरनाथ मेहरोत्र, भुवनेश शुक्ला, शारदानंद झा, माधवेंद्र वर्मा, श्रवण कुमार, ललन कुमार सिंह व इंद्रमोहन मिश्र महफिल की रचनाएं सराही गयी. धन्यवाद ज्ञापन जयमंगल मिश्र ने किया.

Next Article

Exit mobile version