मुजफ्फरपुर : पीएचडी में ”रिसर्च” कर रहा विवि !

धनंजय पांडेय मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विश्वविद्यालय नये व क्वालिटी बेस्ड रिसर्च को बढ़ावा देने की बजाय खुद पीएचडी में ‘रिसर्च’ करने लगा है. पांच अगस्त को पीजीआरसी (पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च काउंसिल) की बैठक में लिए निर्णय के बाद विवि ने नेट, जेआरएफ व एमफिल क्वालीफाइड स्टूडेंट के साथ ही बीपीएससी से चयनित नये शिक्षकों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 7, 2018 9:44 AM
धनंजय पांडेय
मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विश्वविद्यालय नये व क्वालिटी बेस्ड रिसर्च को बढ़ावा देने की बजाय खुद पीएचडी में ‘रिसर्च’ करने लगा है. पांच अगस्त को पीजीआरसी (पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च काउंसिल) की बैठक में लिए निर्णय के बाद विवि ने नेट, जेआरएफ व एमफिल क्वालीफाइड स्टूडेंट के साथ ही बीपीएससी से चयनित नये शिक्षकों का कोर्स वर्क शुरू कराने के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. सभी विभागों को पत्र भेजकर पात्रता पूरी करने वाले छात्र-छात्राओं का आवेदन लेने को कहा गया है.
दूसरी ओर, पिछले महीने हुई विवि की परीक्षा बोर्ड की बैठक में कोर्स वर्क के लिए पीआरटी कराने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गयी है. विवि के कई प्रोफेसरों का कहना है कि इसमें रेगुलेशन का पेच फंस सकता है. दरअसल, नये रेगुलेशन के तहत नेट, जेआरएफ व एमफिल क्वालीफाइड स्टूडेंट को पीआरटी से छूट दी गयी है. वहीं, नैक से ‘ए’ ग्रेड हासिल करने वाले विश्वविद्यालयों को ही पीआरटी कराने का अधिकार दिया गया है. कहा जा रहा है कि पिछले रेगुलेशन के आधार पर विवि पीआरटी कराने की तैयारी में है. ऐसे में भविष्य में रेगुलेशन को लेकर मामला फंस सकता है.
यूजीसी ने पीएचडी के लिये रेगुलेशन 2016 को मंजूरी देते हुए सभी विश्वविद्यालयों को इसी के तहत रिसर्च करानेको कहा है. हालांकि, विवि के प्रोफेसरों का कहना है कि नये रेगुलेशन में रिसर्च वर्क कठिन कर दिया गया है. अभी विवि में रेगुलेशन 2009 के तहत ही रिसर्च कराया जा रहा है. यह रेगुलेशन 2012 में लागू किया गया था. दरअसल, यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया है कि नये रेगुलेशन के तहत रिसर्च कराया जाये. ऐसे में बिहार विश्वविद्यालय पीएचडी को लेकर चल रही गतिविधियों को लेकर वरिष्ठ प्रोफेसर भी उलझन में है.
पीएचडी के लिए योग्यता : जेआरएफ, नेट, एमफिल, नियमित शिक्षक या पीआरटी.
विभिन्न विभागों में 400 से अधिक सीटें खाली: पीएचडी के लिये विभिन्न विभागों के साथ ही पीजी स्तर की पढ़ाई कराने वाले कॉलेजों के शिक्षकों के अंडर में पीएचडी के लिये 400 से अधिक रिक्तियां तैयार की गयी हैं.
इसमें भी कई विभागों से आवंटन शून्य दिखाने को लेकर छात्रों ने विरोध भी शुरू कर दिया है. हालांकि, कई विभागाध्यक्ष इस बात को लेकर उलझन में है कि जो रिक्ति तैयार की गयी है, उस पर पीआरटी क्वालीफाई करने वाले छात्रों का रजिस्ट्रेशन होगा या नेट, जेआरएफ व एफफिल वालों का.
रिसर्च कराने में मानक की अनदेखी: यूजीसी से प्रोफेसर के लिए आठ, असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए छह व लेक्चरर के लिए चार छात्रों को रिसर्च कराने का मानक तैयार किया गया है. विवि में इसकी अनदेखी करके कई शिक्षक मानक से अधिक छात्रों को अपने अंडर में रिसर्च करा रहे हैं. वहीं, उसी विभाग के कुछ शिक्षकों के अंडर में कोई रिसर्च नहीं हो रहा.
एआईडीएसओ ने की पीआरटी कराने की मांग : मुजफ्फरपुर. आॅल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को प्रोवीसी डाॅ आरके मंडल से मिला और कॉमर्स व इतिहास सहित सभी विभागों में रिक्त सीटों के आधार पर पीआरटी कराने की मांग की. जिला सचिव विजय कुमार ने कहा कि विवि प्रशासन चार साल बाद पीआरटी कराने की तैयारी में है. ऐसे में दो विषयों में आवंटन शून्य दिखाये जाने से छात्रों को निराशा हाथ लगेगी.मौके पर बद्री ओझा व सुबोध आदि थे.
नेट, जेआरएफ व एमफिल क्वालीफाई करने वाले छात्र-छात्राओं के साथ ही बीपीएससी से बहाल शिक्षकों का कोर्स वर्क कराने के लिये परीक्षा नियंत्रक ने पांच अगस्त को ही ऑफिस ऑर्डर जारी किया है. इसकी कॉपी सभी पीजी विभाग व संबंधित कॉलेजों में भेज दी गयी है. दूसरी ओर दो महीने बाद भी विवि के काउंटर पर कोर्स वर्क के लिये अप्लीकेशन फॉर्म नहीं मिल रहा. अकेले हिंदी विभाग में अब तक दर्जन भर अभ्यर्थियों ने रिसर्च के लिये संपर्क किया है. इसमें आधा दर्जन करीब नये टीचर्स हैं. विभाग से उन्हें विवि के काउंटर पर भेज दिया गया, जहां से फॉर्म उपलब्ध न होने के कारण वे लौट गये.

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