मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौनशोषण मामले : सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा, पॉस्को एक्ट के तहत केस दर्ज क्यों नहीं हुआ

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौनशोषण मामले में अब तक की पुलिस कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर की. इस मामले में बिहार सरकार के रवैये को अमानवीय व शर्मनाक करार दिया और पूछा कि क्या बच्चे देश का हिस्सा नहीं हैं? जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस अब्दुल एस नजीर और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2018 7:52 AM
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौनशोषण मामले में अब तक की पुलिस कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर की. इस मामले में बिहार सरकार के रवैये को अमानवीय व शर्मनाक करार दिया और पूछा कि क्या बच्चे देश का हिस्सा नहीं हैं?
जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस अब्दुल एस नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि पुलिस अपना काम सही तरीके से नहीं कर रही है.
आश्चर्य जताया कि आरोपितों के खिलाफ संगीन धाराओं के तहत मुकदमा तक दर्ज नहीं हुआ. सवाल किया कि बालिका गृह में बच्चों के साथ दुष्कर्म हुआ, फिर भी धारा-377 और पॉस्को एक्ट के तहत क्यों केस दर्ज नहीं हुआ? राज्य सरकार को 24 घंटे में (बुधवार दोपहर तक) एफआईआर में बदलाव करने का आदेश दिया. सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव को भी मौजूद रहने को कहा है. पिछली सुनवाई में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बेहद तल्ख तीखी टिप्पणी की थी.
मालूम हो कि मुजफ्फपुर शेल्टर होम में कई बच्चों से कथित तौर पर दुष्कर्म हुआ था. टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गयी एक ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सबसे पहले प्रकाश में आया था.
क्या बच्चे देश का हिस्सा नहीं हैं?
एफआईआर में धारा 377 का जिक्र क्यों नहीं?
24 घंटे में नयी धाराएं जोड़ने का आदेश
सरकार बताये गंभीर केस में कमजोर धारा क्यों
सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद राज्य के मुख्य सचिव से जानना चाहा कि पुलिस ने समय से एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की? बच्चों से दुष्कर्म के बाद भी एफआईआर में हल्की धाराएं क्यों जोड़ी गयीं? कोर्ट ने बिहार सरकार के वकील से कहा कि सरकार कहती है कि वह इस मामले को लेकर बेहद गंभीर है. क्या यही गंभीरता है?
बिहार सरकार ने सुधार का दिलाया भरोसा
बिहार सरकार ने कोर्ट को विश्वास दिलाया कि वह अपनी गलती सुधारेगी. इसके साथ ही सरकार ने कहा कि सभी शेल्टर होम एक ही संस्था के अंतर्गत हों, इसके लिए सरकार कदम उठा रही है. बिहार सरकार को जैसे ही शिकायत मिली, कार्रवाई शुरू कर दी गयी.

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