नयी दिल्ली : बिहार बाल कल्याण समिति के दो कर्मियों ने बुधवार को दिल्ली की एक अदालत के समक्ष दावा किया कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न कांड में उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ की अदालत में यह दलीलें दी गयीं. अदालत इस मामले के आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के बिंदुओं पर दलीलों की सुनवाई कर रही थी.
मामले के आरोपी और मुजफ्फरपुर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दिलीप कुमार वर्मा एवं इसके सदस्य विकास कुमार एवं राज्य के समाज कल्याण विभाग की कर्मी रोजी रानी ने अपनी बहस पूरी की. अन्य सह-आरोपियों की दलीलें गुरुवार को सुनी जायेंगी. वर्मा एवं कुमार के वकील ज्ञानेंद्र मिश्रा ने कहा कि कानून में प्रावधान है कि अभियोजन की ओर से सौंपे गये सारे दस्तावेजों की जांच पर विचार किया जायेगा. इनमें केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला एवं अन्य मेडिकल रिपोर्ट भी शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि अभियोजन की ओर से सौंपी गयी मेडिकल रिपोर्ट में ऐसे साक्ष्य नहीं हैं जिनसे यौन हमला एवं बलात्कार के आरोप के संकेत मिलते हों. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ कोई गंभीर आरोप नहीं हैं. रानी के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल पर यौन उत्पीड़न के लिए उकसाने का केस नहीं हो सकता और ज्यादा से ज्यादा उन पर कर्तव्य में शिथिलता का मामला दर्ज हो सकता है.