नक्सल क्षेत्र में लोकतंत्र का जयकारा

धनंजय पांडेय, मुजफ्फरपुर : तिरहुत तटबंध. सुबह के 10.17 बजे थे. तेज धूप अब असर दिखाने लगा था. तभी माधोपुर हजारी गांव के सामने चार महिलाएं सिर पर पल्लू संभालते तेजी से आगे बढ़ रही थीं. रुकने का इशारा किया, तो सभी चिलचिलाती धूप में ही खड़ी हो गयीं. वोट दे दिया, यह सवाल पूछते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 13, 2019 7:38 AM

धनंजय पांडेय, मुजफ्फरपुर : तिरहुत तटबंध. सुबह के 10.17 बजे थे. तेज धूप अब असर दिखाने लगा था. तभी माधोपुर हजारी गांव के सामने चार महिलाएं सिर पर पल्लू संभालते तेजी से आगे बढ़ रही थीं. रुकने का इशारा किया, तो सभी चिलचिलाती धूप में ही खड़ी हो गयीं. वोट दे दिया, यह सवाल पूछते ही दो महिलाओं ने उंगली दिखाते हुए ‘हां’ में जवाब दिया. दोनों बहू थीं, जो अपनी सास के साथ वोट देकर लौट रही थीं.

बुजुर्ग महिलाएं भी तबतक समझ चुकी थीं. वे बोलीं- इन दोनों ने जिद्द किया तो साथ लेते आये. ससुराल न है, कुछ शर्म-लाज भी होता है. लेकिन इनको समझाना हमारे वश का नहीं था, इसलिए लेते आये.
यह तस्वीर कभी नक्सलवाद के लिए सुर्खियों में रहने वाले साहेबगंज विधानसभा क्षेत्र के अधिकतर गांवों में दिखी, जहां घुंघट के ओट में अपना फर्ज निभाने निकलीं. जिस इलाके में कभी ‘लाल सलाम’ का नारा गूंजता था, वहां बेधड़क आज लोकतंत्र का जयकारा गूंजा.
वहां से कुछ दूर आगे ही मध्य विद्यालय माधोपुर हजारी में मतदान केंद्र था. यहां पेट्रोलिंग मजिस्ट्रेट एके झा मिल गये. बताया, पहले इलाका ठीक नहीं था, लेकिन अब माहौल बदल चुका है. सुबह सात बजे से ही यहां शांतिपूर्ण ढंग से मतदान चल रहा था. ऊपर बांध पर कुछ लोग खड़े थे.
जवान भी पूरी तरह चौकस थे. बताया गया कि पूरा इलाका कभी नक्सलवाद की चपेट में था. यहां से कुछ ही दूरी पर बंगरा है, जहां एक दशक पहले पुल बनाने वाली कंपनी के प्लांट पर नक्सलियों ने हमला कर करोड़ों का नुकसान पहुंचाया था. इससे निर्माण कार्य प्रभावित हुआ.
सालभर तक तो काम पूरी तरह ठप रहा, अब फिर से काम शुरू हुआ है. प्लांट से बंगरा घाट तक कई चरणों में काम हो रहा था. पुल लगभग बन चुका है. अप्रोच मार्ग का काम तेजी से चल रहा है. मजदूरों के अंदर भी किसी तरह का डर नहीं दिखा. हालांकि प्लांट पर एसएसबी के जवान मुस्तैद दिखे.

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