चमकी बुखार से मरनेवाले 129 में 85 बच्चियां, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा बच्चों की मौत का मामला
पिछले वर्षों की तुलना में इस बार बच्चों की अपेक्षा बच्चियों में बीमारी का प्रकोप अधिक पिछले नौ वर्षों में बच्चों की हुई सबसे अधिक मृत्यु मुजफ्फरपुर : चमकी बुखार और एइएस से इस साल बच्चियां अधिक संख्या में पीड़ित हो रही हैं. इन बीमारियों से यहां जो मौत हुई है, उनमें बच्चियों की संख्या […]
पिछले वर्षों की तुलना में इस बार बच्चों की अपेक्षा बच्चियों में बीमारी का प्रकोप अधिक
पिछले नौ वर्षों में बच्चों की हुई सबसे अधिक मृत्यु
मुजफ्फरपुर : चमकी बुखार और एइएस से इस साल बच्चियां अधिक संख्या में पीड़ित हो रही हैं. इन बीमारियों से यहां जो मौत हुई है, उनमें बच्चियों की संख्या अधिक है.
विशेषज्ञ चिकित्सकों का मानना है कि यह चिंताजनक स्थिति है, जो बच्चियों में कुपोषण व एनिमिया की वजह से उनके प्रतिरोधक क्षमता में कमी को दरसाता है. पिछले नौ वर्षों में बच्चे ही इस बीमारी से सबसे अधिक पीड़ित हुए थे. लेकिन इस बार स्थिति विपरीत है. पिछले तीन दिनों के आंकड़ा को देखें तो 45 मृत बच्चों में 27 बच्चियां थीं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जिन 129 बच्चों की मौत हुई हैं, उनमें 85 बच्चियां हैं. मंगलवार को एसकेएमसीएच पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अधीक्षक से यह सवाल पूछा कि बच्चियां अधिक पीड़ित हो रही हैं कि बच्चे.
उन्होंने बच्चे और बच्चियों की संख्या का डाटा बनाने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि बच्चियां अधिक बीमार हो रही हैं तो यह उपेक्षा का मामला हो सकता है. मालूम हो कि इससे पूर्व तक पीड़ित होने वाले बच्चों की अधिक संख्या होने पर डॉक्टरों का कहना था कि बच्चियां बच्चों की अपेक्षा धूप में खेलने कम निकलती हैं. इसके अलावा उनकी प्रतिरोधक क्षमता बच्चों की अपेक्षा ज्यादा होती है.
इस कारण बच्चियां कम बीमार होती है. लेकिन इस बार जो स्थिति दिख रही है, उससे यह धारणा खारिज हो गयी. अब डॉक्टर यह नहीं समझ पा रहे हैं कि धूप में नहीं घूमने के बाद बच्चियों को बीमारी क्यों हो रही हैं. यह विचार करने का मामला है कि इस बार बच्चियों की मौत अधिक हुई है. इस पर सरकार भी गंभीर है.
केजरीवाल अस्पताल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार कहते हैं कि हाइपोग्लेसिमया का कारण क्या है, यह नहीं कहा जा सकता. धूप में नहीं निकलने के बाद भी बच्चों को बीमारी हो रही है. यह रिसर्च का विषय है, लेकिन इतना जरूर है कि हाइपोग्लेसेमिया के कारण बच्चों के मस्तिष्क सेल मरने लगते हैं. यह सेल दोबारा नहीं बनता.
वर्ष पीड़ित लड़के लड़कियां
2010 40 19
2011 71 50
2012 178 158
2013 82 42
2014 221 121
2015 58 17
2016 22 22
2017 23 18
2018 23 22
स्रोत : आइडीएसपी, मुजफ्फरपुर
मुजफ्फरपुर में सात, पूर्व बिहार में चार और सीवान में एक बच्चे की मौत
पटना : मुजफ्फरपुर में मंगलवार को एसकेएमसीएच व केजरीवाल अस्पताल मिलाकर 39 बच्चे भर्ती किये गये. इनमें से सात बच्चों ने दम तोड़ दिया. भर्ती बच्चों का इन दोनों अस्पताल में इलाज किया जा रहा है. हालांकि यह सभी मौतें उन बच्चों का हुआ है, जिनका इलाज चार दिन पहले से किया जा रहा था. सभी बच्चों की मौत एसकेएमसीएच में हुई है, जबकि केजरीवाल अस्पताल में मंगलवार को एक भी मौत नहीं हुई हैं.
इसमें एसकेएमसीएच में 30 व केजरीवाल अस्पताल में नौ बच्चे भर्ती हुए है. अस्पतालों में भर्ती कर एईएस के तय प्रोटोकॉल के तहत इलाज किया जा रहा है. वहीं, कोसी-पूर्व बिहार में भी चमकी बुखार से मंगलवार को मधेपुरा में दो, बांका में एक व अररिया के एक बच्चे की मौत पूर्णिया में हुई. सोमवार को मधेपुरा के कुमारखंड में भी एक बच्चे की मौत इंस्फेलाइटिस से हो गयी थी. मुंगेर में भी एक बच्चे को संदेह के आधार पर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. सीवान में भी एक बच्चे की जान चली गयी.
सीएम ने डॉक्टरों से पूछा, बच्चों को क्यों हो रहा है हाइपोग्लेसिमिया?
मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच के पीआइसीयू तीन में चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों को देखने पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डॉक्टरों से पूछा, आखिर बच्चों को कौन सी बीमारी हो रही है? क्यों बच्चे की बीमारी पर कंट्रोल नहीं हो पा रहा है? इस पर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ ब्रजमोहन ने रिपोर्ट दिखाते हुए कहा कि इस वार्ड में जो बच्चे भर्ती हैं, अधिकतर में हाइपोग्लेसिमिया आया है. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि किन कारणों से हाइपोग्लेसिमिया बच्चों में हो रहा है? क्या हाइपोग्लेसिमिया से बच्चे की मौत इतनी जल्दी हो सकती है?
हाइपोग्लेसिमिया बच्चों में न हो, इसके लिए क्या करना चाहिए? इस पर शिशु विशेषज्ञों ने कहा कि यह तो जांच का विषय है कि हाइपोग्लेसिमिया किन कारणों से हो रहा है. लेकिन अगर बच्चों में इस तरह के लक्षण दिखे और उसे तुरंत स्नान व ग्लूकोज दिया जाये, तो बच्चे की जान बच सकती है.
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा बच्चों की मौत का मामला
नयी दिल्ली : बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है.सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगायी गयी है कि केंद्र व राज्य सरकार को निर्देश दिया जाये कि बिहार में 500 आइसीयू और मोबाइल आइसीयू की व्यवस्था की जाये. साथ ही प्राइवेट अस्पतालों में को बीमार बच्चों का फ्री में इलाज करने की व्यवस्था करने तथा हर पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा देने की गुहार लगायी गयी है. एडवोकेट मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह अजमानी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गयी है.
मुजफ्फरपुर में भी 10 पर कोर्ट में परिवाद
मुजफ्फरपुर : अधिवक्ता पंकज कुमार ने सीजेएम सूर्यकांत तिवारी की अदालत में 10 लोगों पर परिवाद दायर किया है. इसमें सीएम, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे, डीएम सह जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष आलोक रंजन, सिविल सर्जन डाॅ शैलेश प्रसाद सिंह, एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ सुनील कुमार शाही, बीएमएसआइसीएल के प्रबंध निदेशक संजय कुमार सिंह, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार, तिरहुत प्रमंडल के कमिश्नर को आरोपित बनाया है. इस पर 25 जून को सुनवाई होगी.