कम हो रही बारिश, वैकल्पिक फसलों पर दें ध्यान

मुजफ्फरपुर: अभी दलहन फसलों की बोआई का बेहतर समय है. किसान उड़द व अरहर की बोआई कर सकते हैं. वहीं, मक्का व कुलथी के लिए भी अनुकूल समय है. कृषि विशेषज्ञों ने ऊंची जमीन के लिए धान से बेहतर दलहन की बोआई को प्राथमिकता देने की सलाह दी है. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा के ग्रामीण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 21, 2014 4:37 AM

मुजफ्फरपुर: अभी दलहन फसलों की बोआई का बेहतर समय है. किसान उड़द व अरहर की बोआई कर सकते हैं. वहीं, मक्का व कुलथी के लिए भी अनुकूल समय है. कृषि विशेषज्ञों ने ऊंची जमीन के लिए धान से बेहतर दलहन की बोआई को प्राथमिकता देने की सलाह दी है. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा के ग्रामीण कृषि मौसम परामर्शी सेवा के नोडल पदाधिकारी डॉ आइबी पांडेय ने बताया कि बारिश कम हो रही है. ऐसे में ऊंची जमीन में अरहर की बुआई करना बेहतर होगा.

किसान अरहर की खेती के लिए बहार, पूसा 8, नरेंद्र अरहर एक आदि किस्म का चयन कर सकते हैं.

उड़द के लिए बेहतर समय

उड़द की बुआई के लिए भी मौसम अनुकूल है. इसके लिए टी 9, पंत यू 19, पंत उड़द 31, पीडी यू 1 आदि किस्में अभी बुआई के लिए बेहतर हो सकते हैं. बीज दर 12 से 15 किलो प्रति हेक्टेयर बोआई करना ठीक होगा. एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति की दूरी 30 सेमी रखने से पौधे अच्छे निकलेंगे. अभी कुलथी की बुआई भी कर सकते हैं. बीज दर 40 से 50 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से बोआई कर सकते हैं.

वहीं, मक्का के के साथ उड़द की मिश्रित खेती भी सकते हैं. मक्का

प्रभेद में स्वान के साथ उड़द पंत यू

31 की अंतवर्ती खेती अधिक लाभदायक होगी.

कीटों के आक्रमण पर मैलाथियान का करें छिड़काव

अक्टूवर रोप गन्ना में पायरिला कीट के आक्रमण की काफी संभावना है. रोकथाम के लिए सूखी पत्तियों को हटा कर जला दें. अधिक आक्रमण की स्थिति में मैलाथियान दवा का 2 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें.

वहीं, बरसाती प्याज की नर्सरी मे बुआई करें. बुआई के लिए एन 53, एग्रिफाउन्ड डार्क रेड एवं बसंत 780 किस्में बरसाती रोप के लिए उपयुक्त है. बीज दर 8 से 10 किलो प्रति

हेक्टेयर रखें. अब मिश्रीकंद की बुआई कर सकते हैं. बुआई के लिए राजेन्द्र मिश्रीकन्द 11 किस्म अनुशंसित हैं. बीजदर 15 से 20 किलो प्रति हेक्टेयर रखें. बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल कम्पोस्ट, 40 किलो नेत्रजन, 60 किलो स्फुर एवं 80 किलो पोटाश का उपयोग करना बेहतर होगा.

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