एमआरडीए घोटाले से संबंधित कागजात गायब!

मुजफ्फरपुर: घोटाले व लूट-खसोट को लेकर एमआरडीए व नगर निगम हमेशा चर्चाओं में रहा है. कई बार निगम व एमआरडीए को निगरानी जांच का सामना भी करना पड़ा. हालांकि, यह जांच अभी जारी है. इसी बीच कागजात की चोरी व लूट की तीन घटनाएं एमआरडीए में घट चुकी है.प्रभात खबर डिजिटल प्रीमियम स्टोरीNepal Violence : […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 23, 2014 9:47 AM

मुजफ्फरपुर: घोटाले व लूट-खसोट को लेकर एमआरडीए व नगर निगम हमेशा चर्चाओं में रहा है. कई बार निगम व एमआरडीए को निगरानी जांच का सामना भी करना पड़ा. हालांकि, यह जांच अभी जारी है. इसी बीच कागजात की चोरी व लूट की तीन घटनाएं एमआरडीए में घट चुकी है.

मंगलवार को एमआरडीएस में फिर चोरी का मामला प्रकाश में आया है. अभिलेखागार के सभी कागजातों की चोरी कर ली गयी है. इस संबंध में विघटित एमआरडीए व नगर निगम मुजफ्फरपुर के अभिलेखागार प्रभारी रामकृत राम ने नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया है. घटना से सवाल यह उठता है कि वह कौन चोर है, जो सिर्फ एमआरडीए घोटाले से संबंधित कागजात की चोरी करने में लगा है? इन घटनाओं से निगम व एमआरडीए के कर्मचारियों सहित अधिकारियों पर भी सवाल उठाने लगे हैं. एक ओर एमआरडीए घोटाले की जांच निगरानी विभाग की टीम कर रही थी, तो दूसरी ओर कार्यालय से अधिकांश फाइलों को गायब कर दिया गया था.

एक साल पूर्व लुटेरे एमआरडीए में ही नाइट गार्ड को बांध कर 25 हजार रुपये नकद व कई महत्वपूर्ण फाइलें उठा कर ले गये. दोनों नाइट गार्डो की जम कर पिटाई भी की थी. सभी रूम का ताला तोड़ कर कागजात को तहस-नहस कर दिया था. उसमें रखे महत्वपूर्ण फाइलों को गायब कर दिया गया था. चोरी की इन घटनाओं पर ना तो निगम प्रशासन ने ठोस कदम उठाया और ना ही पुलिस ही अनुसंधान में किसी निष्कर्ष तक पहुंच पायी. इससे इन घोटाले में शामिल लोगों का मनोबल और बढ़ता गया.

नहीं बचा एक भी कागजात
नगर निगम के अभिलेखागार प्रभारी (विघटित एमआरडीए) रामकृत राम ने नगर थाना में आवेदन दिया है. उसमें बताया गया है कि मंगलवार की दोपहर दो बजे अभिलेखागार का दरवाजा खोला गया तो सभी कागजात गायब थे. कमरा के पूरब तरफ की खिड़की टूटी थी. नक्शा का आवेदन, शपथ पत्र व मनी रसीद तक गायब थे. आवेदन में यह भी बताया गया है कि कितने कागजातों की चोरी हुई है, इसका रजिस्टर से मिलान कर बाद में ब्योरा दिया जायेगा. अब सवाल यह उठता है कि जब अभिलेखागार से सभी कागजातों की चोरी कर ली गयी है तो अब किस रजिस्टर से मिलान कर इसका ब्योरा बाद में पुलिस को उपलब्ध कराया जायेगा. यह चोरी कब हुई इसका कोई जिक्र आवेदन में नहीं है.

किसके दबाव में दब जाती है जांच

एमआरडीए व नगर निगम के महत्वपूर्ण कागजातों की चोरी कर ली जा रही है, लेकिन उस मामले में जांच किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाती है. कागजात चोरी करवाने के पीछे किसका हाथ है, इसका खुलासा नहीं हो पा रहा है. इस मामले में ना तो निगम प्रशासन गंभीर है और नहीं पुलिस प्रशासन ही. इधर, घटना को लेकर निगम में दिन भर चर्चाएं होती रही. इसमें बड़े सफेदपोश व माफियाओं के संरक्षण में कागजात गायब करने की बात भी उछलती रही. लोग यह भी चर्चा कर रहे थे कि इस घटना में कर्मचारी व सफेदपोश शामिल हैं. उनकी मिलीभगत से ही यह कारनामा किया जा रहा है. यह निगम को बरबाद करने की साजिश है.

पूछताछ से खुलेगा राज
घोटाले से संबंधित फाइलों के गायब होने के मामले में यदि पुलिस गंभीरता पूर्वक कर्मचारियों से पूछताछ करे तो इस राज पर से परदा हट सकता है. सवाल यह उठता है कि चोरों को कैसे पता है कि कौन सी फाइल कहां पर रखी गयी है? निगम सूत्रों की माने तो एमआरडीए घोटाला, भवन की मापी व नक्शा बनाने में की गयी हेराफरी से संबंधित कागजात, सड़क व अन्य निर्माण कार्य सहित कई अन्य महत्वपूर्ण कागजातों को गायब किया गया है. यह कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है.

कई कर्मियों पर हो सकती है प्राथमिकी
एमआरडीए में कागजातों की हो रही लगातार चोरी की घटनाओं से नगर आयुक्त सीता चौधरी भी गुस्से में है. श्री चौधरी ने चोरी की घटना के बाद अभिलेखागार के निरीक्षण के क्रम में कहा कि इसमें कर्मचारियों की भी मिलीभगत हो सकती है. इसकी जांच के लिए टीम का गठन किया जायेगा. जांच में दोषी पाये जाने वाले कर्मचारियों पर प्राथमिकी दर्ज की जायेगी. निरीक्षण के दौरान नगर आयुक्त ने मौजूद कई कर्मचारियों को डांटा. कर्मचारियों से कहा, इसमें आपलोगों की संलिप्तता लग रही है. प्राथमिकी दर्ज करा कर जेल भेज देंगे.

पूर्व में बैठक की पंजी भी गायब
नगर निगम बोर्ड की बैठक आयोजित करने से संबंधित पंजी भी गायब हुई थी. इस मामले में सामान्य शाखा के प्रधान सहायक गौरी शंकर ठाकुर को तत्कालीन नगर आयुक्त ने निलंबित कर दिया था. उस समय भी निगम कर्मचारियों पर कई तरह के सवाल उठे थे. उस समय भी कई सफेदपोशों पर उंगली उठी थी. जानकारी हो कि निगम बोर्ड की तीन बैठकों में लगातार अनुपस्थित रहने वाले पार्षदों की सदस्यता रद्द होने की बात आयी थी. इसमें कई पार्षद लगातार तीन बैठकों में शामिल नहीं हुए थे. उनकी सदस्यता रद्द होने की संभावना थी. लेकिन पार्षदों ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए बताया था कि उन्हें बैठक की सूचना ही नहीं दी गयी. इसके कारण वे बैठक में नहीं उपस्थित हुए थे. इसको लेकर कोर्ट के आदेश पर जिलाधिकारी ने उक्त पंजी की मांग की थी, जिसमें पार्षदों को बैठक की लिखित सूचना देने के बाद उनसे रिसीव कराना था. लेकिन उक्त पंजी को गायब कर दिया गया था. इससे पार्षदों की सदस्यता बची. उस मामले में भी एक कर्मचारी को निलंबित कर खानापूर्ति की गयी.

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