परीक्षा की कॉपी देने से बच रहा विवि
मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में आरटीआइ के माने है, राइट टू इग्नोर. कम-से-कम परीक्षा की कॉपी की प्रतिलिपि देने के मामले में तो ऐसा ही है. पिछले दो माह में कॉपी की प्रतिलिपि के लिए तीन दर्जन से अधिक आवेदन आ चुके हैं. इसमें से कई आवेदन के जमा हुए एक माह से अधिक का […]
मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में आरटीआइ के माने है, राइट टू इग्नोर. कम-से-कम परीक्षा की कॉपी की प्रतिलिपि देने के मामले में तो ऐसा ही है. पिछले दो माह में कॉपी की प्रतिलिपि के लिए तीन दर्जन से अधिक आवेदन आ चुके हैं.
इसमें से कई आवेदन के जमा हुए एक माह से अधिक का समय गुजर चुका है. नियमों के तहत आरटीआइ के तहत पूछे गये प्रश्न का जबाव एक माह के भीतर देने का प्रावधान है. पर जबाव देने के बजाये विवि प्रशासन प्रतिलिपि के शुल्क निर्धारण में ही फंसी है. करीब चार माह का समय बीत चुका है पर शुल्क का निर्धारण नहीं हो सका है. इधर, परीक्षा में कम अंक आने से असंतुष्ट छात्र लगातार विवि लोक सूचना पदाधिकारी के कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. पर उन्हें मायूसी हाथ लग रही है.
राज्य सूचना आयोग ने इस वर्ष से सूचना के अधिकार के तहत परीक्षा की कॉपी की प्रतिलिपि उपलब्ध कराने का फैसला लिया था. इसके लिए सभी विवि को निर्देश भी दिया गया. आयोग के निर्देश के आलोक में परीक्षा विभाग ने इसके लिए एक हजार रुपये प्रति कॉपी की दर निर्धारित की. इसको लेकर काफी बवाल हुआ. बाद में मामले को परीक्षा बोर्ड में ले जाया गया. वहां शुल्क निर्धारण के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया. इसे पंद्रह दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट देनी थी, जिसे परीक्षा बोर्ड की बैठक में रखा जाता. पर करीब चार माह बीत जाने के बावजूद आज तक शुल्क का निर्धारण नहीं हो सका.