शहर का कचरा उगल रहा जहरीला धुआं, नियम ताक पर रख निर्माण

मुजफ्फरपुर : शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण व स्मॉग के लिए नगर निगम भी कम जिम्मेवार नहीं है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सख्ती के बाद भी शहर में धड़ल्ले से बिना ढंके और बेरोक-टोक बिल्डिंग का निर्माण हो रहा है. शहर व नाला निर्माण में भी प्रदूषण बोर्ड के नियमों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 6, 2019 2:41 AM

मुजफ्फरपुर : शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण व स्मॉग के लिए नगर निगम भी कम जिम्मेवार नहीं है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सख्ती के बाद भी शहर में धड़ल्ले से बिना ढंके और बेरोक-टोक बिल्डिंग का निर्माण हो रहा है. शहर व नाला निर्माण में भी प्रदूषण बोर्ड के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. लंबे समय से सड़क व नाला के लिए उड़ाही कर मिट्टी वैसे ही सड़क पर छोड़ दी जाती है. इसके हवा के साथ उड़ने से प्रदूषण बढ़ता है.

स्थायी कूड़ा डंपिंग स्थल नहीं होने से प्रतिदिन 200-250 टन तक निकलने वाले कूड़े को शहर से सटे इलाके में ही डंप कर दिया जा रहा है. फिर आग लगा कर इसे जलाया जाता है. इससे निकलने वाला धुआं पूरे वातावरण को प्रदूषित कर रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी एनएच (नेशनल हाईवे) व फोरलेन किनारे कूड़ा डंप कर उसमें आग लगाने से हो रही है. एनएच किनारे जिस जगह पर कूड़ा डंप किया जा रहा है, उसके आसपास की आबोहवा जहरीली होती जा रही है. वातावरण में धुंध का असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. यही वजह है कि स्मार्ट सिटी मुजफ्फरपुर की हवा में धूलकण की मात्रा वायु गुणवत्ता सूचकांक से कई गुना अधिक रहती है. इसका सीधा असर शहर व इससे सटे इलाके में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है.
बिना ढंके भवन का निर्माण करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं. वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बाद एनजीटी व प्रदूषण बोर्ड की सख्ती के बाद दो महीना पहले नगर आयुक्त मनेश कुमार मीणा ने पत्र जारी किया था. इसमें शहरी क्षेत्र में जितने निर्माण हो रहे हैं, संबंधित वार्ड के जमादार व तहसीलदार को सर्वे कर रिपोर्ट देने को कहा गया था. साथ ही सिटी मैनेजर व टैक्स दारोगा को बिना ढंके निर्माण करने व पुराने बिल्डिंग को तोड़ने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जिम्मेदारी दी गयी थी, लेकिन अबतक निगम प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की है.

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