पुराने ढर्रें पर चल रही एनसीडीसी की टीम

मुजफ्फरपुर : बीमारी के कारणों की पहचान करने आयी एनसीडीसी की टीम पिछले वर्ष किये गये कार्यो को दुहरा रही है. टीम के विशेषज्ञ पिछले वर्ष की तरह ही बच्चों की मेडिकल जांच कर उनकी शारीरिक स्थिति का ब्योरा तैयार कर रहे हैं. अभिभावकों से बात कर उनके रहन सहन व जीवन शैली का प्रारूप […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:46 PM

मुजफ्फरपुर : बीमारी के कारणों की पहचान करने आयी एनसीडीसी की टीम पिछले वर्ष किये गये कार्यो को दुहरा रही है. टीम के विशेषज्ञ पिछले वर्ष की तरह ही बच्चों की मेडिकल जांच कर उनकी शारीरिक स्थिति का ब्योरा तैयार कर रहे हैं.

अभिभावकों से बात कर उनके रहन सहन व जीवन शैली का प्रारूप भरा जा रहा है. पिछली बार भी टीम अपने साथ प्रारूप भर कर ले गयी थी, लेकिन उसका नतीजा कुछ नहीं निकला. इस बार भी टीम के विशेषज्ञ केजरीवाल अस्पताल व एसकेएमसीएच में प्रारूप भरने में व्यस्त हैं. एनसीडीसी के संयुक्त निदेशक डॉ सोमनाथ कर्माकर एसकेएमसीएच व केजरीवाल अस्पताल में बच्चों के इलाज का मुआयना कर रहे हैं.

केजरीवाल अस्पताल का लिया जायजा
एनसीडीसी के संयुक्त निदेशक डॉ कर्माकर केजरीवाल अस्पताल पहुंचकर प्रशासक बीबी गिरी से बीमार बच्चों की जानकारी ली. उन्होंने कहा कि इलाज के लिए आर्थिक सहायता, डॉक्टर या नर्स की जरूरत हो तो बताएं.

वे इस बाबत सरकार से बात करेंगे. हालांकि प्रशासक ने आर्थिक सहायता से इनकार किया. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट इसकी व्यवस्था स्वयं कर रही है. सिविल सजर्न ने कुछ दवाएं उपलब्ध करायी हैं. सरकारी स्तर पर उपलब्ध नहीं होने वाली दवाओं की खरीदारी भी ट्रस्ट कर रही है. मरीजों को सब कुछ नि:शुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है. डॉ कर्माकर ने एमआइआर सुविधा के बारे में पूछा.

प्रशासक ने कहा कि यहां वह सुविधा उपलब्ध नहीं है. विशेषज्ञ कर्माकर ने कहा कि बीमार बच्चों को एमआरआई कराना है. इसके लिए वे नि:शुल्क एबुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराएंगे. उन्होंने कहा कि एनआइवी की टीम जांच के लिये मृत बच्चों का ब्रेन टिश्यू लेगी. एक सप्ताह के अंदर टीम शहर में पहुंचेगी. इसके लिए उन्होंने केजरीवाल प्रशासक से सहयोग मांगा. प्रशासक श्री गिरी ने कहा कि वे इस कार्य में पूरा सहयोग करेंगे. मृत बच्चे के अभिभावकों को मनाने की जिम्मेवारी उनकी होगी. डॉ कर्माकर ने बताया कि वे यहां इलाज व जांच की मॉनटरिंग करने आये हैं. बच्चों के इलाज में कोई कमी नहीं होगी.

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