300 अधिकारियों का वेतन बंद
मुजफ्फरपुर: आम लोगों की समस्याओं व शिकायतों के निष्पादन की जमीनी हकीकत क्या है? अधिकारी लोगों की समस्याओं प्रति कितना संवेदनशील हैं, इसका अंदाजा उनके अपने ही रिकार्ड से लगाया जा सकता है. पिछले नौ महीने में डीएम अनुपम कुमार ने तीन सौ अधिकारियों का वेतन बंद कर उनके खिलाफ प्रपत्र क गठित किया है. […]
मुजफ्फरपुर: आम लोगों की समस्याओं व शिकायतों के निष्पादन की जमीनी हकीकत क्या है? अधिकारी लोगों की समस्याओं प्रति कितना संवेदनशील हैं, इसका अंदाजा उनके अपने ही रिकार्ड से लगाया जा सकता है.
पिछले नौ महीने में डीएम अनुपम कुमार ने तीन सौ अधिकारियों का वेतन बंद कर उनके खिलाफ प्रपत्र क गठित किया है. यह स्थिति तब है, जब लोक सभा चुनाव के कारण मार्च व अप्रैल में जनता दरबार स्थगित था, अन्यथा ये फेहरिस्त और लंबी होती. यह कार्रवाई जनता दरबार में आये मामलों के निष्पादन व रिपोर्ट नहीं देने पर हुई है.
इतना ही नहीं एक वरीय अधिकारी तो ऐसे हैं, जिनका छह महीने में सात से अधिक बार वेतन बंद किया जा चुका है. कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें एक साल से वेतन नहीं मिल रहा है. दो दर्जन अधिकारियों का अब तक चार बार वेतन बंद किया गया है. वहीं दो दर्जन पर प्रपत्र क गठित करने तक का प्रस्ताव दिया गया है. इसके बावजूद जनता दरबार में आयी लोगों की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.
कौशल्या देवी की पीड़ा. पिछले जनता दरबार में आयी मीनापुर की कौशल्या देवी इसका उदाहरण हैं. इससे पता चलता है कि किस तरह प्रखंड व अंचल के अधिकारी व कर्मचारी लोगों को टहलाते हैं. मीनापुर के पैगंबरपुर कर्मवारी की कौशल्या पारिवारिक लाभ के लिए बड़े हाकिम के यहां तीन बार आ चुकी हैं. उसे अब भी भरोसा नहीं है कि उसका काम हो पायेगा.