मुजफ्फरपुर: महाराष्ट्र में परंपरा है, दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले छात्रों के साथ ही उस सत्र में सफल सभी छात्रों को डिग्री दी जाती है. इसके लिए समारोह स्थल पर अलग से तीन-चार टेबुल लगे होते हैं. समारोह के आखिर में सभी डिग्रीधारी छात्रों को मंच पर आने का मौका दिया जाता है.
यहीं परंपरा मैं यहां लागू करना चाहता था, लेकिन विवि स्टेच्यूट इसकी इजाजत नहीं देता. तैयारी के लिए समय कम होने के कारण इस बार स्टेच्यूट में बदलाव नहीं किया जा सका. पर अगली बार ऐसा नहीं होगा. इसके लिए स्टेच्यूट में बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. उसमें सम्मानित होने या डिग्री पाने वाले छात्रों के अभिभावकों के भी समारोह में शामिल होने का प्रावधान किया जायेगा.
बीआरए बिहार विवि में दीक्षांत समारोह की पूर्व संध्या पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ पंडित पलांडे ने यह बातें कही. पिछले दो दिनों से पीजी हॉस्टल के छात्र व विभिन्न छात्र संगठनों के प्रतिनिधि दीक्षांत समारोह में प्रवेश की अनुमति के लिए विवि का चक्कर लगा रहे हैं. उन्होंने कहा, दीक्षांत समारोह विवि की एकेडमिक गतिविधि का हिस्सा है. इसका आयोजन प्रत्येक साल होना चाहिए. किसी कारणवश यहां ऐसा नहीं हो पा रहा था. इसके लिए पहल शुरू हुई है. यह कम-से-कम तीन सालों तक (उनके कार्यकाल) जारी रहेगा.
एक अतिरिक्त सोलर प्रोजेक्ट के लिए पहल
कुलपति डॉ पंडित पलांडे ने बताया कि समारोह से पूर्व विवि में लगने वाले 100 किलोवाट क्षमता वाले सोलर प्रोजेक्ट का भी उद्घाटन होगा. इसकी स्थापना प्रशासनिक भवन व विवि परीक्षा भवन के छत पर होगा. इन दोनों भवनों के बीच एक बड़ा सा रू म बनाया जा रहा है, जिसमें सौर ऊर्जा के संरक्षण के लिए बैटरी रखी जायेगी. इस ऊर्जा का उपयोग विवि के दैनिक कार्यो के अलावा कैंपस में सौ स्ट्रीट लाइट जलाने के लिए भी होगा. इसका सारा खर्च सरकार वहन कर रही है. केंद्र व राज्य सरकार विवि के विकास के लिए हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है. ऐसे में इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद 100 किलोवाट के अतिरिक्त सोलर प्रोजेक्ट का प्रस्ताव लाने के लिए पहल होगी. इसके लिए विवि के पास पर्याप्त संसाधन उपलब्ध है.