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बुजदिलों गर बाजुओं में दम था तो कब्जा छीनते…

फोटोइमाम हुसैन की याद में हसन चक बंगरा इमामबाड़ा में मजलिस का आयोजनयूपी से आये मौलाना ने फरमाया खिताब, लोगों ने किया मातम, निकाला जुलूस वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : उसने मसकिजा भरा था तुमसे दरिया छीन कर, बुजदिलों गर बाजुओं में दम था तो कब्जा छीनते, मश्क पर तीरों की बारिश कब था मर्दाना जवाब, […]

फोटोइमाम हुसैन की याद में हसन चक बंगरा इमामबाड़ा में मजलिस का आयोजनयूपी से आये मौलाना ने फरमाया खिताब, लोगों ने किया मातम, निकाला जुलूस वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : उसने मसकिजा भरा था तुमसे दरिया छीन कर, बुजदिलों गर बाजुओं में दम था तो कब्जा छीनते, मश्क पर तीरों की बारिश कब था मर्दाना जवाब, बात तो तब थी कि तुम मश्के सकीना छीनते. इमाम हुसैन के सेनापति अली अब्बास की शहादत की याद में जब नोहाखानी हुई तो लोग गम में डूब गये. मौका था रविवार को हसन चक बंगरा इमामबाड़ा में अंजुमन हाशमिया की ओर से आयोजित मजलिस का. इस मौके पर यूपी से आये मो अली नसी ने मजलिस को खिताब फरमाया. उन्होंने कहा कि करबला में हक व बातिल की जंग थी. इमाम हुसैन हक पर थे, यजीद वातिल पर था. यहां तक कि सात मुहर्रम से यजीन ने उनके खेमे को पानी बंद कर दिया. इससे छोटे-छोटे बच्चे प्यासे रहे. उनके भाई व उनके लश्कर के कमांडर जनाब अब्बास अली सलाम जब दरिया पर पानी लेने गये तो यजीदियों की सेना ने उनका हाथ काट दिया. मस्क पर तीर चला कर पानी बहा दिया. मौलाना की बात सुन कर लोग जार-जार रोये व मातम किया. कार्यक्रम की पेशखानी अब्बास यायावर ने की. कासिफ रजा मुजफ्फरनगरी ने नोहाखानी की. मजलिस के बाद इमामबाड़ा से करबला तक अलम का जुलूस निकाला गया. इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. पटना के अंजुमने दस्तए सज्जादिया, अंजुमने जाफरिया व ब्रह्मपुरा के अंजुमने कारवाने केसा से जुड़े संगठनों के लोग शामिल हुए. मजलिस में सैयद जुल्फेकार अली, शकील अहमद, सैयद शब्बीर हुसैन, अली अहमद, आफताब हुसैन जाफरी, अब्बास व सैयद आजम अली शामिल थे.

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