अंधाधुंध विकास से जैव विविधता को खतरा

गांधी शांति प्रतिष्ठान की ओर से जैव विविधता विषय पर कार्यक्रम फोटो 14वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरअंधाधुंध विकास से जैव विविधता को खतरा है. यह भविष्य के लिए घातक है. गलत तरीके से लोग विकास में लगे हैं. प्रकृति के कई वन प्राणी लुप्त हो रहे हैं. यह परिस्थिति किसी भी दृष्टिकोण से इनसानों के लिए सही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2014 11:02 PM

गांधी शांति प्रतिष्ठान की ओर से जैव विविधता विषय पर कार्यक्रम फोटो 14वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरअंधाधुंध विकास से जैव विविधता को खतरा है. यह भविष्य के लिए घातक है. गलत तरीके से लोग विकास में लगे हैं. प्रकृति के कई वन प्राणी लुप्त हो रहे हैं. यह परिस्थिति किसी भी दृष्टिकोण से इनसानों के लिए सही नहीं है. यह बातें रविवार को एलएस कॉलेज स्थित कम्युनिटी कॉलेज सभागार में गांधी शांति प्रतिष्ठान की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता बीआरएबीयू के प्रो. विजय कुमार जायसवाल ने कही. जैव विविधता और उस पर आसन्न संकट विषय पर प्रो जायसवाल ने कहा, जंतु जगत में सर्वाधिक विविधता कीड़ों मकोड़ों में है. कृषि में जहर प्रयोग से जैव विविधता पर विपरीत असर पड़ रहा है. यह इनसानों के लिए घातक है. कार्यक्रम की अध्यक्षता भोजनंदन प्रसाद सिंह ने की. उन्होंने कहा, प्रकृति हमारी मां है. इसके आंचल में सब कुछ है. इसलिए धरती की रक्षा हमारा दायित्व है. एलएस कॉलेज के प्राचार्य प्रो अमरेंद्र नारायण यादव ने कहा, जीवों की 90 फीसदी प्रजाति इनसानों की दृष्टि से दूर है. जैव विविधता को भौतिक समृद्धि ने तोड़ने का काम किया है. प्रो. अनिल कुमार ओझा, अनिल शंकर ठाकुर, हामिद रजा, प्रो. अवधेश कुमार सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित किया. संचालन संस्थान के सचिव अरविंद वरुण ने किया. डॉ कृष्ण मोहन ने धन्यवाद दिया. यहां डॉ एमएम रिजवी, ललितेश्वर मिश्रा, प्रो. केके झा, हेमंत कुमार, अविनाश रंजन, कामता प्रताप, विजय प्रशांत, संजीत किशोर, जगत नारायण राय, विकास रंजन, श्रवण कुमार मौजूद थे.

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