विलंबित खयाल पर मुग्ध हुए दर्शक

मुजफ्फरपुर: बाबा गरीबनाथ धाम स्थित सत्संग भवन में शुक्रवार की शाम मुजफ्फरपुर शास्त्रीय सगीत कला मंच के तत्वावधान में तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत समारोह का उद्घाटन हुआ. इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम सत्र को संबोधित करते हुए छपरा के जानेमाने गायक पंडित रामप्रकाश मिश्र ने कहा कि आजकल कलाकार अपनी प्रशंसा खुद कर लेते हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2014 8:47 AM

मुजफ्फरपुर: बाबा गरीबनाथ धाम स्थित सत्संग भवन में शुक्रवार की शाम मुजफ्फरपुर शास्त्रीय सगीत कला मंच के तत्वावधान में तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत समारोह का उद्घाटन हुआ. इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम सत्र को संबोधित करते हुए छपरा के जानेमाने गायक पंडित रामप्रकाश मिश्र ने कहा कि आजकल कलाकार अपनी प्रशंसा खुद कर लेते हैं. जो अपनी प्रशंसा स्वयं करता है, समङिाए कि कुछ चंचलता जरूर है.

उन्होंने यह भी कहा, लोग धन जुटाकर धनी बनने की जुगत में लगे हैं. धन आने पर व्यक्ति घमंडी हो जाता है. इसलिए ‘ध’ को अलग कर ‘नी’ यानी निर्मल बन जाइए, जीवन सार्थक हो जायेगा. उन्होंने राग कौशिश कांगड़ा (माल्कौश अंग) का विलंबित खयाल, ‘राजन के सरताज राजा रामचंद्र..’ सुना कर समां बांध दिया. बेतिया से आये पंडित इंद्रकिशोर मिश्र ने राग वसंत में ध्रुपद ‘सरस्वती मां विद्या वाक् वाणी..’ गाकर दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया.

इसके पूर्व ‘मुजफ्फरपुर में शास्त्रीय संगीत की वर्तमान स्थिति’ पर परिचर्चा हुई. इसमें पंडित विनय पाठक, डॉ शेखर शंकर मिश्र, डॉ संजय पंकज, डॉ यशवंत पाराशर, सरदार योगेंद्र सिंह गंभीर आदि ने अपने-अपने विचार रखे. कार्यक्रम की अध्यक्षता सतीश महाराज, संचालन डॉ राकेश कुमार मिश्र और संयोजन परमानंद सिंह ने किया.

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