प्रशासनिक क्षमता के धनी थे जयकांत बाबूू
-निधन पर शोक मे डूबा रामकृष्ण उच्च विद्यालय मीनापुर–राष्ट्रपति पुरस्कार को कर दिया था नामंजूरमीनापुर. रामकृष्ण उच्च विद्यालय मीनापुर में वर्ष 1956 से मार्च 1983 तक एचएम रहे शिक्षाविद् जयकांत ठाकुर के निधन पर रामकृष्ण उच्च विद्यालय मीनापुर में शोकसभा का आयोजन किया गया. उनके निधन पर रामकृष्ण उवि मीनापुर शोक में डूब गया है. […]
-निधन पर शोक मे डूबा रामकृष्ण उच्च विद्यालय मीनापुर–राष्ट्रपति पुरस्कार को कर दिया था नामंजूरमीनापुर. रामकृष्ण उच्च विद्यालय मीनापुर में वर्ष 1956 से मार्च 1983 तक एचएम रहे शिक्षाविद् जयकांत ठाकुर के निधन पर रामकृष्ण उच्च विद्यालय मीनापुर में शोकसभा का आयोजन किया गया. उनके निधन पर रामकृष्ण उवि मीनापुर शोक में डूब गया है. प्रधानाध्यापक अरु ण कुमार कर्ण की अध्यक्षता में बधवार को दो मिनट का मौन धारण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. शोकसभा में दिनेश झा, सुनील कुमार, दिनेश यादव, एहसान हसन, सुबोध कुमार ने कहा कि जयकांत ठाकुर का निधन शिक्षा जगत के लिए अपूरणयि क्षति है. माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय नेता रघुवंश प्रसाद सिंह कहते है कि जयकांत बाबू में प्रशासनिक क्षमता बेमिसाल थी. मीनापुर हाइस्कूल में 27 वर्षों तक अध्यापन कार्य कर उच्च शिक्षा की अलख जगाने वाले जयकांत ठाकुर की कमी सबको खल रही है. आज भी उनके शिष्य दर्जनों विद्यालयों में टीचर हैं. जयकांत ठाकुर निर्धारित समय से आधा घंटा पहले विद्यालय पहुंचते थे. क्लास में जाने के लिए टीचर को इनसे पूछना नहीं पड़ता था. उस समय इनसे प्रभावित होकर उत्तर बिहार के सैकड़ों छात्र विद्यालय में छात्रावास में ही रहते थे. एलएस कॉलेज व जिला स्कूल के कुछ छात्र भी यहां के हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते थे. इनके अनुशासन, प्रशासन व पढ़ाई से प्रभावित होकर सरकार ने तीन बार हाइ स्कूल को दक्षता अनुदान दिया. रिटायरमेंट के तीन साल पहले इन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए नामित किया गया. लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया.