मुजफ्फरपुर: नवरूणा हत्याकांड से नये साल में परदा उठ सकता है. हत्या में भूमि माफियाओं का हाथ है. अबतक की सीबीआइ जांच से यह स्पष्ट हो चुका है कि उसकी हत्या प्रेम-प्रसंग या ऑनर किलिंग में नहीं हुई है. सीबीआइ की टीम तीनों कोण पर जांच कर रही थी. लगभग 11 माह से जांच कर रही सीबीआइ टीम अब पूरी तरह से भूमि माफियाओं पर अनुसंधान कर रही है. शहर के कई चर्चित लोग सीबीआइ के रडार पर हैं.
टीम के सदस्य गोपनीय तरीके से कई हफ्ते से शहर में रह कर जानकारी जुटा रहे हैं. सीबीआइ को भूमि माफियाओं के खिलाफ पुख्ता सबूत हाथ लगे हैं. इस कांड में पुलिस के कई अधिकारी संदेह के घेरे में हैं. उनकी भी भूमि माफियाओं के साथ संलिप्तता की बात सामने आयी है. हालांकि इस बात की सीबीआइ के अधिकारी पुष्टि करने को तैयार नहीं हैं. वे कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं.
परिजनों से मिले जांच अधिकारी
नवरूणा कांड के अनुसंधानक आरपी पांडेय बुधवार शाम चार बजे के आसपास अतुल्य व मैत्री चक्रवर्ती से मिलने पहुंचे. करीब एक घंटा तक वह चक्रवर्ती दंपती से बातचीत कर वापस लौट गये. अतुल्य चक्रवर्ती ने बताया कि सामान्य दिनों की तरह अनुसंधानक आये थे, लेकिन पटना से फोन आने पर वह वापस लौट गये. कांड में आइओ ने किसी भी प्रकार की जानकारी देने से इनकार किया है. उन्होंने सिर्फ इतना कहा, जांच जारी है.
सौ लोगों से सीबीआइ ने की पूछताछ
नवरूणा हत्याकांड की गुत्थी सीबीआइ लगभग सुलझा चुकी है. हालांकि कुछ ऐसे सवाल हैं, जिसके जवाब की तलाश में सीबीआइ जुटी है. उसके अपहरण से लेकर हत्याकांड के बीच की कड़ी को सीबीआइ डीएनए जांच रिपोर्ट आने से पूर्व ही जोड़ने में जुटी थी. बताया जाता है कि एक-दो दिनों के अंदर फिर से सीबीआइ की टीम शहर आयेगी. अबतक इस कांड में सौ से अधिक लोगों से सीबीआइ पूछताछ कर चुकी है. इनमें पुलिस अधिकारी से लेकर पार्षद पति, निगम कर्मी, होटल कर्मी आदि शामिल हैं. पॉलीग्राफ टेस्ट से भी सीबीआइ को सुराग हाथ लगे हैं. टेस्ट के दौरान 26 नवंबर 2012 को नाले से मिले कंकाल के संबंध में लोगों से सवाल किये गये थे. संदेह होने पर अलग से पटना में भी बुलाकर कई लोगों से पूछताछ की गयी थी.
18 सितंबर 2012 को हुआ था अपहरण
18 सितंबर 2012 को चक्रवर्ती लेन स्थित घर से खिड़की का रॉड तोड़कर नवरूणा का अपहरण कर लिया गया था. घटना के बाद नगर पुलिस के अलावा सीआइडी ने जांच की थी. सीआइडी जांच पर परिजनों ने अंगुली भी उठायी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जनवरी 2014 में सीबीआइ ने पूरे मामले की जांच फिर से शुरू की थी. डीएनए जांच में नाले से मिले कंकाल की नवरूणा के रूप में पुष्टि होने के बाद सीबीआइ जांच में तेजी आ गयी थी.
पीएमओ तक गया था मामला
नवरूणा कांड की सीबीआइ से जांच के लिए मामला पीएमओ तक गया था. सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गयी थी. कोर्ट के निर्देश के बाद मामले की सीबीआइ जांच शुरू हुई थी. दबाव के बाद प्रदेश सरकार की ओर से भी इसकी अनुसंशा की गयी थी. वहीं, पुलिस व सीआइडी जांच आगे नहीं बढ़ सकी थी, क्योंकि नवरुणा के मकान के पास से जो कंकाल मिला था, उसकी डीएनए जांच के लिए चक्रवर्ती दंपती ने पुलिस को खून का नमूना देने से मना कर दिया था.