ठक्कर बप्पा के छात्रों का कलेक्ट्रेट पर हमला!
मुजफ्फरपुर : चंदा वसूली को लेकर विश्वविद्यालय में छात्रों के दो गुटों में हुई मारपीट व गोलीबारी के बाद ठक्कर बप्पा हॉस्टल के सैकड़ों छात्रों ने शाम 3.30 बजे समाहरणालय पर हमला बोल दिया. हॉकी स्टिक व चाकू से लैस छात्रों ने 30 मिनट तक समाहरणालय में जमकर उत्पात मचाया. इस दौरान उग्र छात्रों ने […]
मुजफ्फरपुर : चंदा वसूली को लेकर विश्वविद्यालय में छात्रों के दो गुटों में हुई मारपीट व गोलीबारी के बाद ठक्कर बप्पा हॉस्टल के सैकड़ों छात्रों ने शाम 3.30 बजे समाहरणालय पर हमला बोल दिया.
हॉकी स्टिक व चाकू से लैस छात्रों ने 30 मिनट तक समाहरणालय में जमकर उत्पात मचाया. इस दौरान उग्र छात्रों ने आम लोगों के साथ कलेक्ट्रेट कर्मियों को निशाना बनाया. कई लोगों के साथ साथ मारपीट व गाली गलौज भी किया गया.
छात्रों ने डीएम कार्यालय के मेन गेट तोड़ने का प्रयास किया. लाठी से पीट कर गेट के ऊपर लगे इंगिल को उखाड़ फेंका. उपद्रवी छात्रों को शांत करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. इधर, मेन गेट तोड़ने में असफल छात्रों ने समाहरणालय के अंदर ईंट व पत्थर फेंके. इससे समाहरणालय के अंदर का वैपर लाइट टूट गया. इसी क्रम में छात्रों के एक समूह ने सहारा पार्क में जमकर तोड़फोड़ की. पार्क में लगे एक दर्जन से अधिक लाइट को तोड़ दिया.
फूल पत्ती को नोंच दिया. इसी बीच कुछ छात्र कलेक्ट्रेट के सुरक्षा बलों के लिए बनाये गये शेल्टर पर चढ़ गये और उसकी एस्बेस्टस की छत को लाठी-डंडे से तोड़ दिया.
छात्रों के हंगामे व तोड़फोड़ से कुछ देर के लिए वहां अफरा-तफरी स्थिति हो गयी. छात्रों का आतंक देख लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे. समाहरणालय के अधिकारी व कर्मचारी भी दफ्तर में ताला लगा कर इधर-उधर खड़ा होकर स्थिति को भांपने लगे.
इसी बीच एक छात्र सहारा पार्क की ओर से चाकू के साथ समाहरणालय में कूद गया और वहां मौजूद कर्मियों को चाकू दिखा कर डराना धमकाना शुरू किया. कलेक्ट्रेट जाने के क्रम में छात्रों ने एसएसपी ऑफिस के सामने भी कुछ देर हंगामा किया. छात्रों का हुजूम देख कर कलेक्ट्रेट में मुख्य गेट की ड्यूटी कर रहे जवानों ने एहतियातन गेट बंद कर दिया और मुस्तैदी से वहां तैनात रहे, लेकिन जैसे ही छात्रों का जत्था गेट के पास पहुंचा,ड्यूटी पर तैनात जवान वहां से हट गये.
ऑफिस में नहीं थे डीएम. जिस समय छात्रों ने कलेक्ट्रेट पर हमला किया, उस समय डीएम अनुपम कुमार कलेक्ट्रेट में नहीं थे, लेकिन अन्य अधिकारी अपने ऑफिसों में थे और रोज की तरह काम कर रहे थे, लेकिन जैसे ही कलेक्ट्रेट परिसर में हल्ला हंगामा की बात सुनी अधिकारी अपने चेंबर से बाहर निकल आये, लेकिन कोई गुस्साये छात्रों के सामने जाने को तैयार नहीं दिख रहा था. कर्मचारी भी इधर-उधर से स्थिति को देख रहे थे.
गेट खुला रहने पर होती बड़ी घटना
छात्रों के हमले से पहले कलेक्ट्रेट का गेट अगर बंद नहीं किया गया होता, तो समाहरणालय में बड़ी घटना हो सकती थी. छात्रों के हमलावर तेवर को देख कलेक्ट्रेट के कर्मचारी से लेकर आम लोग हतप्रभ थे. कलेक्ट्रेट जैसे अति सुरक्षित कैंपस में लोग घटना के दौरान असुरक्षित महसूस कर रहे थे. छात्रों के आतंक का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कलेक्ट्रेट में तैनात पुलिस व गार्ड एक कोने में दुबके हुए थे. छात्रों के डर से मजिस्ट्रेट भी किनारा किये हुए थे. उपद्रवी छात्र अधिकारियों को गेट खोलने के लिए ललकार रहे थे.
एसएसपी की ओर तान दी लाठी
कलेक्ट्रेट में हंगामे व तोड़फोड़ की बात सुन कर ऑफिस में मौजूद एसएसपी रंजीत मिश्र ने खुद मोरचा संभाला. वो पुलिस बल के साथ कलेक्ट्रेट की ओर आगे बढ़े, तो छात्रों का हुजूम उनकी ओर बढ़ने लगा. एसएसपी ने छात्रों की ओर बात करने की मुद्रा में हाथ बढ़ाया, लेकिन छात्रों का गुस्सा चरम पर था. छात्रों की ओर से एसएसपी की ओर लाठी तान दी गयी. एसएसपी ने स्थिति को भाफ लिया और लाठीचार्ज का निर्देश दे दिया. इसके बाद एसएसपी के साथ चल रहे सुरक्षा बल ने लाठीचार्ज किया, तो छात्रों की ओर से भी इसका प्रतिरोध किया गया, लेकिन कुछ ही देर में स्थिति बदल गयी. डीएम से बात करने आये छात्र भागने लगे. कुछ मिनट के अंदर ही लाठी के सामने छात्र नहीं टिके. भाग कर इधर-उधर छुप गये. भागने के क्रम में कई छात्रों का जूता चप्पल तक कलेक्ट्रेट परिसर ही छूट गया.
भारतमाता व राजेंद्र बाबू की प्रतिमा को भी नहीं छोड़ा
कलेक्ट्रेट में घुसने में नाकाम रहने पर छात्र ने सहारा पार्क का रुख किया. पार्क के अंदर छात्रों ने रोड़ेबाजी की. इस दौरान लाइट तोड़ दी. छात्रों ने देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद व भारतमाता की प्रतिमा की ओर भी ईंट व पत्थर फेंके. आसपास से हालात को देख रहे लोग छात्रों की इस हरकत पर खुद को शर्मसार महसूस कर रहे थे. इनका कहना था कि राजेंद्र बाबू जैसे महान पुरुष की प्रतिमा पर इस तरह की घटना किसी भी तरह से जायज नहीं है.
वर्चस्व को लेकर कैंपस में होता रहा है खूनी खेल
देवेश कुमार, मुजफ्फरपुर
कैंपस में वर्चस्व को लेकर हॉस्टल के छात्रों के बीच खूनी खेल का इतिहास काफी पुराना है. पिछले दशक में कई बार खूनी संघर्ष कैंपस में हो चुका है. एक अगस्त 2013 को जदयू छात्र नेता मो शमीम खान की हत्या भी वर्चस्व को लेकर ही हुई थी. इसके बाद कैंपस कुछ दिनों तक शांत रहा. फिर कैंपस में बात-बात पर छात्रों के बीच भिड़ंत हो रही है.
पिछले एक साल के अंदर कई बार पीजी, ड्यूक व ठक्कर बप्पा कल्याण छात्रावास के छात्रों के बीच भिड़ंत हुई है. इसमें दोनों गुटों के दर्जन भर से अधिक छात्र गंभीर रूप से घायल हुए. पुलिस ने प्राथमिकी तो दर्ज की, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही होती रही है. विवि प्रशासन ने भी इन छात्रों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. उलटे हॉस्टल के छात्रों को खेल-कूद व मनोरंजन के लिए भरपूर संख्या में हॉकी स्टिक की खरीदारी कर उपलब्ध कराया. इससे छात्र कभी हॉकी खेलते तो नहीं दिखे, लेकिन स्टिक का इस्तेमाल मारपीट में जरूर करते हैं.
कलमबाग चौक की बैरिकेडिंग उखाड़ी
मुजफ्फरपुर : विश्वविद्यालय से निकलने के बाद ठक्कर बप्पा के छात्रों ने सड़क पर सरेआम गुंडागर्दी की. दोपहर बाद करीब 3:40 बजे कलमबाग चौक पर सड़क की बैरिकेडिंग को उठाकर छात्र फेंक रहे थे. ट्रैफिक के लिए लगायी गयी रस्सी के घेरे को भी तोड़ दिया गया.
अचानक छात्रों के हुजूम का तांडव को देख चौराहे पर खड़ेलोग हैरान थे. सौ से अधिक की संख्या में छात्र चंद्रलोक चौक फ्लाइओवर की ओर बढ़े. सभी के हाथों में हॉकी स्टिक, लोहे का सरिया व लाठी-डंडा देख लोगों को माजरा समझ में नहीं आ रहा था. चौक पर तोड़फोड़ होता देख सड़क पर चल रहे लोग सहम गये. गाड़ियां जहां थीं, वहीं खड़ी हो गयीं. कई दुकानदारों ने तो डर से बाहर रखे सामानों को अंदर करना शुरू कर दिया. छात्र प्रशासन के खिलाफ नारा लगा रहे थे.
फ्लाइओवर पर पूरी सड़क को घेर कर छात्रों का हुजूम समाहरणालय की ओर बढ़ रहा था. उनके पीछे दो पहिया, चार पहिया वाहनों की लंबी कतार लगी थी. फ्लाइओवर पर कई लोगों ने भीड़ से आगे निकलने की कोशिश की तो छात्रों ने उन्हें लोहे का सरिया व लाठी-डंडा दिखा कर रोक दिया.
जो लोग जबरदस्ती आगे बढ़ने लगे, उनकों छात्रों ने हॉकी स्टिक दिखा कर धमकी दी . छात्रों के उग्र तेवर को देख इसके बाद किसी ने भीड़ से आगे निकलने की कोशिश नहीं की. फ्लाइओवर होते हुए धर्मशाला चौक, सदर अस्पताल रोड होते हुए समाहरणालय पहुंच कर छात्रों ने हमला बोल दिया.
मूकदर्शक बने रहे दंगानिरोधी दस्ते के 36 जवान
सुजीत कुमार, मुजफ्फरपुर
बीआरए बिहार विवि में दंगा निरोधी दस्ता तैनात है. फिर भी शुक्रवार को विवि परिसर में छात्रों के दो गुटों ने जम कर संघर्ष हुआ. गोलियां चलीं. डेढ़ दर्जन छात्र घायल हुए, लेकिन पीजी हॉस्टल छह में कैंप कर रहे दस्ता के तीन दर्जन से अधिक जवान मूक दर्शक बने रहे. घटना भी सरस्वती पूजा की चंदा उगाही को लेकर हुई. बीते 20 दिसंबर को कुछ ऐसे ही मामले को देखते हुए विवि प्रशासन की मांग पर पुलिस प्रशासन ने 24 दिसंबर को यहां दस्ते की तैनाती की थी, लेकिन यह दस्ता नाकाम साबित हुआ. फिर शिक्षा का मंदिर कलंकित हुआ.
विवि परिसर में सरस्वती पूजा के नाम पर चंदा वसूली का ‘खेल’ वैसे तो तकरीबन एक महीना पहले से चल रहा है. इसने तूल तब पकड़ा, जब 20 दिसंबर को रसायन विभाग में जबरन घुस कर चंदा काटे जाने लगा. विभागाध्यक्ष डॉ डीके सिंह की शिकायत पर कुलपति डॉ पंडित पलांडे ने कुलसचिव डॉ विवेकानंद शुक्ला को कार्रवाई का निर्देश दिया. एसएसपी रंजीत मिश्र से सरस्वती पूजा को देखते हुए 24 जनवरी तक एलएस कॉलेज व विवि कैंपस में अतिरिक्त पुलिस बल मुहैया कराने की मांग की गयी.
पुलिस प्रशासन अभी सोच ही रही थी कि 22 दिसंबर को एलएस कॉलेज के पूर्वी छोर (कलमबाग चौक पानी टंकी के पास) स्कूटी से जा रही एक युवती को चंदा के लिए न सिर्फ रोका गया, बल्कि चंदा देने से इनकार करने पर उसे धक्के मार कर स्कूटी से गिरा दिया गया. उस युवती ने डय़ूक हॉस्टल के छात्रों पर गंभीर आरोप लगाये. छानबीन को नगर डीएसपी पहुंच कर छात्रों को चेतावनी दिये. फिर भी घटना नहीं रुकी. 23 दिसंबर को एलएस कॉलेज में स्नातक पार्ट वन की परीक्षा देने आये छात्रों से जमकर मारपीट हो हुई. नगर डीएसपी अनिल कुमार सिंह फिर मौके पर पहुंचे. नगर थाना, काजीमोहम्मदपुर थाना, बेला थाना, मिठनपुरा थाना व विवि थाना की पुलिस भी थी. स्थिति को देख कर 24 दिसंबर को दंगा निरोधी दस्ता की तैनाती कर दी गयी.
तकरीबन एक सप्ताह बाद 31 दिसंबर को सीतामढ़ी में व्यवसायी हत्याकांड होने पर यहां से दस्ते को हटा लिया गया. फिर वसूली करने वाले तत्वों को मौका मिल गया और चार जनवरी को विवि परीक्षा हॉल के सामने चंदा देने से इनकार करने पर हॉस्टल के छात्रों ने न सिर्फ बाइक पर बैठी महिला के साथ बदतमीजी की, बल्कि बाइक चला रहे उसके पति को बुरी तरह पीटा भी. युवक जान बचाकर विवि थाना पहुंचा. इसी कड़ी में 22 दिसंबर को ही कलमबाग चौक पर एक महिला वकील से भी चंदा के लिए छेड़खानी हुई थी. सीतामढ़ी से वापस आने के बाद दंगा निरोधी दस्ते को फिर से विवि में तैनात कर दिया गया, लेकिन शुक्रवार को लगभग दो घंटे तक विवि में तंडाव मचा रहा. दंगा निरोधी दस्ते की मौजूदगी नदारद रहनेवाली साबित हुई.