एचआइवी पीड़ित कैदी सदर अस्पताल में भरती
मुजफ्फरपुर: कोर्ट में पेशी के दौरान फिर एक कैदी बेहोश हो गया. उसे आनन-फानन में सदर अस्पताल में भरती कराया गया. पुलिस अभिरक्षा में कैदी का इलाज जारी है. कैदी मीनापुर थाना कांड संख्या 252/14 में सजा काट रहा है. मीनापुर पुलिस ने उसे गंज बाजार से आर्म्स के साथ पकड़ा था. कैदी गायघाट थाना […]
मुजफ्फरपुर: कोर्ट में पेशी के दौरान फिर एक कैदी बेहोश हो गया. उसे आनन-फानन में सदर अस्पताल में भरती कराया गया. पुलिस अभिरक्षा में कैदी का इलाज जारी है. कैदी मीनापुर थाना कांड संख्या 252/14 में सजा काट रहा है. मीनापुर पुलिस ने उसे गंज बाजार से आर्म्स के साथ पकड़ा था. कैदी गायघाट थाना के मैठी गांव का रहने वाला है. पुलिस ने इसके साथ दो अन्य अभियुक्तों को भी इसी मामले में न्यायिक हिरासत में भेजा था. इधर, कैदी ने बताया कि वह एचआइवी पॉजिटिव है. पिछले छह माह से वह जेल में बंद है.
कैदी ने बताया कि वह तीन साल पहले पश्चिम बंगाल घूमने गया था. वहां वह वेश्या के संपर्क में आया था. जब उसे मीनापुर थाना पुलिस ने आर्म्स के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा था, वहां हरेक शनिवार को कैदियों का मेडिकल चेकअप होता है. इसी जांच के दौरान उसे एचआइवी संक्रमित होने की जानकारी मिली. तब से अभी तक उसका इलाज सामान्य मरीज की तरह ही हो रहा था. लेकिन, इसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ती ही जा रही है. वह बार-बार कारा प्रशासन को इस बाबत सूचना देता रहा. लेकिन कारा प्रशासन ने उसे बाहर इलाज के लिए नहीं भेजा. मंगलवार को कोर्ट में पेशी के दौरान वह बेहोश हो गया. कैदी ने बताया कि जेल के अंदर काफी खराब स्थिति है. वहां कैदियों की सुध लेने वाला कोई नहीं.
जेल प्रशासन सिर्फ पैसे लेकर कैदियों के काम में लगा रहता है. जो कैदी पैसे नहीं देता, उसका कोई काम वहां नहीं होता. यही नहीं, उसे परिजनों से मिलने नहीं दिया जाता है. कैदी ने बताया कि जेल में एक दर्जन से अधिक कैदी ऐसे हैं जो लाइलाज बीमारी से ग्रसित हैं. लेकिन, उनका इलाज सही से नहीं होता. इलाज के बदले चिकित्सक प्रमेश्वर पांडेय पैसा मांगते हैं. उसने बताया कि 29 दिसंबर को जेल में मेडिकल बोर्ड बैठी थी. बोर्ड ने कुछ मरीजों को एसकेएमसीएच रेफर किया था. लेकिन, जेल प्रशासन ने उन्हें जेल में ही रखा.
कोई भी मर्ज हो, दवा सिर्फ दो
कैदी ने बताया कि जेल में अगर आपको बुखार हो या खांसी या सिरदर्द या फिर पेट खराब. वहां सिर्फ दो ही दवा मिलती है, एक एंटीबॉयोटिक व दूसरी दर्द निवारक दवा. सदर में भरती मरीज के पास से भी सिर्फ दर्द निवारक व एंटीबॉयोटिक दवा मिली है. लेकिन, वह पेट के विकार से ग्रसित है. सदर में भरती होने के बाद कैदी का इलाज किया जा रहा है.
कैदी का आरोप गलत व तथ्यहीन है. 29 दिसंबर को जेल में मेडिकल बोर्ड बैठी थी. इसमें कैदी को एसकेएमसीएच रेफर किया गया था. अंडर ट्रायल कैदी होने के कारण कोर्ट से आदेश लेना होता है. कोर्ट ने कैदी को बाहर इलाज के लिए इजाजत दे दी है. अब एसएसपी से बल का डिमांड किया गया है. बल मिलते ही एसकेएमसीएच भेज दिया जायेगा.
इं. जितेंद्र कुमार, कारा अधीक्षक