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राजभवन के रेगुलेशन में नहीं हैं तीन कोर्स
मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में चल रहे तीन कोर्स को राजभवन के पीजी रेगुलेशन में जगह नहीं मिल रही है. ये कोर्स हैं, इलेक्ट्रॉनिक्स, एमसीए व फिश एंड फिशरीज. ये तीनों कोर्स वर्षो से विवि में चल रहे हैं. रेगुलेशन में शामिल नहीं होने से इन पर खतरा उत्पन्न हो गया है. ऐसे में विवि […]
मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में चल रहे तीन कोर्स को राजभवन के पीजी रेगुलेशन में जगह नहीं मिल रही है. ये कोर्स हैं, इलेक्ट्रॉनिक्स, एमसीए व फिश एंड फिशरीज. ये तीनों कोर्स वर्षो से विवि में चल रहे हैं. रेगुलेशन में शामिल नहीं होने से इन पर खतरा उत्पन्न हो गया है. ऐसे में विवि प्रशासन तीनों कोर्स को रेगुलेशन में शामिल करने के लिए राजभवन को प्रस्ताव भेजने का फैसला लिया है.
एकेडमिक कौंसिल व सिंडिकेट इस पर अपनी मुहर लगा चुकी है. ग्यारह फरवरी को सीनेट से पास करा कर इसे राजभवन भेजा जायेगा.
विवि में इलेक्ट्रॉनिक्स कोर्स 1990 से ही चल रहा है. इसके लिए खुद पूर्व केंद्रीय मंत्री एलपी शाही ने पहल की थी. तब यूजीसी ने इसे पहले पांच साल तक साइंस फैकल्टी में नियमित कोर्स के रू प में अनुमति दी थी. 1995 में राज्य सरकार ने इसकी पूरी जवाबदेही ले ली थी. फिलहाल अपनी बिल्डिंग नहीं होने के कारण यह विवि भौतिकी विभाग में चल रहा है. इसी तरह विवि गणित विभाग में 2007 से ही एमसीए कोर्स व 2009 से फिश एंड फिशरीज कोर्स विवि जंतु विज्ञान विभाग में चल रहे हैं. इन कोर्स के संचालन से पूर्व विवि एकेडमिक कौंसिल, सिंडिकेट व सीनेट की मंजूरी भी ली गयी थी. विवि प्रशासन चाहता है कि राजभवन इन तीनों कोर्स को फैकल्टी ऑफ साइंस के रू प में शामिल करें. यही नहीं, विवि प्रशासन बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रो बायोलॉजी व इनवॉयरमेंटल केमेस्ट्री को भी रेगुलेशन में शामिल करने का प्रस्ताव भेजेगी.
फैकल्टी ऑफ साइंस में शामिल हैं ये कोर्स : वनस्पति विज्ञान, रसायन, भूगर्भशास्त्र, गणित, भौतिकी, सांख्यिकी, हर्बल केमेस्ट्री, जंतु विज्ञान, इनवॉयरमेंटल साइंस, भूगोल व मानवशास्त्र.
राजभवन ने जिस पीजी के रेगुलेशन को मंजूरी दी है. उसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, एमसीए व फिश एंड फिशरीज कोर्स शामिल नहीं है. ये तीनों कोर्स वर्षो से विवि में चल रहे हैं. विज्ञान संकाय के डीन ने इन सभी कोर्स को फैकल्टी ऑफ साइंस में शामिल करने का सुझाव दिया है. इसे सीनेट की मंजूरी के बाद राजभवन को भेज दिया जायेगा.
डॉ तारण राय, सीसीडीसी
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