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बच्चों को मिलने वाले एमडीएम का 30 फीसदी चावल हो गया है खराब

एमडीएम के तहत बच्चों को मिलने वाला 30 प्रतिशत सरकारी चावल खराब हो चुका है. स्कूलों में रखे चावल में कीड़े लग लग गये हैं. बीआरपी की जांच में यह मामला सामने आया है. हालांकि डीईओ इससे इनकार करते हैं. उनका कहना है कि चावल पूरी तरह से ठीक है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 11, 2020 12:30 PM

मुजफ्फरपुर : एमडीएम के तहत बच्चों को मिलने वाला 30 प्रतिशत सरकारी चावल खराब हो चुका है. स्कूलों में रखे चावल में कीड़े लग लग गये हैं. बीआरपी की जांच में यह मामला सामने आया है. हालांकि डीईओ इससे इनकार करते हैं. उनका कहना है कि चावल पूरी तरह से ठीक है.

सरकारी स्कूलों के बच्चों को मई से जुलाई तक 80 दिनों का चावल दिया जाना है. एमडीएम निदेशक इसका निर्देश दिया है. अभिभावकों को स्कूल बुलाकर शिक्षक उन्हें चावल दें. एमडीएम की डीपीएम संगीता गिरी का कहना है कि चावल को अगर रसोइया साफ कर देगी तो वह सही हो जायेगा.

चावल की खराबी पर प्राथमिक शिक्षक संघ गोपगुट ने डीईओ और डीपीओ एमडीएम को ज्ञापन दिया है और कहा है कि स्कूलों में चावल का भंडारण फरवरी महीने में ही हुआ था. संघ के सचिव पवन कुमार ने बताया कि इस चावल को खाने से बच्चों का पेट खराब हो सकता है.

चार लाख बच्चों को नहीं गयी राशि : मुजफ्फरपुर जिले के चार लाख 62 हजार छात्रों को एमडीएम की राशि नहीं गयी. यह राशि अप्रैल में ही जानी थी. लॉकडाउन -1 के लिए एमडीएम निदेशालय ने 14 से 31 मार्च तक की एमडीएम की राशि जिले को भेजी थी लेकिन चार महीने बाद भी राशि नहीं जा सकी. इसकी रिपाेर्ट भी निदेशालय ने जारी कर दी है. रिपोर्ट के अनुसार 22 प्रतिशत छात्रों का ही पैसे मिले हैं. डीपीएम एडीएम ने शिक्षकों की लापरवाही से राशि नहीं जाने की बात कही है.

प्राथमिक शिक्षक संघ ने जताया एतराज : सरकारी स्कूलों के शिक्षकों से चावल वितरण कराने पर जिला प्राथमिक शिक्षक संघ ने कड़ा एतराज जताया है. संघ के प्रधान सचिव भूप नारायण पांडेय और संयुक्त प्रधान सचिव रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि कोरोना संक्रमण को लेकर पूरे जिले में स्थिति अति संवेदनशील बनी हुई है. जिला प्रशासन ने बंदी का भी निर्देश दिया है. ऐसी विषम स्थिति में एमडीएम योजना के चावल का वितरण बच्चों के अभिभावकों को करने का सरकारी फरमान शिक्षकों पर जानलेवा प्रहार है. शिक्षक नेताओं ने कहा कि संक्रमण काल में चावल वितरण का काम विद्यालयों के लिए जोखिम भरा है. इसे पंचायत स्तर पर जन वितरण प्रणाली से कराना चाहिए. विरोध जताने वालों में पवन कुमार प्रतापी, राजीव रंजन, चंद्रमोहन सिंह, अनीस कुमार, रामनरेश ठाकुर, राजकिशोर सिंह, इंद्रभूषण शामिल हैं.

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