डेढ़ करोड़ की निकासी करने वाला बना सरकारी गवाह
मुजफ्फरपुर: एसबीआइ एडीबी गोबरसही शाखा में दस मई 2011 को 12.50 करोड़ रुपये का अवैध हस्तांतरण हुआ था, जिसमें से डेढ़ करोड़ रुपये रांची के बरियातु स्थित रियल इस्टेट कंपनी वेलोसिटी इंटरनेशनल के खाते से डेढ़ करोड़ रुपये की निकासी हुई थी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक डेढ़ करोड़ की निकासी करने वाला शख्स […]
मुजफ्फरपुर: एसबीआइ एडीबी गोबरसही शाखा में दस मई 2011 को 12.50 करोड़ रुपये का अवैध हस्तांतरण हुआ था, जिसमें से डेढ़ करोड़ रुपये रांची के बरियातु स्थित रियल इस्टेट कंपनी वेलोसिटी इंटरनेशनल के खाते से डेढ़ करोड़ रुपये की निकासी हुई थी.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक डेढ़ करोड़ की निकासी करने वाला शख्स डॉ गौरव वरूण था, जिसे पुलिस ने कुछ माह पूर्व रांची के आसपास से धर दबोचा था, लेकिन सरकारी गवाह बनने के कारण उसे बेल मिल गई है. इस घटना में शामिल डॉ गौरव पहला ऐसा शख्स है जिसे सीबीआइ ने दबोचा और उसे बेल मिली. इसके अलावा जितने भी आरोपित को सीबीआइ ने दबोचा, वे सभी जेल में बंद हैं. आरोपितों ने कई बार कोर्ट में बेल के लिए अपील किया लेकिन उनके अपील को खारिज कर दिया गया. सीबीआइ ने अभी तक डेढ़ करोड़ रुपये रिकवरी नहीं कर पायी है.
बताते चलें कि एसबीआइ एडीबी शाखा से 10 मई 2011 को मुंबई की दवा कंपनी एरिस्टो फार्मास्युटिक्लस के खाते से 12.50 करोड़ रुपये सिस्टम हैक कर निकाल लिया गया था. इसमें से पचास लाख रुपये शहर के भगवानपुर स्थित सिंडिकेट बैंक में शिव शक्ति ट्रेडर्स के खाते से निकाले गए थे. जबकि 12 करोड़ रुपये रांची के महारानी ऑटोमोबाइल्स के खाते ट्रांसफर हुए थे.
इसमें से डेढ़ करोड़ रुपये वेलोसिटी इंटरनेशनल खाते में ट्रांसफर हुए थे, जिसे निकाल लिया गया था. महारानी ऑटोमोबाइल्स के खाते से भी पैसे निकालने की कोशिश की गई थी लेकिन बैंक में उस वक्त उतना कैश नहीं होने के कारण वह पैसा नहीं निकल पाया. तब तक एसबीआइ प्रबंधन ने 10.50 करोड़ की राशि को खाते में ही फ्रिज करवा दिया, लेकिन इधर डेढ़ करोड़ रुपये की निकासी हो चुकी थी. इस केस में सबसे हैरत की बात यह है कि अब तक सीबीआइ इस केस से जुड़े लगभग सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है लेकिन यह साइबर फ्रॉड कैसे हुआ, यह गुत्थी आज तक नहीं सुलझा है.