200 फीट धंसी सड़क
* खरौना डीह गांव के चौर में शनिवार दोपहर को हुआ अजीब वाकया मुजफ्फरपुर : ऐतिहासिक स्थल के तौर पर जाना जाने वाला खरौना डीह के आस – पास के गांव में उस समय सनी– सनी फैल गयी, जब अकरहिया चौर में दोपहर दो बजे ईंट सोलिंग सड़क अचानक धंस गयी और तेज आवाज के […]
* खरौना डीह गांव के चौर में शनिवार दोपहर को हुआ अजीब वाकया
मुजफ्फरपुर : ऐतिहासिक स्थल के तौर पर जाना जाने वाला खरौना डीह के आस – पास के गांव में उस समय सनी– सनी फैल गयी, जब अकरहिया चौर में दोपहर दो बजे ईंट सोलिंग सड़क अचानक धंस गयी और तेज आवाज के साथ जमीन फटने लगी. इसकी जानकारी मिलते ही कुछ ही देर में आस पास के गांव के सैकड़ों लोग वहां जुट गये.
ग्रामीणों के अनुसार खेत में काम करने वाले मजदूरों ने दोपहर दो बजे के करीब तेज आवाज के साथ सड़क को नीचे धंसते हुए देखा. सड़क दो सौ फीट से अधिक दूरी में दो से तीन फीट तक धंस गया. इसके नीचे से पानी का बहाव होने लगा. वहीं सड़क के दोनों तरफ के परती जमीन भी चार फीट तक के गहराई में फट चुका है.
ग्रामीण राकेश कुमार पिकूं, राजेंद्र चौधरी, राजदेव चौधरी आदि ने बताया कि सड़क के बगल में नाला था. जिसमें पहले से बरसात का पानी लगा हुआ था. लेकिन अचानक इस तरह सड़क का धंसना आश्चर्य जनक है. ग्रामीणों के अनुसार आस पास के जमीन से जुताई के दौरान पुराना ईट एवं किला के अवशेष मिलते रहे हैं.
लेकिन कभी भी इस तरह की घटना नहीं हुई है. इसके बाद लोगों के बीच तरह तरह की चर्चाएं होने लगी. लोग जमीन के अंदर के पुराने महल घंसने के कारण जमीन फटने की बात कह रहे थे तो कोई दैविक प्रकोप होने की बात कह रहे थे.
* सड़क के नीचे निकल रही पानी की धारा
* आस पास की जमीन में चार फीट नीचे तक दरार
* पाताल तोड़ कुआं की संभावना
मुजफ्फरपुर : रामदयालु सिंह कॉलेज के भूगोल विभाग के वरीय सहायक प्राध्यापक डॉ प्रमोद कुमार ने बताया कि कुढ़नी प्रखंड के खरौना गांव में जमीन फटने के बाद पानी व पत्थर निकलना पाताल कुंआ होने का संकेत है. इस तरह की घटनाएं प्राय: आस्ट्रेलिया में अधिक होती है. बोरस चट्टान (छिद्रमय) होता है. बाहर का पानी ऐसे चट्टानों में जमा होता है. दबाव का कारण कुछ भी हो सकता है. चट्टाने टूटने के बाद पानी के साथ चट्टान के अवशेष यहां से निकलने लगते हैं.
इस तरह की घटनाओं की संभावना पश्चिमी व पूर्वी चंपारण में होती है. आंशिक रूप से मुजफ्फरपुर के मोतीपुर, सरैया, साहेबगंज व पारू में भी संभावना बनी रहती है, लेकिन कुढ़नी के खरौना में इस तरह की घटना के विशेष कारण हो सकते हैं. घटना स्थल पर मुआयना के बाद भी सही कारणों का पता लगाया जा सकता है.