गलत प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे रेल सिपाही पर प्राथमिकी

मुजफ्फरपुर: गलत प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कर 28 साल से अनुकंपा पर नौकरी करने वाले रेल सिपाही यदुनाथ कुंवर के खिलाफ नगर थाने में जीआरपी के सारजेंट मेजर रामाकांत उपाध्याय ने प्राथमिकी दर्ज करायी है. पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर सारण एसपी सत्यवीर सिंह ने मढ़ौरा के तत्कालीन डीएसपी कुंदन कुमार से उसके खिलाफ जांच […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 17, 2015 8:21 AM
मुजफ्फरपुर: गलत प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कर 28 साल से अनुकंपा पर नौकरी करने वाले रेल सिपाही यदुनाथ कुंवर के खिलाफ नगर थाने में जीआरपी के सारजेंट मेजर रामाकांत उपाध्याय ने प्राथमिकी दर्ज करायी है. पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर सारण एसपी सत्यवीर सिंह ने मढ़ौरा के तत्कालीन डीएसपी कुंदन कुमार से उसके खिलाफ जांच करायी थी. मामला सत्य पाये जाने पर आरोपित को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देते हुए वेतन-भत्ता की कटौती का आदेश दिया गया है. पुलिस मामला दर्ज कर छानबीन में जुटी है.
जानकारी के अनुसार,विजविन्ता देवी गायघाट थाना क्षेत्र के बेरुआ गांव की रहने वाली है. उसके पति बैद्यनाथ कुंवर रेल पुलिस में सिपाही थे. एक जुलाई 1978 को उनकी डाकू से मुठभेड़ में मौत हो गयी थी. पति की मौत के बाद बड़े भाई यदुनाथ कुंवर माध्यमिक परीक्षा का गलत प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर एक मार्च 1983 को भाई की जगह अनुकंपा पर रेल पुलिस में सिपाही के पद पर भरती हो गया. पति के मौत के बाद कोई दूसरा अनुकंपा पर नौकरी का पात्र नहीं था.
इसी बीच विजविन्ता देवी ने पुलिस मुख्यालय में शिकायत दर्ज करायी कि यदुनाथ कुंवर उसके पति के बड़े भाई हैं. उनकी जन्मतिथि 20 मई 1951 की है. उन्हें विभाग से 31 मई 2011 को ही सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए. उन्होंने नौकरी के समय शैक्षणिक योग्यता का गलत प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर नौकरी ली थी. उस पर जन्मतिथि 20 अक्तूबर 1956 अंकित है. इस बाबत कोर्ट में भी केस दर्ज कराया गया.
जमा था फरजी प्रमाण पत्र
यदुनाथ मुजफ्फरपुर रेल पुलिस का सिपाही था, उसकी तैनाती सारण में थी. पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर सारण एसपी ने पूरे मामले की जांच करायी. जांच के क्रम में पता चला है कि उसने नौकरी के लिए फर्जी प्रमाण पत्र जमा किये थे. उसके वंशावली की भी जांच की गयी. जांच में पता चला कि वह चार भाई है. सबसे बड़ा रघुनाथ कुंवर बिहार राज्य पथ परिवहन निगम में कार्यरत है. दूसरे नंबर में वह खुद है, जबकि तीसरे पर बैद्यनाथ था, जिसकी जगह उसने अनुकंपा पर नौकरी ली. चौथा विश्वनाथ की उम्र उस समय बारह वर्ष थी. उसने नौकरी पाने के लिए बैद्यनाथ का छोटा भाई बताया था.

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