श्रद्धा व आस्था से आज मनायी जायेगी नागपंचमी
मुजफ्फरपुर : नागदेवता के पूजन का पर्व नागपंचमी आज श्रद्धा व आस्था से मनायी जायेगी. प्रत्येक वर्ष श्रवण शुक्ल पंचमी तिथि को मनाये जाने वाले इस पर्व की तैयारी के लिए घरों में सफाई का कार्य शुरू हो गया है. नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन श्रद्धा […]
मुजफ्फरपुर : नागदेवता के पूजन का पर्व नागपंचमी आज श्रद्धा व आस्था से मनायी जायेगी. प्रत्येक वर्ष श्रवण शुक्ल पंचमी तिथि को मनाये जाने वाले इस पर्व की तैयारी के लिए घरों में सफाई का कार्य शुरू हो गया है. नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन श्रद्धा व भक्ति से नागदेवता का पूजन करता है, उसे व उसके परिवार को कभी भी सर्प भय नहीं होता. नाग की पूजा के बाद मंदिर में जाकर भगवान शिव की भी पूजा की जायेगी. कहा जाता है कि नाग की पूजा से सुख शांति व समृद्धि आती है.
* ऐसे करें नाग देवता की पूजा
गरीबनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पं.विनय पाठक कहते हैं कि नाग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान करने के बाद सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें. इसके बाद नाग देवता की पूजा विधि – विधान के साथ करें. गाय के गोबर से नाग – नागिन बना कर पूजा करने की परंपरा है. संभव हो तो नाग–नागिन के जोड़े की प्रतिमा सोने, चांदी या तांबे में बनवाएं और नागपंचमी के दिन उसकी पूजा करें. नागपंचमी के दिन मंत्र का जप करने से सुख शांति और समृद्धि आती है.
* नाग वंश की उत्पत्ति की कथा
पुराणों में नाग वंश के उत्पन्न होने से लेकर और भी कई रोचक बातें बतायी गई हैं. महर्षि कश्यप की तेरह पत्नियां थीं. इनमें से कदरु भी एक थी. कदरु ने अपने पति महर्षि कश्यप की बहुत सेवा की. इससे प्रसन्न होकर महर्षि ने उसे वरदान मांगने के लिए कहा. कदरु ने कहा कि एक हजार तेजस्वी नाग मेरे पुत्र हो. महर्षि ने वरदान दे दिया.
फलस्वरूप सर्पो की उत्पत्ति हुई. एक अन्य कथा प्रचलित है कि जब राजा जनमेजय ने सर्पो के विनाश के लिए सर्प यज्ञ कराया तो उस समय आस्तिक मुनि ने सर्पो को बचाया. धर्म ग्रंथों के अनुसार सर्प से भय के समय जो भी व्यक्ति आस्तिक मुनि का नाम लेता है, सांप उसे नहीं काटते.
* कालसर्प दोष से मिलेगी मुक्ति
ज्योतिषाचार्य पं.रंजीत तिवारी कहते हैं कि विज्ञान के मुताबिक छायाग्रह राहु और केतु के कारण कुंडली में बने कालसर्प योग के शुभ होने पर जीवन में सुख मिलता है. किंतु इसके बुरे असर से व्यक्ति जीवन भर परेशानियों से जूझता रहता है. इस नागपंचमी में कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिल सकती है. राहु और केतु को पाप ग्रह माना गया है. कालसर्प योग में ये ग्रह विपरीत भाव व राशियों में होते हैं, जिससे ये अन्य ग्रहों के शुभ फलों में भी बाधा डालते हैं. नागपंचमी कालसर्प दोष शांति की अचूक घड़ी मानी जाती है. इसमें संकटमोचन की सबसे सही राह मानी जाती है.
इसलिए कालसर्प दोष शांति के लिए नागपंचमी को बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए. कालसर्प दोष से बचाव के लिए नागों के देवता भगवान शिव की आराधना सबसे श्रेष्ठ उपाय है. पुराणों में कहा गया है कि भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग का मानमर्दन किया था. इसलिए इस दोष शांति के लिए भगवान श्रीकृष्ण की आराधना भी श्रेष्ठ है. श्री गणोश विघ्नहर्ता है, इसलिए कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए गणेश पूजा भी करनी चाहिए. कालसर्प योग बनाने वाले राहु और केतु का जप कर भी काल सर्प दोष से मुक्ति पाया जा सकता है.