एइएस के कारणों को अब तक नहीं खोज पाये विशेषज्ञ
मुजफ्फरपुर: लीची की गुठली खाने से जानवरों में हाइपोग्लेसेमिया (शरीर में चीनी की मात्र अत्यधिक कम हो जाना) बीमारी होती है. गुठली में मौजूद टॉक्सिक मेथाइलेमेक्लोप्रोपेल एसिटिक एसिड (एमसीपीए) शरीर में जाने से शरीर में चीनी का लेबल काफी कम हो जाता है. एइएस पर रिसर्च कर रहे अटलांटा स्थित सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के […]
केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार व कल्याण मंत्रलय की ओर से 27 को दिल्ली में आयोजित समारोह में सीडीसी विशेषज्ञों ने कही. हालांकि बच्चों तक बीमारी के पहुंचने के माध्यम पर विशेषज्ञ सटीक निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाये. सीडीसी के विशेषज्ञ डॉ पद्मिनी व डॉ कायला लारसन ने कहा कि रिसर्च में देखा गया है कि एइएस से प्रभावित होने वाले बच्चों में चीनी का लेबल कम हो जाता है.
लेकिन जानवरों में होने वाली बीमारी से बच्चों का संबंध कैसे है, इस पर रिसर्च जारी है. कार्यशाला से लौटने के बाद सिविल सजर्न डॉ ज्ञान भूषण ने कहा कि बीमारी पर विस्तार से चर्चा हुई. लेकिन अब तक इस रहस्य पर से परदा नहीं उठा है. कार्यशाला में उन्होंने यह सवाल उठाया था कि एक ही घर में तीन बच्चे हैं, उसमें से एक बीमार होता है, जबकि दो बच्चे स्वस्थ रहते हैं. इस पर सीडीसी के विशेषज्ञों ने कहा कि वे बीमार बच्चों के जेनेटिक संरचना पर भी अध्ययन कर रहे हैं. कुपोषित बच्चों पर टॉक्सिक जल्दी असर करता है. प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण बच्चों को ही यह बीमारी होती है. कार्यशाला में सीडीसी के विशेषज्ञ, दिल्ली के वरीय शिशु रोग विशेषज्ञ, नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ ऑक्यूपेशनल हेल्थ से जुड़े विशेषज्ञ मौजूद थे.