इस बार कम होगी लीची की पैदावार, बारिश से मंजर की जगह निकले पत्ते
मुजफ्फरपुर: बेमौसम बारिश का असर फसलों पर तो पड़ा ही है. अब मुजफ्फरपुर की पहचान लीची पर भी इसके असर की बात सामने आ रही है. शाही से लेकर चाइना लीची तक को नुकसान हुआ है. कितने प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है, इसका आकलन उद्यान विभाग की ओर से शुरू कर दिया गया है. […]
मुजफ्फरपुर: बेमौसम बारिश का असर फसलों पर तो पड़ा ही है. अब मुजफ्फरपुर की पहचान लीची पर भी इसके असर की बात सामने आ रही है. शाही से लेकर चाइना लीची तक को नुकसान हुआ है. कितने प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है, इसका आकलन उद्यान विभाग की ओर से शुरू कर दिया गया है. बारिश की वजह से लीची के पेड़ों में मंजर की जगह नये पत्ते निकलने शुरू हो गये हैं. लीची के साथ आम की फसल को भी नुकसान हुआ है.
मुजफ्फरपुर शहर की पहचान लीची सिटी के रूप में है, लेकिन इस बार मार्च की शुरुआत के साथ हुई बारिश ने लीची की पैदावार
की गणित को बिगाड़ दिया है. जिस समय बारिश शुरू हुई, उस समय शाही लीची में मंजर आ चुका था, जबकि चाइन लीची में मंजर आने का समय चल रहा था, लेकिन बारिश ने मंजर की आस धुल गयी. नमी ज्यादा होने की वजह से मंजर की जगह पर अब लीची के बागों में पेड़ों में नये पत्ते निकल रहे हैं.
इसको लेकर किसान चिंतित होने लगे हैं. इनका कहना है कि बारिश से फसलों को तो नुकसान पहुंचा ही था. अब लीची भी नहीं होगी, तो ये हमारे लिये दोहरी मार जैसा होगा.
वहीं, उद्यान विभाग व लीची अनुसंधान केंद्र के अधिकारियों की ओर से लीची बागों का जायजा लिया जा रहा है. अधिकारी भी ये बात मान रहे हैं कि बागों में मंजर की जगह पर नये पत्ते निकल रहे हैं, जो इस मौसम में लीची की कम पैदावार की ओर इशारा कर रहे हैं. बारिश का लीची पर कितना असर पड़ेगा, इसका आकलन उद्यान विभाग की ओर से किया जा रहा है. विभाग के निदेशक राधेश्याम का कहना है कि बारिश होने के बाद मौसम में नमी आ गयी. इससे चाइना लीची में वानस्पतिक वृद्धि हो रही है. यह स्थिति लीची किसानों के लिए सही नहीं है. इसके लिए कोई दवा भी नहीं है. पिछात आम में भी मंजर के बदले पत्ते निकल रहे हैं.
कांटी के सहवाजपुर के किसान मुरलीधर शर्मा बताते हैं कि जिन बागों में नमी कम मात्र में थी. उनमें पत्ते निकल रहे हैं. बाग अक्तूबर के बाद सिंचाई व उवर्रक सह नहीं सकता है. 30 प्रतिशत शाही 70 प्रतिशत के करीब चाइना है. बिजली चमकने से आम बौर निकल गया था. नमी के कारण मंजर में लाही का प्रकोप हो गया है. मुशहरी के झपहां निवासी सत्येंद्र कुमार शर्मा बताते हैं कि किसानों को बारिश ने तबाह कर दिया. पहले रबी को नुकसान किया. बारिश का साइड इफेक्ट अब आम व लीची के बागों पर पड़ रहा है. नमी हो जाने की वजह से मंजर नहीं बन कर पेड़ों में पत्ता बन रहा है.
बारिश के बाद मंजर आना काफी कम हो गया.
सकरा के किसान दिनेश कुमार बताते हैं कि उनके क्षेत्र का हाल भी बारिश ने बिगाड़ दिया. मौसम परिवर्तन हुआ. रात का तापमान ठंड रह रहा है. ऐसी स्थिति में पत्ते आसानी से निकल रहे हैं. आम में भी नये कल्ले निकल रहे हैं. लेट से आने वाले में बथुआ व जरदा समेत सभी को नुकसान है. बंदरा के किसान सतीश कुमार द्विवेदी बताते हैं कि आम व लीची के लिए मौसम प्रतिकूल हो चला है. इस वर्ष मंजर के बदले पत्ते आये हैं. उत्पादन पर काफी असर पड़ेगा. क्योंकि जिले में चाइना का पौधा अधिक है. आम में मधुआ पकड़ लिया. बतिया नहीं लग रहा है.
अक्तूबर बाद बाग को दिया जाता है आराम
आमतौर पर अक्तूबर के बाद बागों में बागबानी से जुड़ी कोई भी क्रिया नहीं होती है. बागों में उर्वरक, खाद व सिंचाई प्रतिबंधित रहता है. क्योंकि मंजर पौधे के गर्भ में पल रहा होता है. उसे आराम चाहिए. दिन का तापमान 28 से 30 व रात्रि का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से अधिक होना चाहिए. इसके विपरीत क्रिया व मौसम होने से वानस्पतिक वृद्धि होने लगती है. ठीक यही स्थिति इस वर्ष हुई है. बारिश से पौधों को पानी मिल गया है. तापमान कई दिनों तक भी गिरा रहा. आसमान बादलों से ढका रहा. ऐसे में पेड़ों में मंजर के बदले पत्ते निकल आये.
बारिश के बाद चाइना में पत्ते व मंजर मिक्स कर आने की शिकायत है. कई जगह भ्रमण के दौरान चाइना में पत्ते भी देखे गये हैं. कुछ केमिकल का प्रयोग कर रहे हैं. रिजल्ट आने के बाद इसे सार्वजनिक किया जायेगा. कुल मिलाकर मौसम का व्यापक असर चाइना पर पड़ा है. अगर थोड़ी दिन पूर्व बारिश होती तो कल्ले को काटा जा सकता था. बारिश ने चाइना को नुकसान पहुंचा है.
डॉ विशालनाथ, निदेशक, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर
बारिश के बाद चाइना में पत्ते व मंजर मिक्स कर आने की शिकायत है. कई जगह भ्रमण के दौरान चाइना में पत्ते भी देखे गये हैं. कुछ केमिकल का प्रयोग कर रहे हैं. रिजल्ट आने के बाद इसे सार्वजनिक किया जायेगा. कुल मिलाकर मौसम का व्यापक असर चाइना पर पड़ा है. अगर थोड़ी दिन पूर्व बारिश होती तो कल्ले को काटा जा सकता था. बारिश ने चाइना को नुकसान पहुंचा है.
डॉ विशालनाथ, निदेशक, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर