सर, हम्मर पुरजा कटवा दू…

फोटो :: दीपक 19, 20 व 21एसकेएमसीएच – सोमवार को इलाज के लिए जुटे डेढ़ हजार से अधिक नये मरीज- 1210 मरीजों का ही हुआ निबंधन, तीन सौ से अधिक निराश लौटे मुजफ्फरपुर. ‘सर, हम दू घंटा से लाइन में लागल रहली ह, बाकी हम्मर पुरजा न काटलई. हम्मर पुरजा कटवा दू, लइका बेमार बा. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 9, 2015 8:04 PM

फोटो :: दीपक 19, 20 व 21एसकेएमसीएच – सोमवार को इलाज के लिए जुटे डेढ़ हजार से अधिक नये मरीज- 1210 मरीजों का ही हुआ निबंधन, तीन सौ से अधिक निराश लौटे मुजफ्फरपुर. ‘सर, हम दू घंटा से लाइन में लागल रहली ह, बाकी हम्मर पुरजा न काटलई. हम्मर पुरजा कटवा दू, लइका बेमार बा. हम दूर से आयल छी….’ यह वाकया है हथौड़ी के डकरामा की लक्ष्मी देवी की. सोमवार को वह अपने पुत्र का इलाज कराने एसकेएमसीएच आयी थी. ओपीडी में डॉक्टर से इलाज कराने के लिए वह केंद्रीय निबंधन काउंटर पर लाइन में लगी थी. उसके आगे कई महिलाएं थीं, लेकिन अपराह्न के डेढ़ बजते ही निबंधन काउंटर को बंद कर दिया गया. तब लक्ष्मी देवी सामने खड़े एक सुरक्षाकर्मी से पुरजा कटाने के लिए गुहार लगाने लगी. लेकिन उसकी कोई सुनने वाला नहीं था. होली की छुट्टी के बाद पहला सोमवार होने के कारण मेडिकल में मरीजों की भीड़ उमड़ पड़ी. ऐसे भी प्रत्येक सोमवार को कुछ ज्यादा ही भीड़ जुटती है. होली की छुट्टी के बाद शनिवार और फिर रविवार को ओपीडी के बंद होने के कारण सोमवार को मरीजों का लोड कुछ ज्यादा ही था. मरीजों के निबंधन के समयानुसार अपराह्न डेढ़ बजे तक 1210 मरीजों का निबंधन हो सका. शेष तीन सौ से अधिक मरीज काउंटर के चारों लाइन में खड़े रहे जिनका निबंधन नहीं हो सका. अस्पताल अधीक्षक डॉ जीके ठाकुर ने बताया कि मरीजों की तो यहां रोज भीड़ जुटती है. निर्धारित समय डेढ़ बजे के बाद निबंधन काउंटर बंद हो जाता है. ऐसे में तो मरीजों को लौटना ही पड़ेगा. हम क्या कर सकते हैं. डॉ जीके ठाकुर, अस्पताल अधीक्षक, एसकेएमसीएच

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