मनुष्य का मूल स्वरूप है श्रीमद्भगवत गीता

बंदरा. सभी ग्रंथों में सवार्ेत्तम ग्रंथ है श्रीमद् भागवत गीता.भागवत गीता के सुनने मात्र से मनुष्य के सभी पाप धूल जाते है. उक्त बातें अयोध्या के संत भगवान शरण शास्त्री जी महाराज ने सोमवार को रामपुरदयाल श्रीरामजानकी मंदिर में आयोजित श्रीगायत्री महायज्ञ में प्रवचन के दौरान कही. शास्त्री जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता न […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 9, 2015 8:04 PM

बंदरा. सभी ग्रंथों में सवार्ेत्तम ग्रंथ है श्रीमद् भागवत गीता.भागवत गीता के सुनने मात्र से मनुष्य के सभी पाप धूल जाते है. उक्त बातें अयोध्या के संत भगवान शरण शास्त्री जी महाराज ने सोमवार को रामपुरदयाल श्रीरामजानकी मंदिर में आयोजित श्रीगायत्री महायज्ञ में प्रवचन के दौरान कही. शास्त्री जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता न केवल एक ग्रंथ है बल्कि मनुष्य का मूल स्वरूप है. भागवत गीता की महिमा का जितना भी गुणगान किया जाये, कम है. मनुष्य को न केवल भागवत गीता के बारे में जानने की जरूरत है बल्कि उसे आत्मसात करने की भी जरूरत है.भागवत गीता को आत्मसात करके ही मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है.

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