मुजफ्फरपुर: दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में समाजशास्त्र की जगह मनोविज्ञान का रिजल्ट जारी करने के मामले में परीक्षा विभाग को बड़ी राहत मिली है. मंगलवार को कुलपति डॉ रवि वर्मा की अध्यक्षता वाली परीक्षा बोर्ड ने इसके लिए छात्र व निदेशालय को दोषी मानते हुए इसमें सुधार के लिए परीक्षा विभाग को अधिकृत किया है. पर साथ-ही-साथ भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो इसके लिए परीक्षा विभाग व दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों को सख्त हिदायत भी दी गयी है.
इस वर्ष की शुरुआत में जारी स्नातक पार्ट वन के परीक्षाफल में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के रिजल्ट में भारी गड़बड़ी पायी गयी. करीब दो दर्जन छात्रों को सब्सिडयरी विषय के रूप में भौतिकी, मनोविज्ञान व रसायन विषय के अंक दे दिये गये, जबकि इन विषयों की पढ़ाई निदेशालय में होती ही नहीं है. मंगलवार को इस मामले को परीक्षा बोर्ड की बैठक में रखा गया. मामले में परीक्षा नियंत्रक डॉ अरुण कुमार सिंह ने छात्र व निदेशालय को दोषी ठहराया. उनका कहना था कि निदेशालय से परीक्षा फॉर्म उन्हें उपलब्ध कराये गये, उसमें सब्सिडयरी में गलत विषय अंकित थे. यही नहीं कई छात्रों ने सब्सिडयरी के दो विषय की जगह तीन-तीन विषय भरे हुए थे. उक्त परीक्षा फॉर्म की जांच निदेशालय के अधिकारियों ने की थी. उसके आधार पर परीक्षा विभाग के कर्मचारी ने बिना जांच के ही एडमिट कार्ड जारी किये व छात्रों ने परीक्षा भी दी. बोर्ड ने उनकी बात स्वीकारते हुए रिजल्ट में सुधार के लिए परीक्षा विभाग को जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया.
पीआरटी रिजल्ट में होगा सुधार
परीक्षा बोर्ड में पीआरटी 2012 में बांग्ला विषय के रिजल्ट में गड़बड़ी का मामला भी रखा गया. इसमें प्रथम पेपर में दो अंकों वाले वैकल्पिक वस्तुनिष्ठ प्रश्नों में कई छात्रों को विषम अंक दे दिये गये है. अब उन छात्रों को जिन्हें विषम अंक प्राप्त हुए हैं, उन्हें उनके प्राप्त अंक का अगला सम अंक दिया जायेगा. वहीं बोर्ड ने पीएचडी रेगुलेशन 2009 के तहत पंजीयन के लिए छात्रों को पीआरटी में सफल होने के साथ-साथ पीजी में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंक को अनिवार्य रखने का फैसला लिया है.
उल्फा को मिली राहतपरीक्षा बोर्ड की बैठक में मैथिली की छात्र उल्फा के पीएचडी डिग्री पर लगी रोक का मामला भी रखा गया. उल्फा ने पीएचडी डिग्री के लिए वायवा में हिस्सा ले चुकी है. इसमें बाह्य विशेषज्ञ ने उसे पीएचडी डिग्री निर्गत करने की अनुशंसा कर दी है. पर फाइनल रिपोर्ट में विभागाध्यक्ष का हस्ताक्षर नहीं होने के कारण फिलहाल उसके डिग्री पर रोक लगी हुई है. बोर्ड ने फैसला लिया कि उल्फा अपने गाइड से हस्ताक्षरित थेसिस फिर से जमा करे. उसी के आधार पर उसे डिग्री देने पर विचार किया जायेगा.