बिना नैतिकता नहीं हो सकती स्वस्थ समाज की कल्पना
फोटो फाइल 29 रक्स 1 में लोगों को संबोधित जैन धर्म के ग्यारहवें तीर्थंकर आचार्य श्री महाश्रमण व फोटो फाइल 29 रक्स 2 में कार्यक्रम में उपस्थित लोग. प्रतिनिधि, रामगढ़वाकिसी भी राष्ट्र, समाज व परिवार की उन्नति और शांति के लिए पारस्परिक सद्भाव अपेक्षित होता है. सद्भाव के अभाव में जीवन व्यवहार में अहिंसा प्रतिष्ठित […]
फोटो फाइल 29 रक्स 1 में लोगों को संबोधित जैन धर्म के ग्यारहवें तीर्थंकर आचार्य श्री महाश्रमण व फोटो फाइल 29 रक्स 2 में कार्यक्रम में उपस्थित लोग. प्रतिनिधि, रामगढ़वाकिसी भी राष्ट्र, समाज व परिवार की उन्नति और शांति के लिए पारस्परिक सद्भाव अपेक्षित होता है. सद्भाव के अभाव में जीवन व्यवहार में अहिंसा प्रतिष्ठित नहीं हो सकती. इस कारण जाति भाषा, वर्ण, सांप्रदायिक उन्माद, तुच्छ स्वार्थ और विकृत मानसिकता की स्थिति पैदा हो जाती है. ये बातें जैन धर्म के ग्यारहवें आचार्य श्री महाश्रमणजी ने अपनी अहिंसा यात्रा के दौरान गणेश महावीर उच्च विद्यालय के प्रागंण में रविवार को उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कही. आचार्य श्री महाश्रमण ने अपनी अहिंसा यात्रा के उद्देश्यों के संबंध में बताया कि समाज में सद्भाव का प्रसार, लोगों में नैतिकता का प्रचार-प्रसार और नशामुक्त समाज के निर्माण के लिए यह पद यात्रा की जा रही है. जब तक लोगों में नैतिकता नहीं आयेगी, तब तक स्वस्थ समाज की कल्पना करना बेइमानी है और इन सबके कारण लोग सुख और शांति से सांस भी नहीं ले सकते हैं. शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, पारिवारिक, सामाजिक व व्यावसायिक नुकसान नशापान से हो रहा है. बताया कि नौ नवंबर 2014 को पद यात्रा का शुभारंभ किया गया था जो कि देश के अलग-अलग प्रांतों से होते हुए यहां तक पहुंचा है. इस दौरान लोगों में सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्त समाज के निर्माण के लिए अलख जगाया जा रहा है. पद यात्रा का जत्था शनिवार की रात में ही महाविर उच्च विद्यालय परिसर में पहुंचा, जहां पर रविवार को कार्यक्रम का आयोजन किया गया.