फैसला हुआ, कार्रवाई नहीं

मुजफ्फरपुर: जिले में तैनात मनरेगा लोकपाल के यहां मामले आते हैं. सुनवाई होती है, फैसला सुनाया जाता है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती है. कार्रवाई के बदले लोकपाल का फैसला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. अभी तक के अनुभव से ऐसा ही कहा जा सकता है. ऐसे में लोकपाल को औचित्य पर भी सवाल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 15, 2015 9:04 AM
मुजफ्फरपुर: जिले में तैनात मनरेगा लोकपाल के यहां मामले आते हैं. सुनवाई होती है, फैसला सुनाया जाता है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती है. कार्रवाई के बदले लोकपाल का फैसला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. अभी तक के अनुभव से ऐसा ही कहा जा सकता है.

ऐसे में लोकपाल को औचित्य पर भी सवाल उठने लगा है, जब फैसले पर कार्रवाई ही नहीं होती है, तो उनका मतलब क्या?

केंद्र सरकार के निर्देश पर डेढ़ साल पहले सेवानिवृत्त जज रमेंद्र नाथ राय को जिले का लोकपाल नियुक्त किया गया. इन्हें मुजफ्फरपुर के साथ मोतिहारी की जिम्मेवारी भी सौपी गयी. नियुक्ति के बाद लोकपाल के पास मनरेगा संबंधी घपलों के मामले आने लगे. अब 126 मामले आये हैं, जिनमें 26 का फैसला लोकपाल ने सुना दिया है.
लोकपाल ने अपनी जांच में जिन्हें दोषी पाया, उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए भी लिख दिया, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई इन मामलों को लेकर नहीं हुई है, जो लोग आरोपित हैं, वो अपने पदों पर बने हुये हैं. लोकपाल को इस बात से भी अवगत नहीं कराया जाता है कि उन्होंने जो फैसला दिया, उस पर अधिकारियों की ओर से क्या किया जायेगा. लोकपाल रमेंद्र नाथ राय कहते हैं, मुङो एक्शन टेकेन रिपोर्ट (एटीआर) नहीं मिलता है. इस वजह से पता नहीं चल पाता कि आदेश पर क्या कार्रवाई हुई. लोकपाल कहते हैं कि जब तक जिन लोगों के लिए मनरेगा बना है, उनमें जागरूकता नहीं आयेगी, तब गड़बड़ी पर लगाम लगाना मुश्किल है. इसके लिए लोगों को अधिकारों को जानना पड़ेगा.
नहीं दे पा रहे वार्षिक रिपोर्ट
लोकपाल ने भ्रष्टाचार संबंधी मामले में कार्रवाई नहीं होने को लेकर आयुक्त को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि मुजफ्फरपुर व मोतिहारी के डीपीसी (जिला कार्यक्रम समन्वयक) एक्शन टेकन रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं. इस वजह से हमें सरकार में वार्षिक रिपोर्ट देने में परेशानी हो रही है, जब तक रिपोर्ट नहीं आयेगी, तब तक वार्षिक रिपोर्ट कैसे दी जा सकती है.
ये करना हो लोकपाल को
लोकपाल को मनरेगा के कामों की गुणवत्ता को देखना है. मजदूरों को मांग के मुताबिक काम मिले, इसके बारे में पता लगा है. मजदूरों का भुगतान, क्षतिपूर्ति व हाजिरी में गड़बड़ी की शिकायत होने पर जांच करना है. साथ ही मामले में दोषी पर कार्रवाई की अनुसंशा करना है. इससे संबंधित रिपोर्ट मुख्य सचिव को देनी है.

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