नगर निगम : पानी के लिए 4.5 करोड़ खर्च, लेकिन वह भी पानी में गये

पानी के लिए 4.5 करोड़ खर्च, लेकिन वह भी पानी में गये

By Prabhat Khabar News Desk | April 29, 2024 12:52 AM

नहीं काम आयी स्मार्ट पानी मशीन, घड़े से पानी पिला रहा निगम मुजफ्फरपुर. प्रचंड गर्मी में शहर की सड़कों पर लोगों का हलक सूख रहा है. लेकिन निगम के दावे के बाद भी स्मार्ट सिटी की स्मार्ट वाटर वेंडिंग मशीन से ठंडा तो क्या गर्म पानी भी बाहर नहीं निकल रहा है. मशीन पर करोड़ों खर्चने के बाद भी नगर निगम को शहर में घड़े से लोगों को पानी पिलाना पड़ रहा है. पारा के तेवर से जब लोग झुलसने लगे तो आनन-फानन में शहर के आधा दर्जन से अधिक जगहों पर नगर निगम प्रशासन की ओर से लोहे के नेट का स्टैंडी तैयार किया गया. उसके बाद उसमें मिट्टी का घड़ा रख कर पानी की व्यवस्था की गयी. ताकि राहगीरों को तत्काल पानी मिल सके. इसके लिए ऑटो टैंकर की व्यवस्था की गयी है, जिससे लगातार रोटेशन पर शहर में लगे सभी घड़ा प्वाइंटपर पानी भरा जा रहा है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में करीब 4.5 करोड़ खर्च कर के 25 जगहों पर वाटर वेंडिंग मशीन लगाया. ठंड के मौसम से ही पेयजल के लिए शहर में वाटर वेंडिंग मशीन को लगता हुआ देख लोग उत्साहित थे. उम्मीद थी कि गर्मी के समय में लोगों को ठंडे पानी के लिये भटकना नहीं पड़ेगा. चौंकाने वाली स्थिति यह है कि लंबे समय तक बदहाल स्थिति में रहने के बाद बीते सप्ताह शहर के कुछ चौराहों पर वाटर वेंडिंग मशीन को चालू किया गया. लेकिन जिन जगहों पर चालू किया गया, वहां भी लोगों को नलका से पानी नहीं मिल रहा है. जवाहरलाल रोड के मशीन में नलका गायब शहर के लोगों को पानी पिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हो गये. इस पूरे प्रोजेक्ट की हालत बहुत ही बदतर है. जवाहरलाल रोड से बीबी कॉलेजिएट की ओर जाने वाली सड़क के मुहाने पर स्मार्ट सिटी की ओर से एक वाटर वेंडिंग मशीन लगी है. यहां मशीन में नलका ही नहीं है, पानी तो दूर की बात है. ऐसे कई वाटर प्वाइंट पर मशीन से नलका गायब है. लोगों ने कहा-आधुनिक मशीन देख कर ही हो रहे स्मार्ट चौराहों और सड़कों पर लगे बदहाल मशीनों को लेकर स्थानीय और राहगीर भी काफी नाराज है. राहगीर सौरभ कुमार, अमित सिंह ने बताया कि वाटर वेंडिंग मशीन पर स्मार्ट सिटी मुजफ्फरपुर का लोगो भी लगा दिया गया. लेकिन जो मुख्य पेयजल की व्यवस्था करना मुख्य काम था, वहीं स्मार्ट सिटी के जिम्मेवार भूल गये. फिलहाल लोग मशीने के ढांचे को देख कर ही स्मार्ट हो रहे हैं.

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