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निगम को पता नहीं शहर में कितने है जजर्र भवन

मुजफ्फरपुर: शहर में बिल्डिंग बनाने का नक्शा तो नगर निगम पास कर रहा है. औसतन 50-60 बिल्डिंग का नक्शा प्रत्येक माह पास होता है. निगम क्षेत्र में अब तक 45-50 हजार के बीच मकान बन चुके हैं. इसमें छोटे से लेकर बड़े-बड़े बिल्डिंग शामिल है, लेकिन कितने ऐसे भवन है. जिसकी स्थिति जजर्र है. भूकंप […]

मुजफ्फरपुर: शहर में बिल्डिंग बनाने का नक्शा तो नगर निगम पास कर रहा है. औसतन 50-60 बिल्डिंग का नक्शा प्रत्येक माह पास होता है. निगम क्षेत्र में अब तक 45-50 हजार के बीच मकान बन चुके हैं. इसमें छोटे से लेकर बड़े-बड़े बिल्डिंग शामिल है, लेकिन कितने ऐसे भवन है. जिसकी स्थिति जजर्र है.

भूकंप के हल्का झटका को भी वैसे बिल्डिंग बरदाश्त नहीं कर सकता है. इसमें सबसे ज्यादा सरकारी भवन शामिल है, लेकिन इससे संबंधित कोई आंकड़ा नगर निगम के पास उपलब्ध नहीं है. यह शहर की सुरक्षा व निगम के कार्यकलापों पर बहुत बड़ा सवाल खड़ा करता है. हालांकि, शनिवार को आये ताबड़तोड़ भूकंप के झटका के बाद नगर-निगम सक्रिय हो गया है. नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा ने कहा कि वे जल्द ही शहर में बने नये व पुराने भवनों का सव्रे करायेंगे. ताकि, सालों पुरानी ऐसे जितने भी भवन है. उसकी जांच कर निगम शहर की सुरक्षा के मद्देनजर मरम्मती या नये सिरे से निर्माण की मंजूरी देगा.

79 साल पुराना है निगम का प्रशासनिक भवन
शहर के जजर्र भवनों की बात तो दूर नगर निगम का प्रशासनिक भवन खुद जजर्र स्थिति में है. कंपनीबाग स्थित एमआरडीए व नगर भवन भी जजर्र है. बिना भूकंप के ही इन भवनों के छत से चट गिरता रहता है. इसका कारण यह है कि नगर निगम का जो प्रशासनिक भवन है. वह 79 साल पुराना है. 1936 में प्रशासनिक भवन का निर्माण हुआ था. इसके बाद से कभी भी भवन की मरम्मती सही तरीके से नहीं हुई है. इसके कारण भवन की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है.
सीढ़ी घर के ऊपर पानी का टंकी खतरनाक
नगर निगम के वास्तुविद विपुल कुमार कहते हैं कि मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार भूकंप जोन है. इसको देखते हुए निगम भूकंप रोधी बिल्डिंग का नक्शा पास करता है. कभी-कभी लोग नक्शा पास कराते है. मिस्त्री या किसी अन्य के कहने के बाद नक्शा के विपरित मकान का निर्माण करा लेते है. इससे सबसे ज्यादा परेशानी भूकंप के झटका के बाद उन्हें ङोलना पड़ता है. लोगों को कभी भी मकान का निर्माण इंजीनियरों की देखरेख में कराना चाहिए. भूकंप रोधी मकान निर्माण कराने के साथ-साथ मकान का सीढ़ी घर पर पानी का टंकी नहीं रखना चाहिए. क्योंकि भूकंप में लोगों को निकलने का एक मात्र रास्ता सीढ़ी होता है. कभी-कभी भूकंप के झटका के बाद लोगों को निकलने से पहले सीढ़ी पर पानी का टंकी गिर जाता है. इससे तेज गति से सीढ़ी से उतरने पर भगदड़ मच सकती है.
टीएमटी सरिया का करें उपयोग
वास्तुविद इंजीनियर ब्रजेश्वर ठाकुर कहते हैं कि भूकंप का केंद्र नेपाल में था, इसलिए मुजफ्फरपुर व उसके आसपास के इलाके में नुकसान नहीं पहुंचा है. वे कहते हैं कि लोगों को भूकंप से अपने मकानों को बचाने के लिए हमेशा इंजीनियरों की सलाह के मुताबिक ही मकान बनाना चाहिए. उसमें टीएमटी सरिया का उपयोग करे. ताकि, भूकंप के झटका के बाद मकान पर उसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. तीन मंजिला, चार मंजिला व उससे ऊपर रहने वाले लोगों को झटका महसूस होने के बाद निकलने का मौका मिल सकता है.

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