सीतामढ़ी/ मुजफ्फरपुर: होनहार छात्र कंचनबाला ने आत्महत्या करने से पहले 40 दिनों तक पुलिस अधिकारियों के चक्कर काटे थे. इस दौरान उसके भाई व मां भी साथ रहती थीं. पुलिस ने कार्रवाई के नाम पर आरोपित वीरेंद्र को पकड़ा तो लेकिन थाने से ही जमानत दे दी. जबकि उस पर छेड़खानी, ब्लैक मेकिंग, अपहरण और रंगदारी मांगने जैसे संगीन आरोप थे. इसको लेकर जांच अधिकारी आइजी शोभा अहोतकर ने अपनी रिपोर्ट में कड़ी टिप्पणी की. आइजी ने लिखा है कि पुलिस पर से कंचनबाला का विश्वास उठ गया था. इसकी वजह से उसने हताश होकर आत्महत्या की.
उठाये गंभीर सवाल : सूचना के अधिकार (आरटीआई) में आइजी की जो जांच रिपोर्ट मिली है, उसमें तत्कालीन सीतामढ़ी एसपी, डीएसपी, डुमरा थानाध्यक्ष, मामले के जांच अधिकारी पर गंभीर सवाल उठाये गये हैं. आइजी ने लिखा है कि जांच के दौरान पूरे मामले में पुलिस ने ऐसी गलतियां की, जिनसे आरोपित वीरेंद्र साह को लाभ मिला. वह कंचनबाला व उसके परिजनों को धमकाता रहा.
वापस कर दिये सबूत
आइजी ने लिखा है कि कंचनबाला मामले में दर्ज कांड 186/12 में कानून की धाराओं को बदला गया. थानाध्यक्ष ने जो सबूत वीरेंद्र साह के पास से इकट्ठा किये थे, उन्हें फिर से उसी को वापस कर दिया, इसमें फोटो, लेटर (पत्र)व वीडियो क्लिप शामिल हैं. इन्हीं के आधार पर वीरेंद्र साह कंचनबाला को ब्लैक मेल करता था. यह सामान एसपी के मौखिक आदेश पर वापस किये गये थे, ऐसा जांच के दौरान तत्कालीन थानाध्यक्ष रामनंदन प्रसाद ने अपने बयान में कहा.
घटनास्थल का दौरा करने के बाद किसी तरह की लिखित कार्रवाई नहीं करने का भी आरोप है. एसपी पर यह भी आरोप है कि वह पीड़ित परिवार को लगातार आश्वासन देते रहे, लेकिन जो कार्रवाई इस तरह के गंभीर मामले में होने चाहिये थे, वह नहीं किये. उन्होंने कंचनबाला व उसके परिजनों से कहा था कि ‘आप थाने मत जाइए, डीजीपी से बात मत कीजिए, मेरे संपर्क में रहिए. किसी तरह की परेशानी नहीं होगी.’ एसपी की बातों पर कंचनबाला व उसके परिजनों को भरोसा हो गया था, इसी वजह से वे मामले को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों से नहीं मिले.
थाने से दी जमानत
रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि एसपी के मौखिक आदेश पर जांच अधिकारी ने वीरेंद्र को जमानत दी थी. इसका उल्लेख जांच अधिकारी ने स्टेशन डायरी में किया है. कंचनबाला व उसके परिजनों ने 11 जुलाई 2012 से पुलिस अधिकारियों से मिलना शुरू किया था. इस दौरान वह वीरेंद्र साह के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे.
कंचनबाला के भाई विकास ने अपने बयान में कहा है कि 14 जुलाई को वीरेंद्र साह ने उसे लापता कर देने की धमकी दी थी. वीरेंद्र ने कहा था कि तुम्हारे भाई को अगवा करके हमने छोड़ दिया था, लेकिन तुमको नहीं छोड़ेगे. इसके बाद विकास ने एसपी से बात की थी तो उन्होंने कहा था कि तुम्हारी पार्ट टू की परीक्षा चल रही है. तुम परीक्षा दो, कुछ नहीं होगा. ऐसे ही धमकी देता है. विकास ने इसके बाद 28 जुलाई को एसपी से मुलाकात की थी. कहा था ‘हम परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली जा रहे हैं, सर इस मामले में कोई कार्रवाई कीजिए.’ इस पर एसपी ने कहा था ‘ कंचनबाला मेरी बहन के समान है, तुम जाओ, परीक्षा की तैयारी करो, यहां हम हैं, कुछ नहीं होगा. ’
इसके बाद 15 अगस्त को वीरेंद्र ने कंचनबाला के भाई मनीष को केस उठाने की धमकी दी थी. कहा था कि आठ दिन में केस वापस नहीं लिया तो नौंवे दिन जान से मार देंगे. इसके बाद 16 अगस्त को वीरेंद्र ने उस समय कंचनबाला व उसकी मां को धमकाया था, जब वह फोटो लेने के लिए शंकर चौक पर गयी थी. इस दौरान वीरेंद्र के चार और साथी थे. उसने कहा था तुम्हारा पैरवी डीजीपी तक है तो हमारा पैरवी बहुत ऊपर तक. इसके बाद 17,18 व 19 अगस्त को कंचनबाला के परिजन एसपी से बात करते रहे. 19 अगस्त को एसपी कंचनबाला, उसके भाई मनीष व उसके मां से मिले थे.
इसी दौरान कंचनबाला ने एसपी से कहा था कि अगर आप कार्रवाई नहीं करेंगे तो हम जान दे देंगे. इस पर एसपी ने कहा था कि कंचनबाला तुमको आगे आने की जरूरत नहीं है. 20 अगस्त को ईद है, 21 अगस्त को तुम्हारे परिजनों से मिलेंगे. लेकिन 21 अगस्त को एसपी का फोन नहीं आया. इसके बाद 22 अगस्त को कंचनबाला व उसके भाई व मां ने एसपी से मुलाकात की थी. इस दौरान उन्होंने कहा था कि दो साल में वीरेंद्र छूट जायेगा, समझौता कर लीजिए. हम उससे लिखवा कर ले लेंगे. इसी के अगले दिन 23 अगस्त को कंचनबाला ने आत्महत्या कर ली.