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ग्रास हॉपर की चपेट में गन्ना व मक्का की फसल

मुजफ्फरपुर: सैनिक कीट व पायरीला के बाद अब फसलों पर ग्रास हॉपर का हमला शुरू हो गया है. ग्रास हॉपर मक्का व गन्ना की पत्तियों को खा रहा है. इससे पौधों के विकास पर काफी खराब असर पड़ रहा है. कीटों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यह गन्ना व मक्का की पत्तियों को किनारे […]

मुजफ्फरपुर: सैनिक कीट व पायरीला के बाद अब फसलों पर ग्रास हॉपर का हमला शुरू हो गया है. ग्रास हॉपर मक्का व गन्ना की पत्तियों को खा रहा है. इससे पौधों के विकास पर काफी खराब असर पड़ रहा है. कीटों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यह गन्ना व मक्का की पत्तियों को किनारे से चट कर केवल मध्य शिरा को ही छोड़ रहा है. इससे पौधों की वानस्पतिक वृद्धि प्रभावित हो रही है. तेज धूप होने के बाद इस कीट की संख्या लगातार बढ़ रही है. अंडा शिशु कीट में बदल रहे हैं. इन दोनों फसलों को नुकसान होते देख किसानों के साथ अधिकारी भी सकते में आ गये हैं.
पौधा संरक्षण विभाग के संयुक्त निदेशक ने सव्रेक्षण के बाद किसानों व अधिकारियों को अलर्ट करा दिया है. इस कीट की संख्या को रोकने के लिए प्रचार माध्यमों का सहारा लिया जा रहा है. साथ ही, प्रसार प्रशिक्षण केंद्र मुशहरी, कृषि विज्ञान केंद्र सरैया व सभी कृषि अधिकारियों को सतर्क करा दिया गया है.
ग्रास हॉपर को किसान फुदका रोग के नाम से जानते हैं. इसके वयस्क की लंबाई एक से सात सेंटीमीटर लंबा होता है. इसकी मादा पूरे में मौसम में दो सौ की संख्या में अंडा देता है. मौसम अनुकूल रहने पर अंडों की संख्या चार सौ तक पहुंच सकती है. मादा वयस्क दो ईंच मिट्टी के अंदर रहकर अंडा देती है. अंडा अप्रैल में निकला. अब अंडे से शिशु कीट भी भारी मात्र में तैयार हो रहे हैं. इससे किसानों को काफी मात्र में आर्थिक नुकसान हो रहा है.
इस कीट को नियंत्रित करने के लिए ग्रास हॉपर के प्राकृतिक शत्रुओं की संख्या को बढ़ाना होगा. खेतों में ब्लीस्टर बिटिल, रॉवर फ्लाई, ग्राउंड बिटिल चिड़ियां, छिपकली, मेढ़क, मकड़ी इत्यादि को संरक्षण देना होगा. खेत की जुताई, लंबे घास, खर पतवार की सफाई कर जगह-जगह पक्षी बैठाकर इसकी संख्या को कम किया जा सकता है.
ऐसे करें कीट नियंत्रण के उपाय
जैविक कीटनाशी के रू प में व्यूभेरिया बेसियाना एक किलो व मेटारिजियम एकीडम एक किलो या नीम का तेल 15 सौ पीपीएम दो से तीन लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से फसल पर छिड़काव करना चाहिए.
रासायनिक कीटनाशी के रू प में मिथाइल पाराथियान दो प्रतिशत धूल व मालाथियान पांच प्रतिशत धूल या कलोरोपाइरीफॉस दो प्रतिशत धूल या फेनभेलरेट 0.4 प्रतिशत धूल का 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से भूरकाव यंत्र (डस्टर) द्वारा भूरकाव करना चाहिए. या डायक्लोरोभॉस 76 प्रतिशत घोल तीन सौ मिली लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए. दवा का प्रयोग शाम के चार बजे के बाद बेहतर होगा.
यह कीट किसी भी फसल को चट कर सकता है. बारिश में इसकी संख्या नियंत्रित होती है लेकिन गरमी बढ़ते ही इसकी संख्या में वृद्धि होने लगती है. हालांकि दवा प्रयोग से इसे नियंत्रण करना संभव है. किसानों को फसलों पर ध्यान देने की जरू रत है.
देवनाथ प्रसाद, सहायक निदेशक पौधा संरक्षण, मुजफ्फरपुर

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