गहरा व व्यापक था आचार्य शास्त्री का कृतित्व

दीपक 14वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर. निराला निकेतन में गुरुवार को महावाणी स्मरण का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ इंदु सिन्हा ने कहा कि आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री का व्यक्तित्व जितना बड़ा था, उतना ही गहरा व फैला हुआ उनका कृतित्व भी है. लोगों के प्रति करुणा, परंपरा में निष्ठा व सांस्कृतिक मूल्यों में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 7, 2015 9:04 PM

दीपक 14वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर. निराला निकेतन में गुरुवार को महावाणी स्मरण का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ इंदु सिन्हा ने कहा कि आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री का व्यक्तित्व जितना बड़ा था, उतना ही गहरा व फैला हुआ उनका कृतित्व भी है. लोगों के प्रति करुणा, परंपरा में निष्ठा व सांस्कृतिक मूल्यों में दृढ़ विश्वास उनके लेखन का मूल भाव था. बेला पत्रिका के संपादक डॉ संजय पंकज ने कहा कि आचार्य जी साधक थे. उनकी चेतना आध्यात्मिकता से आलोकित थी. संबोधन के बाद कवि गोष्ठी आयोजित हुई, जिसमें अभिषेक अंजुम, शैली केजरीवाल, कृष्ण मोहन प्रसाद मोहन, अंजनी पाठक, नंद कुमार आदित्य, वीरेंद्र कुमार वीरेन, डॉ विजय शंकर मिश्र, डॉ देवव्रत अकेला व धीरज कुमार ने कविता प्रस्तुत कर लोगों को मुग्ध कर दिया.

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