जहरीली फिजां: हवा में दोगुनी हुई कार्बन मोनोऑक्साइड

मुजफ्फरपुर: शहर की हवा जहरीली हो चली है. इसकी वजह धूल, धुंआ व गंदगी बतायी जा रही है. हवा में कॉर्बन मोनोऑक्साइड की मात्र लगभग दोगुनी हो चुकी है, जो शहर के लोगों के लिए जानलेवा बन सकती है. कॉर्बन मोनो ऑक्साइड के बढ़ने से लोगों को दम घुटने की बीमारी हो सकती है. प्रदूषण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 12, 2015 7:46 AM
मुजफ्फरपुर: शहर की हवा जहरीली हो चली है. इसकी वजह धूल, धुंआ व गंदगी बतायी जा रही है. हवा में कॉर्बन मोनोऑक्साइड की मात्र लगभग दोगुनी हो चुकी है, जो शहर के लोगों के लिए जानलेवा बन सकती है. कॉर्बन मोनो ऑक्साइड के बढ़ने से लोगों को दम घुटने की बीमारी हो सकती है. प्रदूषण मापक केंद्र की रिपोर्ट की मुताबिक हवा में कॉर्बन मोनोऑक्साइड की मात्र एक से 1.5 एमजी होनी चाहिए, जो बढ़ कर दो से 2.5 एमजी हो गयी है. धूलकण भी मानक से डेढ़ गुना पाये गये हैं.
शहर की सड़कों से दिन के समय गुजरते समय सामान्य तौर पर धूल व धुएं के कारण परेशानी होती है. लोगों को मुंह पर रुमाल या मास्क लगाये देखा जाता है, लेकिन शहर की हवा में प्रदूषण की मात्र लगातार बढ़ रही है. विशेषज्ञ इसे खतरनाक मान रहे हैं. प्रदूषण केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक हवा में धूल कणों की संख्या एक सौ के आसपास होनी चाहिए, जो 168 तक पहुंच गयी है. रिपोर्ट पिछले एक माह के औसत के आधार पर तैयार की गयी है.
रिपोर्ट के मुताबिक, रात में शहर की सड़कों पर कम संख्या में वाहन चलते हैं. इस वजह से सुबह के समय हवा में कॉर्बन मोनोऑक्साइड की मात्र कम रहती है, लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ता है और वाहनों की संख्या शहर में बढ़ती है. इसका प्रतिशत बढ़ने लगता है. शाम के समय ये अपने पीक पर पहुंच जाता है, तब इसकी मात्र 2.5 एमजी तक पहुंच जाती है. हालांकि बारिश होते ही तेजी से इसमें गिरावट भी दर्ज की गयी है. विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से शहर में व्यवस्था के नाम पर खिलवाड़ हो रहा है. किसी भी मानक का पालन नहीं किया जाता है. वाहनों के प्रदूषण स्तर तक की जांच नहीं होती है. नाली का कूड़ा सड़क पर डाला जाता है. जो सड़कें बन रही हैं, उन पर मिट्टी डाल कर छोड़ दी जाती है, जो हवा में घुलती रहती है. ऐसे में आनेवाले दिनों में इससे भी खराब हालात हो सकते हैं. हम सबको इससे सचेत होने की जरूरत है. विशेषज्ञ पुराने वाहनों को भी प्रदूषण बढ़ाने में सहायक मानते हैं. इनका कहना है कि ऐसे वाहनों को लेकर कोई पॉलिसी नहीं है. इस पर सख्ती किये जाने की जरूरत है. साथ ही शहर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि लोगों को सही आबो-हवा मिल सके.
कॉर्बन मोनोऑक्साइड जहरीली गैस है. ये पेट्रोल, कोयला भट्ठी के जलने से पैदा होती है. शहर में वाहनों की अधिकता है. इस वजह से गैस बढ़ी है. ग्लोबल वॉर्मिग के कारणों में ये गैस भी है. इससे तभी बचा जा सकता है, जब शहर में वाहनों की संख्या कम हो. इससे पेट्रोल-डीजल से होनेवाले प्रदूषण में कमी आयेगी.
डॉ सैय्यद मुमताजुद्दीन, प्रो वीसी, एलएनएमयू, दरभंगा
गैस से घुटने लगता है दम
कॉर्बन मोनोऑक्साइड गैस अधिक मात्र में शरीर के अंदर जाये, तो पहले दम घुटने लगता है. बाद में बेहोश्ी आती है. अगर जल्दी चिकित्सा की व्यवस्था नहीं हो, तो मौत तक हो सकती है. ये स्थिति गैस की मात्र काफी अधिक होने पर ही होती है, लेकिन अभी जो स्थिति है, उसमें लोग सांस के रोगी बन रहे हैं.

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