भेजी गयी मीनाक्षी होटल की फाइल
मुजफ्फरपुर: खास महाल के जमीन पर अवैध तरीके से निर्माण को लेकर चर्चित मीनाक्षी इंटर नेशन होटल की फाइल अब सरकार स्तर से खंगाली जायेगी. जिलाधिकारी अनुपम कुमार ने होटल के निर्माण संबंधी कागजात व रिपोर्ट भूमि सुधार व राजस्व विभाग को भेज दी है. जिला परिषद के मुख्य कार्य पालक पदाधिकारी सह डीडीसी व […]
मुजफ्फरपुर: खास महाल के जमीन पर अवैध तरीके से निर्माण को लेकर चर्चित मीनाक्षी इंटर नेशन होटल की फाइल अब सरकार स्तर से खंगाली जायेगी. जिलाधिकारी अनुपम कुमार ने होटल के निर्माण संबंधी कागजात व रिपोर्ट भूमि सुधार व राजस्व विभाग को भेज दी है.
जिला परिषद के मुख्य कार्य पालक पदाधिकारी सह डीडीसी व खास महाल पदाधिकारी के रिपोर्ट को आधार पर आगे के कार्रवाई के लिए अनुशंसा किया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि जिस जमीन पर होटल बना है, उस जमीन को जिला परिषद के नाम लीज नहीं किया गया था. किसी तरह के मार्केट कॉप्लेक्स के निर्माण की अनुमति भी जिला प्रशासन की ओर से नहीं दी गयी थी. इस स्थिति में सरकार मार्केट कॉम्पलेक्स को अपने नियंत्रण में ले सकती है.
खास महाल के जमीन बने भवन व होटल का अधिग्रहण कर सकती है. कार्रवाई के दूसरे विकल्प के रुप जिला परिषद से बकाया राजस्व की वसूली कर जमीन को लीज करने का सुझाव दिया गया है. हालांकि रिपोर्ट में यह खुलासा नहीं किया गया है कि बकाया राशि की वसूल जिला परिषद से होगा, या होटल संचालक को पैसा भरना होगा.
दुकान की जगह बनाया आलीशान होटल
जिला परिषद के सीईओ सह डीडीसी कॅवल तनुज ने मामले में जो रिपोर्ट दी थी, इसमें साफ तौर पर बताया था कि जिला परिषद के होअल निर्माण से लेना देना नहीं है. जिप के रेकर्ड के अनुसार खास महाल के उस जमीन मेंबित्त पोषित योजना से मार्केट बनाने की मंजूरी दी गयी थी. होटल के नीचले तल्ला में बने दुकानों को 31 लोगों के बीच आवंटित किया गया था. दूसरे तल्ला पर दुकान बनाने के लिए चार लोगों का जिप से एकरारनामा हुआ. इनमें राजीव कुमार गुप्ता , किरण सिंह, वीणा सिंह , ओम प्रसाद गुप्ता व ओम प्रसाद चौधरी शामिल है. इन लोगों ने ही बाद में दुकान के बदले होटल का निर्माण किया.
कटघरे में आला अधिकारी
मीनाक्षी होटल के निर्माण की अगर गहराई से जांच हो तो तत्कालीन आलाअधिकारी कटघरे में है. सवाल यह है कि प्रशासन के नाक के नीचे सरकार के जमीन पर अवैध निर्माण होता रहा, और प्रशासन आंख मूंदे रही. कई साल तक होटल का निर्माण होता रहा, लेकिन प्रशासन ने नोटिस लेना मुनासिब नहीं समझा.