प्रहार को पकड़ने को कॉबिंग ऑपरेशन

मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर के पारू, देवरिया व साहेबगंज के पश्चिमी दियारा क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चल रहा है. उत्तर बिहार में नक्सलियों के विरुद्ध सबसे बड़ा अभियान बताया जा रहा है. अभियान में दो हजार जवान शामिल हैं. इसमें बिहार पुलिस के अलावा सीआरपीएफ के आठ, एसएसबी के छह, कोबरा दस्ता कंपनी के साथ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 22, 2013 8:35 AM

मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर के पारू, देवरिया व साहेबगंज के पश्चिमी दियारा क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चल रहा है. उत्तर बिहार में नक्सलियों के विरुद्ध सबसे बड़ा अभियान बताया जा रहा है. अभियान में दो हजार जवान शामिल हैं. इसमें बिहार पुलिस के अलावा सीआरपीएफ के आठ, एसएसबी के छह, कोबरा दस्ता कंपनी के साथ भारी संख्या में बीएमपी व सैप के जवानों को लगाया गया था. नक्सलियों के विरुद्ध इस अभियान में डॉक्टरों की टीम, स्वान दस्ता भी शामिल था. जवानों के पास हर तरह के अत्याधुनिक संसाधन थे.

वहीं, अभियान में लगाये जवानों को तीन दिनों के लिए ड्राइ फूड भी उपलब्ध कराया गया था. इसके अलावा बुलेट प्रुफ जैकेट, नाइट विजन टॉर्च आदि भी थी. मुजफ्फरपुर व चंपारण दोनों ओर से दियारा क्षेत्र को घेर कर अभियान चलाया गया. हर चौक-चौराहों व नक्सलियों के निकलने वाले स्थलों पर जवान मोरचा संभाले थे. हुस्सेपुर पंचरूखिया के दियारा क्षेत्र में चलाये जा रहे कई ट्रेनिंग सेंटरों व बंकरों को ध्वस्त किया गया है. वहां पर एक चापाकल भी मिला है. धड़फरी के दियारा क्षेत्र में शादी की सामग्री भी मिली है. अभियान में शामिल पुलिस अधिकारियों को शक है, इन स्थलों पर भारी संख्या में संगठन से जुड़े नये-नये युवकों को प्रशिक्षित किया जाता था.

नहीं हाथ लगा प्रहार
उत्तर बिहार सब जोनल कमेटी के सचिव प्रहार सहित कई बड़े नक्सलियों के छुपे होने की सूचना पर एक साथ संयुक्त रूप से यह अभियान चलाया गया. अभियान गुरुवार से ही चल रहा था. बताया जाता है, अभियान शुरू करने से पूर्व तीन दिनों तक दियारा क्षेत्र के आसपास खुफिया विभाग के अधिकारी वाच किये थे. अधिकारियों का दावा है, पक्की सूचना होने के बाद यह अभियान चलाया गया था, लेकिन प्रहार सहित एक भी नक्सली पुलिस के हाथ नहीं लगा. सूत्रों की मानें, तो नक्सलियों का नेटवर्क इतना तगड़ा है कि उसके विरुद्ध अभियान चलाने से पहले ही उन लोगों को इसकी सूचना मिल गयी. इसके कारण कॉबिंग ऑपरेशन से पूर्व ही प्रहार अपने साथियों के साथ दियारा छोड़ निकल गये.

मछुआरों पर लगायी गयी थी रोक
दियारा क्षेत्र में मछली मारने वाले मछुआरों पर तीन दिन पहले ही रोक लगा दी गयी थी, ताकि कोई नक्सली मछुआरों का लाभ उठाकर भाग नहीं निकले. नाव व बोट की सहारे नदी पार कर अभियान में लगाये गये जवान दियारा क्षेत्र में रहे. दिन-रात अभियान चलता रहा. इसके लिए रोशनी की व्यवस्था भी साथ ले गये थे.

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