फिर दुहरायी गयी दोस्ती की अनोखी मिशाल

कांटी (मुजफ्फरपुर): कोठियां स्थित हजरत शाह इस्माइल शाह कादरी अबु ओलाई मोनामी वारसी के 47वें उर्स के दूसरे दिन दाता की चादरपोशी की गयी. दोस्ती की अनोखी मिशाल कायम करने वाले दाता के जिगरी दोस्त रहे स्व.नंदलाल शाह के वंशजों की ओर से दाता की चादरपोशी कर दोस्त का सलाम पेश किया. साथ ही देश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 9, 2015 7:35 AM
कांटी (मुजफ्फरपुर): कोठियां स्थित हजरत शाह इस्माइल शाह कादरी अबु ओलाई मोनामी वारसी के 47वें उर्स के दूसरे दिन दाता की चादरपोशी की गयी. दोस्ती की अनोखी मिशाल कायम करने वाले दाता के जिगरी दोस्त रहे स्व.नंदलाल शाह के वंशजों की ओर से दाता की चादरपोशी कर दोस्त का सलाम पेश किया. साथ ही देश व दुनिया में खुशहाली व तरक्की की कामना की.

सोमवार की सुबह से ही मजार पर अकीदतमंदों की भीड़ जमा होने लगी. हजारों लोगों का जत्था दाता के दोस्त स्व.नंदलाल साह के कांटी स्थित पुश्तैनी आवास पर उमड़ पड़ा. यहां से दोपहर में स्व.नंद लाल साह के वंशज मुन्ना साह गाजे-बाजे के साथ चादरपोशी के लिए संदल जुलूस लेकर कोठियां के लिए निकले. जिसमें श्री साह के परिवार व संबंधियों के अलावा दाता के दरबार में आने वाले हजारों लोगों का जत्था था.

जुलूस लेकर आये स्व. साह के परिजनों ने दाता के दरबार में संदल की चादरपोशी कर उन्हें सलाम पेश किया. संदल जुलूस में शामिल राजद नेता मुन्ना यादव, प्रदेश महासचिव भूपाल भारती, हैदर आजाद, विक्रात यादव, उमा राय सहित कई नेताओं ने दाता से अमन चैन की दुआ मांगी. सज्जदनशी मोहम्मद हुसैन वारसी ने बताया कि दाता इंसानियत को तरजीह देते थे व उसके हिमायती थे. जो अकीकतमंद यहां सच्चे मन से जो कुछ मांगा उसकी हर दुआ कबूल हुई.

लोगों ने उठाया मेले का लुत्फ. दाता के उर्स पर कोठियां में मेले-सा माहौल था. दाता के दरबार में दुआ करने के बाद लोगों ने मेले का भी जम कर लुत्फ उठाया. कोठियां में लगे मौत का कुआं, विभिन्न प्रकार के झूले व खेलकूद लोगों का मन मोह रहे थे.
दाता के दरबार में आने से मिलती है शक्ति
उर्स के मौके पर देश-विदेश से दाता के दरबार में आये लोग काफी खुश थे. उन्हें इस बात का संतोष था कि दाता ने फिर उन्हें बुलाया है. पं.बंगाल से आयी मदीना खातून ने कहा कि दाता के दरबार में आने पर उन्हें शक्ति मिली है. नेपाल से आये मो अब्दुल रहमान ने कहा कि प्रत्येक वर्ष वे उर्स के मौके पर कोठियां पहुंचते हैं. दाता के शरण में आने पर उन्हें शांति मिलती है. दाता अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करता. उन्होंने जब भी दाता से जो कुछ मांगा है, दाता ने उन्हें दिया है.

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