मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर से हाजीपुर के बीच विद्युतीकरण की जांच रेलवे के मुख्य सरंक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने की थी, जिसमें उन्होंने कुछ खामियों को उजागर करते हुये इस रूट पर ट्रेन चलाने को हरी झंडी दे दी थी, लेकिन इसमें उन गंभीर खामियों का जिक्र नहीं है, जिनकी वजह से मुजफ्फरपुर जंकशन पर तार टूटने से प्लेटफॉर्म पर लगे खंभों में करंट आ गया. अब सीआरएस की जांच पर गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं.
रेलवे के मुख्य संरक्षा आयुक्त एनई सर्किल, लखनऊ के प्रभात कुमार वाजपेयी ने बीती 26 नवंबर को विद्युतीकरण की जांच की थी. उस दौरान उनके साथ हाजीपुर मुख्यालय के अधिकारियों के साथ समस्तीपुर व सोनपुर के डीआरएम भी थे. जांच के बाद सीआरएस ने अपनी रिपोर्ट रेल जीएम को भेज दी थी, जिसमें विद्युतीकरण में कुछ खामियां बतायी गयी थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि फुट ओवरब्रिज के नीचे जो तार हैं, उसे हटाया जाये. इसके अलावा कई जगहों पर अर्थिग सही नहीं है, उसे ठीक कराया जाये. इसके बाद उक्त रूट पर इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनें चल सकती हैं.
रिपोर्ट में उन बातों का जिक्र नहीं किया गया था, जो सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं. इनमें सर्किट ब्रेकर नहीं लगाये जाने का जिक्र नहीं है और न ही प्लेटफॉर्म पर लगे विद्युतीकरण के बेस खंभों की घेराबंदी का जिक्र है. बुधवार को हुये हादसे में उक्त दो खामियां ही महत्वपूर्ण हैं. अगर लाइन में ब्रेकर लगा होता, तो तार टूटने के साथ ही लाइन कट जाती, जिससे खंभों में करंट नहीं आता. यही नहीं अगर खंभों के आसपास बैरिकेटिंग की जाती, तो यात्री उसके पास नहीं बैठते. ऐसे में उक्त हादसा नहीं होता. करंट आने के बाद भी यात्री बच जाते.वहीं. सीआरएस ने जो सवाल उठाये थे. उन्हें ठीक करने के बाद सोनपुर मंडक के अधिकारियों ने फिर से विद्युतीकरण की जांच की थी, जिसमें सब कुछ ठीक-ठाक बताया गया था. इसके बाद 25 जनवरी से मालगाड़ियों में इलेक्ट्रिक इंजन लगा कर चलाया जाने लगा था.